लोक सभा प्रत्याशी दिनेश सिंह ने जनपद वासियों से की अपील

रायबरेली।लोक सभा प्रत्याशी दिनेश सिंह ने जनपद देवतुल्य मतदाता बहनों भाइयों से अपील की कि एक बार फिर लोकतन्त्र के महापर्व चुनाव में आप सब रायबरेली लोकसभा से पांच वर्ष के लिए अपने सुख-दुख और विकास का साथी (सांसद) चुनने की तैयारी में हैं।आपका एक बहुमूल्य वोट रायबरेली संसदीय क्षेत्र की दिशा और दशा तय करेगा,सम्माननीय भाइयों-बहनों आज देश पूरी तरह से प्रधानमंत्री मोदी जी के हाथों में सुरक्षित है।जनता की एक-एक पाई देश के विकास और देशवासियों के कल्याण पर खर्च हो रही है।जिसका परिणाम रायबरेली की सीमा के भीतर आप देख सकते हैं।जितने विकास कार्य रायबरेली में इस समय देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी के कार्यकाल में हो रहे हैं।वह सोनिया गांधी के सुपर प्रधानमंत्रित्व सहित 20 वर्षों के कार्यकाल में भी कभी नहीं हुए।जैसे इस समय रायबरेली में गंगाएक्सप्रेस-वे, रायबरेली- अयोध्या धाम फोर लेन रायबरेली प्रयागराज फोर लेन,रायबरेली- कानपुर फोर लेन,बछरावाँ/लालगंज/जगतपुर/ऊँचाहार आदि कस्बों में बाईपास का निर्माण हो रहा है।रायबरेली की रिंग रोड फेज-2 हो या रायबरेली का रेलवे स्टेशन तेजी से काम चल रहा है।इसके साथ ही चाहे गरीब के चूल्हे पर मोदी जी के फ्री राशन की पकने वाली रोटी हो या गंगा एक्सप्रेस-वे चाहे रायबरेली वासियों को मिल रही भरपूर बिजली या किसानों के ट्यूबवेल की फ्री बिजली हो,चाहे 70 वर्ष उम्र के किसी भी जाति आय वर्ग के नागरिक हों के 5 लाख तक के इलाज की व्यवस्था(आयुष्मान कार्ड)सब कुछ मोदी सरकार की देन है,मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास की अवधारणा के साथ हर वर्ग की सेवा कर रही है।हम आप यह भली भांति जानते हैं,जब कोई मतदाता किसी सांसद के प्रत्याशी को वोट देने के लिए जाता है,तब वह यह आशा करता है, कि हमारा होने वाला सांसद कभी हमारे सुख-दुख में भी काम आयेगा और हमारी जरूरतों पर लेखपाल से लेकर जिलाधिकारी तक दरोगा से लेकर कप्तान तक मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक हमारी जरूरत पर सिफारिश करेगा,फोन करेगा,पत्र लिखेगा,बिटिया की शादी में आर्शीवाद देने आयेगा और मुझे जरूरत पड़े तो अपने सांसद को फोन भी कर सकूँ अपना दुख-दर्द बता सकूँ अथवा जरूरत पड़ने पर अपने सांसद के घर जाकर मिल सकूँ,किन्तु दुर्भाग्य ही है कि जब-जब गांधी खानदान से सांसद चुना गया कभी यह सुख और सेवा रायबरेली वासियों को नहीं मिल सकी।यदि यह लोग कभी रायबरेली आयेंगे भी तो सिर्फ वोट मांगने आते है,सेवा करने दुख-दर्द बांटने नहीं, इसके स्थान पर यह लोग विदेशों में मौज मस्ती करना ज्यादा उचित समझते हैं।तो क्या रायबरेली वासी अपना वोट किसी को मौज मस्ती के लिए देकर खराब करेंगे।रायबरेली वासियों ने बड़े करीब से यह अनुभव किया है की चाहे मौका इंसान को द्रवित कर देने वाली बछरावां की रेल दुर्घटना में रायबरेली के अपने बेटों को खोने का रहा हो चाहे कोरोना काल में असमय काल के गाल में समा चुके लोगों का रहा हो और चाहे देश वासियों की रक्षा में देश की सीमा पर जान गवा देने वाले रायबरेली के लालों का रहा हो, सोनिया गांधी और रायबरेली की प्रभारी उनकी बेटी प्रियंका गांधी कभी भी रायबरेली के बेटों के साथ खड़ी नहीं हुई,किन्तु अपने बेटे राहुल गांधी के नामांकन में घण्टों धूप में खड़ी रहीं और पूर्ण रूप से स्वस्थ दिखीं,जबकि सोनिया गांधी जी रायबरेली के बेटों के सहयोग से पाँच बार सांसद चुनी गईं न कि राहुल गांधी के वोट से,अब यदि उन्हें सिर्फ अपना बेटा ही दिखाई देता है और रायबरेली के बेटे उनके लिए पराये ही हैं तो रायबरेली के देवतुल्य मतदाताओं के हर सुख-दुख में पल-पल खड़ा रहने वाला रायबरेली का बेटा दिनेशप्रताप सिंह ही क्यों न चुन लिया जाये,जिससे ऐसे लोगों के ऊपर से रायबरेली की निर्भरता समाप्त हो जाये।