कूड़े-कचरे में भोजन तलाशने को मजबूर गायें

गोंडा। ब्लॉक क्षेत्र में गौशाला होने के बावजूद भी गाय कस्बे की गलियों में पड़े कूड़े में भोजन तलाशने को मजबूर है।आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में सैंकड़ों की संख्या में गाय, उनके बछड़े व सांड़ अपना पेट भरने के लिए दर-दर की ठोकरें खाते फिरते रहते है, लेकिन ना तो प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान है और न ही गायों के हक में लड़ाई लड़ने वाले समाज के ठेकेदारों का। कस्बा वासियों ने बाजार में बेसहारा घूम रहे छुट्टा जानवरों को गौशाला में पहुंचाने की मांग की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ब्लॉक क्षेत्र में छुट्टा जानवरों के लिए गांव रानीपुर व ग्राम पंचायत कंचनपुर में गौ-आश्रय केंद्र है, उसके बावजूद भी जानवर बेसहारा हो चुके हैं। ना तो उनके रहने की व्यवस्था है और ना ही खाने की। जिस कारण गायें अपनी भूख मिटाने के लिए कभी किसी के दरवाजे पर तो, कभी कूड़े के ढेर में भोजन की तलाश में लगी रहती हैं, लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नही है।कस्बा वासियों का कहना है, कि ऐसा नही है कि इन बेसहारा पशुओं के लिए सरकार ने कोई मुहिम न बनाई हो,लेकिन ये मुहिम सिर्फ कागजों तक ही सीमित है,जबकि धरातल पर हकीकत कुछ और है।

गोशाला में है पर्याप्त स्थान

लोगों का कहना है,कि इटियाथोक ब्लॉक में गांव रानीपुर व कंचनपुर ग्राम पंचायत के गोशाला में गायों के रख-रखाव के लिए पर्याप्त स्थान है, वहीं नरौरा-भर्रापुर और अर्जुनपुर ग्राम पंचायत में गौशाला का निर्माण कराया जा रहा है।इसके बावजूद भी सैंकड़ों की संख्या में गौ वंश सड़कों व गलियों में भटकने को मजबूर है।आज समाजिक व धार्मिक संस्थाएं गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए तो सरकार से लड़ाई लड़ने को तैयार हैं, लेकिन इन भटकते गौ वंश की ओर किसी का भी ध्यान नही है। लोगों ने गलियों में घूमने वाले गौ वंश को गौशाला में छोड़े जाने की मांग की है।