आखिर किसकी शह पर सोनभद्र में सरकार की आर्थिक कमर तोड़ रहे पासर।

प्रमोद गुप्ता (9005392789)

पासर पास प्रशासन फेल

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश जनपद अशिक्षा गरीबी व भूखमरी के लिए कभी जाना जाता थाl एक समय वह भी था जब लगभग डेढ़ दशक तक यह जनपद माओवादियों की गिरफ्त में आने से चर्चा का विषय बना लेकिन पिछले 20 वर्षों से इस जिले में अवैध खनन सरकार को जितनी क्षति पहुंचाई है शायद उतनी क्षति किसी अन्य कारणों से नहीं हुई होगीl
वर्तमान में करीब पिछले 3 वर्षों से जनपद में एक और खेल पासरो द्वारा शुरू हो गया है जो सरकार की आर्थिक कमर तोड़ रहा है l
जनपद में एक संगठित गिरोह की तरह उभरे पासरो के आगे प्रशासन भी बेबस नजर आ रहा है। खनन महकमा स्वीकार करता है कि इस खेल में सैकड़ों नौजवान शामिल है जिनके ऊपर नामजद व अज्ञात के रूप में प्राथमिकी भी दर्ज हो चुकी है।
जनपद के खनन क्षेत्रों के इर्द-गिर्द व हाईवे पर इन दिनों सैकड़ों युवा महंगी बाइकों व कारों के साथ देखे जा सकते हैं जिनमें तमाम पारिवारिक पृष्ठभूमि अभी कुछ माह पूर्व तक ऐसी थी जिसे कहा जा सकता है कि किसी तरह गाड़ी चल रही है
लेकिन देखते ही देखते कई ऐसे युवक लाखों के मालिक बन बैठे हैं आखिर उनके पास अचानक धन वर्षा कहां से हो गई।
तमाम लोगों का कहना है कि यह युवक एक संगठित गिरोह बनाकर खनन क्षेत्रों से खनन सामग्री लेकर जाने वाले वाहनों को बगैर परमिट के ही पास कराने का ठेका ले लिए हैं यह युवक ओवरलोड व बगैर परमिट की गाड़ियों का पूरा व्योरा रखते हैं व सड़कों पर एक निश्चित दूरी बनाकर कई स्थान पर खड़े रहते हैं। कहा जा रहा है कि चोपन से लेकर सुकृत तक यह खनन सामग्री जांच करने वाले अधिकारियों या उड़न दस्ते की लोकेशन चालकों को देते रहते हैं कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस खेल में खनन विभाग पुलिस प्रशासन, परिवहन विभाग व खनन प्रभारी के कार्यालय से भी कई लोग जुड़े हुए हैंl
पिछले कुछ महीनों में खनन कार्यालय के कुछ अधिकारियों द्वारा इस तरह कार्य करने वाले युवकों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है और कुछ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा चुका है जबकि यदि प्राथमिकी में दर्ज संख्याओं को देखा जाए तो गिरफ्तारी नाम मात्र ही कहा जा सकता है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर यह खेल किसके इशारे पर हो रहा है इतना ही नहीं तमाम गाड़ियां सड़क पर बगैर नंबर प्लेट की देखी जा सकती हैं आखिर यह पासर किसकी शह पर इतना बड़ा खेल खेल रहे हैं?
क्या इन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है या जनपद के आला अधिकारियों का यह खेल देखकर तमाम नौजवान जो बेरोजगार बैठे पड़े हैं वह भी या तो कुंठा ग्रस्त हो रहे हैं या सरकार के प्रति अपनी भड़ास निकाल रहे हैंl