दो दिन बाद भी बाघ न पकड़ने पर ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए डीएफओ का किया घेराव।

कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव सपहा में दो दिन बाद भी श्मशान घाट पर बाघ की मौजूदगी देखी गई। बाघ ढकिया केसरपुर व सपहा गांव से महज कुछ मीटर की दूरी पर श्मशान घाट के समीप झाड़ियों में बैठा हुआ है। मौके पर सामाजिक वानिकी प्रभाग के वनकर्मी निगरानी करने में जुटे हैं। सामाजिक वन प्रभाग बाघ को पकड़ने की कोई ठोस रणनीति न बनाकर महज बाघ की निगरानी में लगा हुआ है। सामाजिक वानिकी प्रभाग के नवागत डीएफओ आरके सिंह शुक्रवार को गांव सपहा पहुंचे। बाघ को देखने कें लिए श्मशान घाट कें आसपास ग्रामीणों की भीड़ मौजूद थी।डीएफओ द्वारा वन कर्मियों को झाड़ियों के तीन ओर जाल लगाने और एक तरफ से खुला रखने के निर्देश देते ही भीड़ आक्रोशित हो गई। गुस्साए ग्रामीणों ने डीएफओ का घेराव कर उन्हें खरीखोंटी सुनानी शुरू कर दी। इस दौरान गामीणों व डीएफओ कें बीच खूब नोकझोंक भी हुई। ग्रामीणों का कहना था कि जब शासन से बाघ को पकड़ने की परमीशन मिल चुकी है तो बाघ को पकड़ने में देरी क्यों की जा रही है। जबकि बाघ पिछले दो दिन से एक ही जगह पर डेरा जमाए हुए है। उनका कहना था कि यदि बाघ को जल्द न पकड़ा गया तो कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है। बताते है कि ग्रामीणों का गुस्सा देख कुछ ही देर बाद डीएफओ वाहन में बैठकर रवाना हो गए।

इधर डीएफओ के निर्देश पर वन कर्मियों ने बाघ की मौजूदगी वाले स्थान पर झाड़ियों के तीन ओर जाल लगा दिया। जाल लगाने के कुछ देर बाद ही बाघ झाड़ियों से निकलकर पास के ही एक गन्ने के खेत में जा घुसा। बताते हैं कि बाघ के पीछे ही ग्रामीणों का झुंड भी गन्ने के खेत में जा घुसा और जमकर पटाखे दागे। हालांकि कुछ देर बाद ही ग्रामीण खेत से बाहर निकल आए। बताते हैं कि बाघ अभी भी गन्ने के खेत में मौजूद है। इसको लेकर ग्रामीणों में खासी दहशत है।