सपा के वीरेन्द्र के भाजपा से छीनी चंदौली लोकसभा सीट, केन्द्रीय मंत्री को हराकर जीता 

बड़ा उलटफेर होने के बाद भाजपाइयों ने साधी चुप्पी,चेहरे पर छायी मायूसी

वाराणसी से सटी चंदौली सीट पर मोदी के मंत्री के चुनाव हारने बाद दिखा चर्चाओं का बाजार गर्म

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चंदौली- बनारस से सटी चंदौली लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के वीरेंद्र सिंह ने भाजपा से छीन ली है। चंदौली से उतरे मोदी सरकार में मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय हार गए हैं। वीरेंद्र सिंह ने महेंद्र नाथ पांडेय को 22 हजार वोटों से हराया है। वीरेंद्र सिंह को 473047 वोट मिले। महेंद्र नाथ पांडेय को 450281 वोट मिले हैं। इस तरह वीरेंद्र सिंह 22766 वोटों से जीत दर्ज किए हैं। केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय शुरू से ही पिछड़ गए थे। वीरेंद्र सिंह लगातार लीड बनाए हुए थे। भाजपा ने लगातार तीसरी बार केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय को यहां से उतारा था। महेंद्र नाथ पांडेय पिछली बार ही बेहद कम वोटों से जीते थे। ऐसे में मुकाबला कांटे की होने की पहले से संभावना थी।

2014 के चुनाव में महेंद्र नाथ पांडेय चार लाख से ज्यादा वोट पाकर डेढ़ लाख से भी ज्यादा वोटों से जीते थे। 2019 के चुनाव में पांच लाख वोट पाने के बाद भी केवल 14 हजार वोटों से ही जीत हासिल कर सके थे। डॉ. महेंद्र नाथ पांडे को 5,10,733 और सपा के संजय सिंह चौहान को 4,96,774 वोट मिले थे। सुभासपा के रामगोविंद ने 18,985 वोट झटके थे। इससे पहले 2014 के चुनाव में बीजेपी के डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को 4,14,135 वोट मिले थे।बसपा के अनिल कुमार मौर्य को 2,57,379 और सपा के रामकिशुन को 2,04,145 वोट मिल सके थे। कांग्रेस के तरूपेश चंद पटेल को 27,194 वोट हासिल हुए थे।

चंदौली लोकसभा सीट से बीजेपी 1991, 1996 और 1998 में लगातार तीन बार जीतकर हैट्रिक लगा चुकी है। इसके बाद सपा बसपा ने भाजपा से सीट छीन ली थी। 14 साल का वनवास काटने के बाद एक बार फिर भाजपा ने मोदी लहर में वापसी के साथ ही 2019 में भी यहां अपना परचम लहरा दिया। दोनों बार महेंद्र नाथ पांडेय को यहां से जीत मिली। पिछली बार सभी राजनीतिक विशेषज्ञ महेंद्र नाथ पांडेय के लिए यहां से जीत बेहद कठिन बता रहे थे। इसके बाद भी उन्होंने विजय हासिल की और दोबारा केंद्र में मंत्री भी बने। अगर इस बार भी उन्हें टिकट मिलता है तो उनके पास आनंद रत्न मौर्य की बराबरी करने का मौका होगा। आनंद रत्न मौर्य ने ही भाजपा के लिए यहां से हैट्रिक लगाई थी।

*वाराणसी की दो विधानसभा सीटें चंदौली का हिस्सा*
चंदौली संसदीय सीट देश के पहले लोकसभा चुनाव से ही अस्तित्व में आ गया था। चंदौली संसदीय सीट में जिले की मुगलसराय, सकलडीहा और सैयदराजा के अलावा वाराणसी की अजगरा व शिवपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के बालकृष्ण सिंह जीते। 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के निहाल सिंह सांसद चुने गए। 1971 में कांग्रेस ने वापसी की और सुधाकर पांडेय सांसद बने। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में यहां भी बदलाव दिखाई दिया। जनता पार्टी के नरसिंह यादव को जीत मिली। 1980 में जनता पार्टी के निहाल सिंह सांसद बने।1984 में कांग्रेस की चंद्रा त्रिपाठी और 1989 में जनता दल के कैलाशनाथ सिंह सांसद चुने गए। 1991, 1996 और 1998 लगातार तीन बाद भाजपा के आनंदरत्न मौर्य को यहां से जीत मिली। 1999 में सपा के जवाहरलाल जायसवाल और बसपा के कैलाशनाथ सिंह यादव जीते। 2009 में सपा के रामकिशुन यादव को जीत मिली। पिछले दो चुनावों 2014 और 2019 में भाजपा के डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय जीते और केंद्र में मंत्री भी बने थे।

*विधानसभा की पांच में से चार सीटों पर भाजपा का कब्जा*
पिछले विधानसभा चुनाव में यहां की पांच में से चार सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। मुगलसराय विधानसभा सीट पर बीजेपी के रमेश जयसवाल को जीत मिली थी।सैयदराजा में भाजपा के ही सुशील सिंह, अजगरा में त्रिभुवन राम और शिवपुर में अनिल राजभर जीते थे। सपा को केवल सकलडीहा सीट पर जीत मिली। से प्रभु सिंह जीते हैं।