भाइयों-बहनों अभी रायबरेली के लोगों को भावनात्मक रूप से छलने के लिए राहुल गांधी,प्रियंका गांधी आकर अपने पूर्वजों के नाम पर वाटे माँगेंगे,आखिर इन दोनों की आयु 52-53 साल की हो गई होगी,इतनी उम्र में इन लोगों ने देश को क्या दिया और रायबरेली को क्या दिया इस पर वोट मांगना चाहिए और अगर इनकी पीढ़ियों ने देश को कुछ दिया भी होगा तो देशवासियों ने उन्हें सम्मान के रूप में ब्याज सहित वापस भी कर दिया।किन्तु जब देखो तब अपनी पीढ़ियों को लेकर यह दोनो भाई-बहन देशवासियों के सामने वोट मांगते खड़े दिखाई देते हैं।वैसे हमारे देश के लिए जिन्होने सचमुच शहादत दी उनके परिजनों ने अपने पूर्वजों की शहादत के बदले देश वासियों से कभी वोट नहीं मांगा किन्तु हमारा देश उनके त्याग और बलिदान पर गर्व करता है,गर्व करता रहेगा।देश राहुल गांधी के आचरण व्यवहार को बड़े करीब से देख रहा है,कैसे-कैसे कागज और कपड़ों की तरह परिवार बदल लेते हैं,कभी कहेंगे अमेठी हमारा परिवार है फिर कभी कहेंगे वायनाड हमारा परिवार है फिर कहेंगे रायबरेली हमारा परिवार है,भारतीय संस्कार संस्कृति में क्या ऐसे ही परिवार होते हैं,कि अपनी जरूरत के हिसाब से परिवार मान लिया जाये और छोड़ दिया जाये,क्या रायबरेली इनका आखिरी परिवार होगा, इसके बाद किसी और राज्य के किसी और लोक सभा में जाकर अपना परिवार नहीं कहने लगेंगे,वैसे इन्हें एक बार फिर से धोखा ही देना है चाहे रायबरेली की जनता को दें या वायनाड की जनता को।सम्मानित भाईयों-बहनों मेरे द्वारा सिर्फ 2 साल के कार्यकाल में कृषि महाविद्यालय, उद्यानमहाविद्यालय, हरचन्दपुर में, ऊँचाहार, सतांव सहित बड़ी-छोटी मंडियाँ मिलाकर कुल 20 मंडियों का निर्माण,6 हाइटेक नर्सरी, सवा सौ ग्रामीण सड़कें (मण्डी परिषद से)गुरु गोबिन्द सिंह पर्यावरणीय उद्यान,जिसमें रायबरेली के गौरवशाली इतिहास को अगली पीढ़ियाँ जाने और उस पर गर्व कर सकें,इस उद्देश्य से महर्षि जमदग्नि,गर्ग ऋशि,गोकर्ण ऋशि, डालभ्य ऋशि,आस्तीक मुनि,वीरा पासी,राणा बेनी माधव सिंह,आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी,राजा राव राम बक्श सिंह,लालचन्द्र स्वर्णकार आदि की प्रतिमाओं को स्थापित किया,पण्डित श्रीशचन्द्र दीक्षित पर्यावरणीय उद्यान बनाया।रायबरेली के जितने शहीद स्थल है, लगभग सब पर 110 फीट ऊँचा राष्ट्रीय ध्वज लगाकर मैने अपनी रायबरेली की शहादत को नमन किया।मैने ऐसे सैकड़ों काम किये हैं,जो मेरी सेवा के अन्तर्मन के भाव को परिलक्षित करते हैं,कोई भी मेरी धड़कन को सुने तो उसमें सिर्फ रायबरेली के विकास और सम्मान की आवाज सुनाई देगी।रायबरेली का कोई ऐसा गांव नहीं जहाँ मेरी सेवा के निशान न हों,मुझे आपके लिए जीना है,आपके लिए मरना है,जब तक जीऊंगा रायबरेली की सेवा करता रहूंगा और जब सासें थमेंगी तो इसी मिट्टी में मिल जाऊँगा,लेकिन आपको छोड़कर वायनाड नहीं जाउंगा।मुझे आशा है, कि मैने अपने जीवन में सदैव अथक परिश्रम और विनम्रता से झुककर आपकी सेवा की है,मेरा सिर सदैव आपके सम्मान में इसी भांति झुका रहेगा,मेरे इसी आचरण व व्यवहार के बदले आप सबने मुझे असीम प्यार और आशीर्वाद दिया है,मुझे गर्व है अपनी रायबरेली पर और आप सब पर, रायबरेली में जन्म देकर विधाता ने जनपद की सेवा का जो सौभाग्य दिया है उसके लिए मैं सदैव ऋणी रहूँगा।आशा है आपका आशीर्वाद मिलेगा,कमल खिलेगा,जो मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के काम आयेगा।" घर भी बने गरीब का,कुटिया की रक्षा हो।ऐसा बटन दबाना की हर बिटिया की रक्षा हो।"