सपा के खिलाफ आजमगढ़ से कोंग्रस बसपा का मेगा प्लान

कांग्रेस और बसपा के नेताओं की मुसलमानो के बीच बैठक
केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद बसपा के गुड्डू जमाली के नेतृत्व मे मुसलमानो को जोड़ने की मुहीम तेज़
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आजमगढ़ की लालगंज SC से लड़ सकते है चुनाव


आजमगढ़ 9 जुलाई 2023
आजमगढ़ पिछले तीन दशक से समाजवादी आंदोलन का गढ़ रहा और हमेशा से मुलायम सिंह यादव ने इस सीट को क्षेत्र को अपने दिल और जिगर की तरह से खींचा था लेकिन 2024 में जो समीकरण बनते नजर आ रहे हैं कांग्रेस की सारी निगाहें पूर्वांचल की आजमगढ़ सीट पर है जिसके लिए सलमान खुर्शीद को कांग्रेस ने बतौर नेतृत्व आगे रखा है

सपा मुखिया अखिलेश यादव के आजमगढ सीट छोड़ने के बाद से आजमगढ़ की खाली हुई सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को कड़ी टक्कर दी और आखिर में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी निरहुआ द्वारा समाजवाद की इस धरती पर भाजपा काबिज हो गई

अखिलेश यादव के नेतृत्व की समाजवादी पार्टी को जिस तरह से मुसलमानों के 2022 में वोट दिया यह अपने आप में रिकॉर्ड था लेकिन जल्द मुसलमानो का दिल सपा से निकाय चुनाव में हटता देखा गया, मुसलमानों को महसूस हुआ है की सपा मुखिया अखिलेश यादव मुसलमानो के मुख्य मामलों अपने आप को दूर करते नजर आए हैं, और अखिलेश यादव मुसलमानो को प्रतिनिधित्व तो देना चाहते है लेकिन उन्हें मुसलमान नेतित्त्व खत्म करने में पूरी भूमिका निभाई है

प्रदेश में देखा जा रहा है की धीरे-धीरे मुसलमानों में सपा के खिलाफ मोहभंग हो रहा है यही वजह है कि धीरे धीरे कांग्रेस राहुल गांधी के लंदन में मुसलमानो के लिए दिए बयान के बाद यूपी में मुस्लिम समाज में जगह बना रही है

इसके लिए कांग्रेस ने लखनऊ के बाद आजमगढ़ जिले में सलमान खुर्शीद के नेतृत्व में पूर्वांचल के बुद्धिजीवियों पत्रकारों बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व एक साथ मंच पर नजर आते दिखाई दे रहे हैं, खबर है की कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आजमगढ़ की लालगंज सुरक्षित से चुनाव लड़ सकते है यह संकेत है की कांग्रेस 2024 में सपा के सामने चुनाव में एग्रेसिव होगी

2022 में मुस्लिम अल्पसंख्यक जिसने समाजवादी पार्टी को बहुमत से वोट दिया उस तरह अखिलेश यादव मुसलमानों की आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतरे हैं और धीरे-धीरे जिस तरह से मुलायम सिंह यादव ने मुस्लिम समाज से पूरे उत्तर प्रदेश में नेतृत्व पैदा किया था अखिलेश यादव के बारे में माना जाता है यह प्रभाव वाले मुस्लिम नेताओं को धीरे-धीरे पार्टी में साइडलाइन कर रहे हैं और अपने रहमों करम पर जीने को मजबूर कर रहे हैं यही वजह है कि 2022 में समाजवादी पार्टी की मदद करने के बाद भी मुसलमानों ने जब देखा कि अखिलेश यादव उनका नेतृत्व नहीं कर सकते तो मुसलमान 2024 में धीरे-धीरे कांग्रेस के लिए बहुत तेजी से मन बना रहा है

इसी परिवेश में 9 जुलाई को नेहरू हॉल कलेक्ट्रेट में पूर्वांचल के बुद्धिजीवियों का राजनेताओं का जमावड़ा हो रहा है जिसका आयोजन "इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राईटस" जिसके सलमान खुर्शीद ट्रस्टी है

इस आयोजन में साफ देखा जाए तो मुसलमानों के अहम मुद्दे जिनपर देश भर के राजनेता इकट्ठा होंगे समाजवादी पार्टी ने अपने आप को इस कार्यक्रम से दूर रखा है सलमान खुर्शीद मौजूदगी और नेतृत्व बताता है कि वह अपने आपको उत्तर प्रदेश में दोबारा स्थापित करने के लिए जिले जिले का दौरा कर रहे हैं और उनके साथ पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मदी अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन तलाशने में लगे है

2024 का चुनाव देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में अभी तक भारतीय जनता पार्टी के सामने सबसे बड़ी ताकत समाजवादी पार्टी बनकर उभरी है लेकिन वोट की इतनी शक्ति होने के बावजूद अखिलेश यादव राष्ट्रीय राजनीत के परिवेश में खामोश और सन्नाटे में नजर आ रहे हैं उत्तर प्रदेश के पश्चिम में सूत्रों की माने तो संभल, मुरादाबाद , अमरोहा, सहारनपुर के बाद आजमगढ़ की दोनो लोकसभा पर कांग्रेस अपना बुनियाद मजबूत करने के लिए बसपा के गुड्डू जमाली और मल्लिकार्जुन खड़गे पर दांव लगाने की बिसात बिछ चुकी है!