धूमधाम से वीणा पुस्तक धारिणी मां सरस्वती की प्रतिमा को किया गया विसर्जन।

वाल्मीकि नगर से अभिमन्यु कुमार गुप्ता की रिपोर्ट।

वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र के सभी सरकारी, गैर सरकारी, शिक्षण संस्थान एवं विभिन्न जगहों पर स्थापित ज्ञान की देवी सरस्वती माता की मूर्ति का विसर्जन किया गया। आसपास के लोग तो गंडक बराज की तेज धारा में मूर्ति विसर्जित करते ही हैं

साथ ही साथ दूरदराज के लोग भी गंडक बराज में ही आकर मूर्तियों को विसर्जित करते हैं। बड़ी आस्था के साथ हंस वाहिनी सरस्वती माता की मूर्तियों को लेकर छात्र-छात्राओं की टोलियां नजर आई। सरस्वती माता की जय, वीणा वादिनी की जय, वीणा पुस्तक रंजित हस्ते आदि नारे चारों तरफ गुंजायमान हो रहे थे। गंडक बराज पुल के आसपास के इलाके में मेला का माहौल रहा। नाचते गाते झूमते हुए शारदा माता के उपासक गंडक बराज पर आकर अपनी मूर्तियां विसर्जित किए। विदाई कैसे करी, हमरा के छोड़िके आदि विदाई गीतों से सरस्वती माता को विदाई दी गई । ट्रैक्टर आदि विभिन्न वाहनों पर अबीर,गुलाल लगाए हुए छात्र- छात्राओं कहीं उत्साहित तो कहीं उदास नजर आ रहे थे। विदाई का माहौल ऐसे भी दुखदाई होता है।कई दशक बाद ऐसा मौका आया जब गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी एक ही दिन मनाया गया। वाल्मीकि नगर थानाध्यक्ष शशि शेखर चौहान के नेतृत्व में विसर्जन के लिए निकली गाड़ियों के पीछे जुटी भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस बल की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। वही सशस्त्र सीमा बल 21वीं वाहिनी के कमांडेंट श्री प्रकाश के नेतृत्व में भी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। लगभग सभी पंडालों की मूर्तियां खबर लिखे जाने तक विसर्जन के कगार पर थी । कुछ मूर्तियां विसर्जित हो चुकी थी । कुछ का विसर्जन बाकी था। थानाध्यक्ष शशि शेखर चौहान ने चेतावनी देते हुए कहा कि मूर्ति विसर्जित करने के लिए नदी या नहर की तेज धारा में कोई भी ना जाएं । ऐसी मान्यता है कि सरस्वती पूजा के साथ ही अबीर गुलाल की शुरुआत हो जाती है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक कई पंडालों में स्वरांजलि सेवा संस्थान के कलाकारों ने भजन गाकर और एक दूसरे को अबीर,गुलाल लगाकर एक दूसरे से प्रेम भाईचारा का इजहार किया।