दरगाह पर लगाया गया नक्काशी किया चांदी का गेट। दरगाह प्रमुख ने किया उद्धघाटन।

*जल्द ही गुम्बद ए रज़ा पर सोने का कलश लगाया जाएगा।*

बरेली,105 उर्स ए रज़वी से पहले दरगाह का सजाने संवारने का काम जारी है। पिछले काफी वक्त से गुम्बद की नक्काशी मजार शरीफ़ पर सफेद नक्काशी वाली जाली लगाई गई। दीवारों पर खूबसूरत टाइल्स और मजार के अंदर व गली में पत्थर लगाया गया। सभी काम पिछले एक साल से दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की निगरानी में चल रहे थे। जल्द ही गुम्बद-ए -रज़ा पर सोने का कलश लगाया जाएग मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हानी मियां ने अपनी सज्जादगी के दौरान बहुत दरगाह पर काम कराए है। दरगाह को भव्य व सुंदर बनाने के लिए अभी भी लगातार काम जारी है। ताकि देश विदेश से आने वाले ज़ायरीन को रूहानियत का माहौल मिले। इसी कड़ी में देर रात दरगाह पर चांदी के दरवाजे का उद्धघाटन दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हानी मियां ने सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां के साथ किया। इसके बाद सभी ने दरगाह पर फातिहा पढ़ी। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने खुसूसी दुआ की।दरगाह के वरिष्ठ मुफ्ती मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने बताया कि ये दरवाज़ा हज़रत मौलाना सुब्हानी मियां ने राजस्थान के उदयपुर के कारीगरों से तैयार कराया। उदयपुर में लगातार 3 महीने 5 दिन इस दरवाज़े पर नक्काशी का काम किया गया। जिसमें 20 किलो शुद्ध चांदी का इस्तेमाल किया गया। अभी चौखट व दरगाह के छोटे दरवाजे चांदी का गेट लगना बाकी है। जिसे उर्स के बाद कराया जायेगा। कुल 32 किलो चांदी लगाई जाएगी। वही दोनों गेट पर गुम्बदे रज़ा की नक्काशी की गई है उस पर सोने की पालिश कराई जाएगी। गेट पर आला हज़रत के पोते व पूर्व सज्जादानशीन हज़रत मौलाना रेहान रज़ा खान(रहमानी मियां) का लिखा आशार "रज़ा ओ हामिदो नूरी का गुलशन बहारों पर,शगुफ्ता इस चमन में खैर से रेहां रज़ा तुम हो।" इस आशार में खानदान के सभी बुजुर्गों का नाम शामिल है। नालैन मुबारक की नक्काशी पर या मुफ्ती-ए-आज़म अल मदद लिखवाया गया है। गेट पर वा यादगारे हज़रत रेहान-ए-मिल्लत और जेरे एहतिमाम हज़रत सुब्हानी मियां।इस मौके पर उर्स प्रभारी राशिद अली खान,मुफ्ती सलीम नूरी,अबरार उल हक़,सय्यद अनवारूल सादात,शाहिद नूरी, परवेज़ नूरी,शान रज़ा,औरंगज़ेब नूरी,अजमल नूरी,ताहिर अल्वी,सुहैल रज़ा,सय्यद माजिद,सय्यद एजाज़,काशिफ सुब्हानी,साकिब रज़ा आदि लोग मौजूद रहे।