लोहार समाज का ऑनलाइन बैठक,जातिये पहचान समाप्त करने का लगाया आरोप

आरा - बिहार के बिभिन्न जिला के प्रतिनिधि से जनगणना के सवाल पर सरकार द्वारा लोहार को उपेक्षित करने और जातिये पहचान समाप्त करने का आरोप लगाया। बिहार सरकार पर लोहार उपेक्षा का आरोप लगाया और जनगणना वहिष्कार का निर्णय लिया। कारण लोहार मूल जाति है और उसका कोड आवंटित नही है। बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष राज किशोर शर्मा ने बताया कि कुल सात कारण जिसके कारण जनगणना वहिष्कार का निर्णय लिया गया है। जो निम्नलिखित है
*1- लोहार को अनुसूचित जनजाति के सुप्रीम कोर्ट में विवादित केस में बिहार सरकार द्वारा जान बुझ कर हार जाने के विरोध में जातिय जनगणना के बहिष्कार का फैसला किया गया है,*
*2- 5 लाख की दण्ड-राशि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चुका देना और रिभीजन के लिये कोर्ट में बिहार सरकार की ओर से लोहार समाज के पक्ष में नहीं जाना और अनुसूचित जनजाति की सुविधा से वंचित करने के खिलाफ जातिय जनगणना के विरोध का फैसला किया गया है,*

*3- किसी भी तरह से बिहार के मूल जाति लोहार के समस्या को हल करने का प्रयास नहीं करने के कारण जातिय जनगणना का विरोध का फैसला किया गया है,*
*4- *चूँकि "कमार" और "लोहारा/लोहरा" कोई जाति नहीं है जिसका कोई आस्तित्व ही नहीं है मतलब लोहारा/लोहरा बिहार में कहीं भी मौजूद नहीं होने के बावजूद उसके लिये अलग कोड दिया गया है और हाँ, बिहार के गांव-नगर-शहरों की आम जनता के साथ साथ मुखिया, सरपंच, विधायक व सांसद तक जानते व समझते हैं कि मूल जाति लोहार ही है। जो हरेक जगह मौजूद हैं और यह भी कि *लोहार को ही पर्यावाची/अपभ्रंश या कहें कि बोल-चाल में लोहारा या लोहरा या लुहारवा या लोहारवा तक कहा करते हैं...... इसी क्रम में यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य स्तर पर बसने व रहनेवाले लोहार का सरकारी विभागों में खतियान में भी लोहार ही वर्णित/लिखित है जो कि पटवन/मालगुजारी व चकबंदी के साथ साथ अन्य लगान वाले रसीदों/कागजातों में भी लोहार ही प्रमाणिक हैं...... तो फिर इन सभी प्रमाणों के बावजूद हम लोहारों को गुमराह करने के कारण भी जातिय जनगणना का विरोध का फैसला किया गया है,*

*5- लोहार ही मूलजाति है मगर मूलजाति में जनगणना का कोड नहीं है और उप-जाति में लोहार को दर्शाने के कारण भी लोहार समाज का गिनती करने से हमसभी ने जातिय जनगणना के बहिष्कार का फैसला लिया है*

*6- यह मामला चार बार विधानसभा में उठाकर चर्चा में ध्यानाकर्षण के लिये लाया गया....... मगर कोई आवश्यक व सकारात्मक करवाई नहीं हुई, इसलिये भी जातिय जनगणना के विरोध में बहिष्कार का फैसला किया गया है,*
*7- मूलजाति लोहार को हिन्दी/देवनागरी के साथ-साथ रोमन लिपि के अनेक स्पेलिंग में एक मूलजाति संविधान में वर्णित *LOHARA/LOHRA* *को अनेक जातियों में बांटकर* *बिहार के मूल जाति लोहार को गुमराह करने के लिए *कमार कर्मकार की उपजाति में ज़बर्दस्ती बांटकर रखना और स्पेलिंग मामला को जांच कर सुधार और रिपोर्ट नहीं करने व बिहार के लोहारों को उलझाकर रखने के कारण भी हमलोगों ने जातिय जनगणना के बहिष्कार का फैसला लिया है,*
*वीदित हो कि बिहार के मूल जाति लोहार समाज के लोगों ने बिहार सरकार के माननीय सभी स्तर के अधिकारियों के साथ साथ मुख्यमंत्री तक व केंद्र सरकार तक केंद्रीय मंत्री तक व सभी स्तरों पर ध्यानाकर्षण हेतु सभी स्तर पर गुहार लगायी गई............ इसी क्रम में गत 3 अप्रैल'2023 को पटना के गर्दनीबाग में ध्यानाकर्षण सूचना हेतु सरकार द्वारा निर्धारित स्थल पर (धरनास्थल पर) प्रोटेस्ट का ज्ञापन पटना सचिवालय में सक्षम पदाधिकारी के माध्यम से *मुख्य मंत्री, बिहार सरकार तक त्राहिमाम संदेश मूल लोहार जाति की जातिय जनगणना हेतु अलग कोड के संबंध में त्वरित कार्रवाई करते हुए जातिय जनगणना शुरू करने से पहले दिया जाय....... लेकिन इसमें भी विलंब को देखते हुए उचित न्यायपूर्ण रुख नहीं दिखने के कारण भी जातिय जनगणना के बहिष्कार का फैसला किया गया है,*

******* *मतलब साफ है कि बिहार सरकार बिहार के मूल जाति 40 लाख लोहारों को अपमानित कर सकारात्मक परिणाम के लिए असंवेदनशीलता दिखा रही है....... फलस्वरूप अपमान व व्याप्त समाजिक समस्या के निदान की मनसा नहीं दिखा रही तो लोहार को तुच्छ समझना तथा स्पेलिंग में उलझाकर अनुसूचित जनजाति (S. T.) का लाभ नहीं देना.................................... उपरोक्त सभी पहलुओं के कारण बिहार की मूल जाति लोहार समाज के समस्याओं पर सरकार की असंवेदनशीलता की निंदा करते हुए सार्वजनिक रूप से जातिय जनगणना का विरोध कर जनगणना में अपना कोई जानकारी नहीं देने का निर्णय लिया है....*
इस निर्णय का जनकारी मेल से मुख्यमंत्री मुख्य सचिव को भेज दिया गया है और पुरे बिहार में लोहार जनो के बिच ऑनलाइन बहिस्कार अभियान चल रहा है