जानिए चंदौली के नवागत एसपी विनीत जायसवाल के बारे में, इंजीनियरिंग मैनेजमेंट छोड़ चुन लिए खाकी, अपने पिता से मिली है इनको प्रेरणा

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चंदौली- आपराधिक गतिविधियों के पैमाने पर उत्तर प्रदेश के संवेदनशील जनपदों में रखे जाने वाले चंदौली में पुलिस एक बार फिर से एक युवा आईपीएस अफसर की अगुवाई में अपराध मुक्त अभियान के सफर पर आगे बढ़ चली है।हाल ही में जनपद चंदौली में शासन ने नये पुलिस कप्तान के रूप में युवा, निर्भीक और कर्मठ कार्यप्रणाली रखने वाले आईपीएस विनीत जायसवाल की तैनाती की है।

आपको बताते चलें कि खाकी वर्दी का असर विनीत जायसवाल पर बचपन से ही रहा है, यही कारण है कि वह मैनेजमेंट और इंजीनियर के क्षेत्र में अच्छे अवसरों को छोड़कर पुलिस विभाग में सेवा के क्षेत्र में उतरकर समाज को अपराधमुक्त बनाने का लक्ष्य लेकर अग्रसर हैं।

जनपद में नये कप्तान के रूप में पुलिस फोर्स का नेतृृत्व कर रहे नवागंतुक आईपीएस विनीत जायसवाल के जीवन से खाकी वर्दी को लेकर कई संयोग जुड़े हैं। सबसे पहले तो उनको उनके पिता के जीवन से सर्वाधिक रूप से प्रभावित किया है। उनके पिता राधेश्याम जायसवाल एक जेल अधीक्षक रहे हैं। उनका बचपन जेल और खाकी के बीच के माहौल में कर्तव्य पारायणता और ड्यूटी के प्रति कर्मठता को देखते हुए गुजरा है। विनीत जायसवाल मूल रूप से राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक और धार्मिक कर्मभूमि जनपद गोरखपुर के निवासी हैं। साल 2014 बैच के आईपीएस विनीत जायसवाल को एसपी के रूप में शासन ने प्रमोट करते हुए विभिन्न जनपदों में तैनाती के बाद चंदौली जनपद में भी तैनाती की है। इससे पहले वह नोएडा में एसपी सिटी के पद पर कार्यरत थे।

विनीत जायसवाल एक जुझारू युवा हैं। उनके जुझारूपन का प्रमाण यही है कि उन्होंने अपनी शिक्षा के दौरान ही पिता की भांति खाकी वर्दी को लक्ष्य बनाया था। उन्होंने सिविल सर्विस में जाने की इच्छा को लेकर काम किया और कई बाद की नाकामी के बाद भी वह हतोत्साहित नहीं हुए, बल्कि हर एक नाकामी के बाद उन्होंने नई ऊर्जा के साथ खुद को आगे बढ़ाने का काम किया। स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद विनीत जायसवाल ने तकनीकी सेवा और सुझाव देने वाली भारतीय मल्टीनेशनल कम्पनी इंफोसिस को एक कम्प्यूटर साइंस के बेचलर टेक्निशियन के रूप में ज्वाइन किया। इसी बीच आईआईएम, केरल में भी उनका चयन हो गया था, लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट में दक्षता हासिल करने के बजाये पिता की भांति ही सेवा के मार्ग को चुना। उन्होंने सिविल सर्विस में जाने के अपने ड्रीम को पूरा करने के लिए साल 2011 से शुरूआत की। विनीत जायसवाल मजबूत तैयारी के बाद भी पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाये, लेकिन इसके बाद भी वह मजबूत इरादों के साथ नये लक्ष्य को लेकर फिर से तैयारी में जुटे, उनका यह प्रयास भी पराजय लेकर आया। दो बार की हार के बाद भी विनीत जायसवाल का आत्मविश्वास कम नहीं हुआ और साल 2013 में उन्होंने सिविल सर्विस एग्जाम को ब्रेक किया। विनीत की इस जुझारू सफलता पर परिवार को गर्व हुआ। आज वह 2014 बैच के युवा आईपीएस अफसर के रूप में अपनी सेवा देने के लिए शामली जनपद में तैनात हैं। पुलिस अकादमी में ट्रैनिंग के उपरांत विनीत जायसवाल को अण्डर ट्रेनी अफसर के रूप में जनपद आगरा में तैनात किया गया। यहां पर छह माह की ट्रैनिंग के दौरान वह थाना इंचार्ज रहे। यहां पर उन्होंने एक थाना प्रभारी के रूप में अपराधियों में पुलिस का खौफ पैदा करने के साथ ही कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर हलचल मचा दी थी।

