ज्ञान को विकसित कर तर्कशील बनें : राज बहादुर

ज्ञान को विकसित कर तर्कशील बनें ; राज बहादुर

बीयू के नव प्रवेशित विद्यार्थियों का अभिविन्यास कार्यक्रम

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक राज बहादुर ने कहा कि काम,क्रोध, मद, लोभ, मोह, मत्सर हर व्यक्ति के दुश्मन हैं। जो इन पर नियंत्रण कर लेता है वो ही सफल होता है। उन्होंने कहा कि सभी विद्यार्थियों को अपने ज्ञान को विकसित कर तर्कशील बनना चाहिए। साथ ही उन्हें आत्मबल को भी सदैव उच्च रखना चाहिए।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में आयोजित कला संकाय के नव प्रवेशित विद्यार्थियों के सात दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम के दूसरे दिन के आयोजन के मुख्य अतिथि परीक्षा नियंत्रक राज बहादुर ने कहा कि जब तक हमारी चेतना का विकास नहीं होता तब तक हम आदमी होते हैं। पढ़ने, लिखने और ज्ञान के विकास बाद हम मनुष्य बनते हैं। उन्होंने वेदों का उल्लेख करते हुए सभी विद्यार्थियों को मनुष्य बनने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि इंटर पास करने के बाद केवल 45 प्रतिशत विद्यार्थी ही विश्वविद्यालय तक पहुंच पाते हैं। छात्राओं का प्रतिशत तो और कम है।

उन्होंने विद्यार्थियों को चेताया कि जनसंख्या की अधिकता के कारण देश में सभी को नौकरी नहीं मिलनी है। ऐसे में हर विद्यार्थी को जीने की सही कला सीखने की जरूरत है। यदि दुनिया भर की भोग की सामग्री भी सबको दे दी जाए तो सभी संतुष्ट नहीं होंगे। ऐसे में सबसे जरूरी यह है कि सब जीने की सही कला सीखें।

उन्होंने कहा कि सभी विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय में अपनी मेधा और चेतना का विकास करना है। सभी सोच समझकर सही मित्र बनाएं ताकि जीवन सही दिशा में चले। मोबाइल में क्या देखना है, यह भी सोचना है। उन्होंने सभी को मोबाइल का सदुपयोग करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि हर विद्यार्थी को अपने पिता का चेहरा याद रखना है। यह भी कि वे विश्वविद्यालय में किस लक्ष्य को हासिल करने आए हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को डा भीमराव अम्बेडकर की अध्ययनशीलता से प्रेरणा लेकर पुस्तकें पढ़ने और कैरियर संवारने की सलाह दी। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को डा अंबेडकर,शहीद ए आजम भगत समेत अनेक महापुरुषों की जीवनी पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने भगत सिंह के व्यक्तित्व को नमन करते हुए आत्मबल को उच्च रखने का सुझाव भी दिया। उन्होंने राहत इंदौरी की एक रचना तूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो, मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर कर दरिया पार करो का उल्लेख कर युवाओं को मनोबल ऊंचा रखने का सुझाव दिया।

कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो मुन्ना तिवारी ने सभी अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए उनको नव प्रवेशित विद्यार्थियों के सात दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को अभिविन्यास का महत्व भी बताया।

डिप्टी रजिस्ट्रार दिनेश कुमार प्रजापति ने विद्यार्थियों को अर्जुन की तरह एकाग्र रहकर अध्ययन करने की सलाह दी। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को सुझाव दिया कि किताबों को मित्र बनाएं।

सहायक कुल सचिव वित्त सुनील सेन ने सभी विद्यार्थियों को अपना कैरियर संवारने के सचेत रहने का सुझाव दिया। शुरुआत में पुष्प गुच्छ भेंट कर सभी अतिथियों का स्वागत किया गया।

बीएफए की छात्रा अंजलि प्रजापति ने गुरु की महिमा पर एक गीत पेश किया। कृष्ण कांत सिंह चौहान और तेजस तिवारी ने लक्ष्य और उसकी प्राप्ति में निष्ठा और लगन के महत्व पर विचार व्यक्त किए। डा सुधा दीक्षित और डा सुनीता वर्मा ने बुंदेलखंड की विशिष्टताओं और अभिविन्यास कार्यक्रम के महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को रचनात्मक गतिविधियों में हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा को निखारने का सुझाव दिया।

इस कार्यक्रम में डा अचला पाण्डेय, डा श्रीहरि त्रिपाठी, डा नवीन पटेल, डा जय सिंह, उमेश शुक्ल, डा राघवेन्द्र दीक्षित, डा अभिषेक कुमार, डा नेहा मिश्रा, डा ब्रजेश सिंह परिहार, डा प्रेमलता, डा अजय कुमार गुप्ता, डा श्वेता पाण्डेय, डा सुनीता, दिलीप कुमार, संतोष कुमार, डा अंकिता, डा रानी शर्मा, डा पुनीत श्रीवास्तव, डा पूजा निरंजन, डा द्युतिमालिनी, डा रश्मि जोशी,अतीत विजय समेत अनेक लोग उपस्थित रहे। सभी विभागों के समन्वयकों ने अपने विभाग और उसके शिक्षकों के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी।

शुरुआत में शिक्षकों ने सभी अतिथियों और नव प्रवेशित विद्यार्थियों का स्वागत किया। सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका स्वागत किया गया। संचालन डा शैलेंद्र तिवारी ने किया। अंत में डा कौशल त्रिपाठी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।