मेयर को अपनो का विरोध पड़ सकता है भारी,विरोधी लॉबी की उमेश गौतम के विरुद्ध जोरआजमाइश जारी

5 साल पहले भाजपा के पैराशूट उम्मीदवार के रूप मे 3 दर्जन से अधिक मेयर सीट के दावेदारों को पछाड़कर टिकट की बाजी मारते हुए जीत हासिल करने बाले महापौर उमेश गौतम को इस बार अपना टिकट बचाने मे काफी मशक्कत और मेहनत करना पड़ सकती है।बरेली भाजपा के नेताओ का एक बड़ा ग्रुप महापौर उमेश गौतम के खिलाफ लॉबी तैयार कर उनके विरूद्ध दिख रही एंटी इंकंबेंसी को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाकर उनका पत्ता साफ करने मे लगा हुआ है।जिससे उनके टिकट पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।भगवा ब्रिगेड के सूत्रों का कहना है कि पार्टी के आंतरिक सर्वे मे मेयर उमेश गौतम का बरेली की पब्लिक से पिछले 5 बर्षों के दौरान जुड़ाव और संवाद अच्छा नहीं रहा है ।सर्वे रिपोर्ट मे यह बात सामने आई है कि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते पब्लिक से जो कनेक्ट और जुड़ाव होना चाहिए,वो उमेश गौतम के 5 बर्षों के महापौर कार्यकाल और जनप्रितिनिधित्व मे नज़र नहीं आया है।इसलिए बरेली मे अगर भाजपा ने उन्हें फिर से चुनाव मैदान मे उतारा तो पार्टी को कहीं इसका खामियाजा न भुगतना पड़े,इसे लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व महापौर के लिए प्रत्याशी चयन का कार्य बहुत सोच-विचार करके तय करना चाहता है।17 बर्ष बाद बरेली मेयर की जीत भगवा कैंप की झोली मे डालने बाले उमेश गौतम 2017 के मेयर चुनाव से कुछ दिन पहले ही बसपा से भाजपा मे शामिल हुए थे और उन्होंने बरेली के कई वर्तमान नेताओं को पछाड़ते हुए महापौर टिकट की बाजी मारी थी।उस चुनाव मे उन्होंने सपा के डा.आई एस तोमर को हराकर मेयर के सिंघासन पर कब्जा जमाया था।लेकिन भाजपाई सूत्र बताते हैं कि 5 बर्षों के दौरान उनकी कार्यशैली और व्यवहार भाजपा की ज़मीनी राजनीति से बिल्कुल उलट रहा है और इस दरम्यान जनता से उनका जुड़ाव अच्छा नहीं रहा है।इसके अलावा भाजपा के मेयर विरोधी लॉबी सूत्रों का यह भी कहना है कि पार्टी ने हाल ही मे जो सर्वे कराया है उसमें भी बरेली के विकास व अन्य मुद्दों पर मेयर के विरुद्ध एंटी इंकंबेंसी फैक्टर साफ नज़र आया है और इसकी रिपोर्ट पार्टी के प्रदेश आलाकमान के साथ-साथ राष्ट्रीय नेतृत्व तक जा चुकी है।सूत्रों का यह भी कहना है कि सर्वे रिपोर्ट मे मेयर को लेकर कुतुबखाना एवं अन्य पुलों के कारण व्यापारियों की भी नाराज़गी देखी गई है।इसके अलावा बरेली मे पार्टी के कई बड़े नेता भी मेयर उमेश गौतम के खिलाफ लॉबी बनाकर उनका पत्ता साफ करने की कोशिशों मे जुटे हैं और इस बार किसानों नये चेहरे को बीजेपी की नौका की सवारी कराने के लिए जोर-आजमाइश मे कर रहे हैं।जिसमें पार्टी के पदाधिकारी और बड़े जनप्रितिनिधि भी शामिल हैं।हालांकि मेयर उमेश गौतम अपने टिकट को लेकर बेफिक्र और आश्वस्त नज़र आ रहे हैं।क्योंकि उन्होंने अपनी मजबूत सियासी पकड़ और रसूख के दम पर पिछले चुनाव के दौरान बसपा से भाजपा की तरफ रूख कर महज़ कुछ समय मे ही करीब 3 दर्जन से अधिक मेयर दावेदारों को पटखनी देते हुए मैदान मार लिया था।भगवा ब्रिगेड भबहरहाल आरक्षण के मुद्दे पर निकाय चनाव 4"-5 माह टलने की भरपूर संभावना के बाद अब टिकट को लेकर दावेदारो को अधिक जोर लगाने और अपने विरुद्ध एंटी इंकंबेंसी कम करने और समय मिल गया है।