पुलिस सेवा में आने के बाद यह संयोग ही था कि विनीत जायसवाल को शुरूआत से ही बड़े जनपदों और यूपी के महानगरों में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। आगरा की ट्रैनिंग के बाद उनको शासन ने इलाहाबाद जनपद में भेजा। यहां पर वह लम्बे समय तक तैनात रहे। उन्होंने इलाहाबाद में सीओ थर्ड, सीओ क्राईम, सीओ लांईस, सीओ एकाउंट और सीओ डायल 100 का दायित्व संभालकर उत्कृष्ट कार्यशैली को प्रदर्शित किया। यहां पर ही उनको सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके बाद उनको इटावा जनपद में तैनात किया गया। यहां पर वह जनपद के पहले अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर अपराध उन्मूलन के लिए अपना बेहतर योगदान दे पाये। विनीत जायसवाल को इटावा के बाद गौतमबुद्धनगर में एसपी ग्रामीण और इसके बाद यहीं पर एसपी सिटी के पद पर तैनात किया गया। दिल्ली के नजदीक यूपी के औद्योगिक नगर के रूप में विख्यात नोएडा में देहात और शहर तथा शामली, बुलंद शहर, में चार्ज संभालने के बाद अब शासन ने उनको चंदौली में शासन का इकबाल बुलन्द करने का जिम्मा देकर भेजा है।

*जिस जिले में बेचलर बने, वहां संभाली कानून व्यवस्था*
आईपीएस विनीत जायसवाल के खाकी प्रेम में एक तीसरा संयोग यह भी जुड़ा कि जिस जिले में उन्होंने शिक्षा हासिल की, वहीं पर उनको अफसर के रूप में कार्यरत रहकर कानून व्यवस्था को संभालने का अवसर मिला। पिता राधेश्याम जायसवाल के सर्विस जीवन से ही विनीत के भीतर वर्दी का प्यार जगा था। उन्होंने अपने पिता के अनुशासित जीवन से खुद के अन्दर लक्ष्य हासिल करने और नाकामियों से ना घबराने का हौसला पैदा किया। विनीत जायसवाल की स्कूली शिक्षा पिता के सर्विस में रहने के कारण स्थानांतरण के चलते वाराणसी और कानपुर जनपदों में पूर्ण हुई। इसके बाद 2010 में नोएडा के जेएसएस काॅलेज से विनीत ने कम्प्यूटर साइंस विषय के साथ बी.टेक किया। इसके साथ ही वह मैनेजमेंट के क्षेत्र में भी दक्षता हासिल करने का मन बना रहे थे, इसके दिये दिये गये इंट्रेंस एग्जाम के बाद उनका चयन आईआईएम केरल के लिए किया गया, लेकिन नोएडा से बी.टेक करने के दौरान कभी विनीत ने सोचा भी नहीं था कि उनका जीवन करियर की राह पर ऐसा भी मोड लेगा कि वह एक आईपीएस अफसर के रूप में उसी नोएडा में तैनात रहकर कानून व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने के लिए कार्य करेंगे, जहां उन्होंने अपना छात्र जीवन बिताया है।अब वह चंदौली एसपी के रूप में अपनी सेवा प्रदान रहेंगे। आईपीएस विनीत जायसवाल कहते हैं, ''पुलिस सर्विस भी एक मैनेजमेंट है, यहां पर अपराधियों को कानून व्यवस्था का फाॅर्मूला लगाते हुए भयमुक्त समाज के लिए प्रबंधन ही गुड पुलिसिंग है। उन्होंने कहा कि वह विश्वास दिलाते हैं कि समाज में अपराध कारित करने वालों को जनपद में छिपने का आसरा भी नहीं मिल पायेगा। समाज के हर वर्ग की सुरक्षा के लिए काम होगा। उन्होंने समाज के लोगों से भी पुलिस के प्रति सकारात्मक सोच के साथ सहयोग की अपील की है।''

*नहीं गलेगी किसी की विनीत जायसवाल के आगे दाल*
आपको बताते चलें कि चंदौली जनपद का एसपी बनाए जाने के बाद आईपीएस विनीत जायसवाल को सोशल मीडिया पर बधाई देने वालों का तांता लग गया है। वहीं कुछ सफेदपोश नेता उनके चार्ज लेने से पहले ही अपनी दुकान चलाने की जुगत लगाने लगे हैं। लेकिन अपराधियों के खिलाफ लगातार काल साबित होने वाले युवा आईपीएस विनीत जायसवाल के आगे अब किसी की भी दाल नहीं गलने वाली है। क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि वह सीएम योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक गढ़ के निवासी हैं तो कुछ उसका भी असर देखने को मिलेगा।