कलेक्टर साहब एक नज़र इधर भी...अवैध शराब परोस कर आलीराजपुर को उड़ता पंजाब बनाने पर तुला है ठेकेदार अल्केशिया, उसके गुर्गे भी नहीं पीछे,चार पहिया वाहनों के साथ दो पहिया वाहनों के जरिए वाइन शॉप से

कलेक्टर साहब एक नज़र इधर भी...अवैध शराब परोस कर आलीराजपुर को उड़ता पंजाब बनाने पर तुला है ठेकेदार अल्केशिया, उसके गुर्गे भी नहीं पीछे,चार पहिया वाहनों के साथ दो पहिया वाहनों के जरिए वाइन शॉप से ही करा रहें शराब की सप्लाई... सीएम शिवराज ने कहा है छपी हुई खबरों को नज़र अंदाज़ ना करें, उन पर तत्काल कार्यवाही हो...

अलीराजपुर निप्र। शराब के सफेदपोश सरकारी ठेकेदार अल्केशिया और उसके गुर्गे आलीराजपुर को उड़ता पंजाब बनाने पर तुले हुए हैं, और उनकी इस सोच में कहीं ना कहीं जिम्मेदार आबकारी विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं। ज़िलेभर में शराब ठेकेदार अल्केशिया अपने अवैध शराब के कारोबार को आबकारी की मिलीभगत से फेला चुका है। यही अल्केशिया गांधी के गुजरात में भी अपने गुर्गों की मदद से शराब सप्लाई करता है। इसके गुजरात में शराब सप्लाई करने वाले गुर्गों के नाम और उनके तरीकों के साथ इस पर दर्ज केसों के बारे में हम आपको अगले अंक में बताएंगे। फिलहाल हम बात करें आदिवासी बहुल आलीराजपुर ज़िले की तो यहां के ग्रामीणजन पारंपरिक महुए की शराब का ही सेवन और उपयोग करते हैं। इस शराब का उपयोग तीज- त्यौहार से लेकर ब्याह- शादी, मृत्य पश्चात गमी के रीति रिवाजों, कुल मिलाकर हर कार्य में महूए की शुद्ध पारंपरिक तरीके से बनी हुई शराब का ही सेवन किया जाता है। पर काली कमाई के लालच में अल्केशिया अवैध और घटिया क्वालिटी की शराब बेचकर ज़िले के आदिवासी युवा और बुजुर्गो की नशों में ज़हर घोल रहा है। सूत्रों के अनुसार प्रशासन अगर सही जांच करे तो ज़िले की सरकारी शराब दुकानों पर जो शराब बिक रही है,वह घटिया स्तर की मालूम होती हैं।

आबकारी अधिकारी भी चांदी का जूता खाकर लगे जी हुजूरी में, मौन होकर नहीं करते कार्यवाही....

ज़िले का आबकारी अमला तो मानों शराब माफियाओं के आगे घुटने टेक चुका है, तभी तो इक्का- दुक्का कार्यवाही के अलावा अवैध शराब परिवहन को रोकने के लिए कोई बड़ी कार्यवाही आज तक नहीं की गई। आबकारी के अधिकारी शराब ठेकेदार और उसके गुर्गों के आगे घुटनों पर बेंठे नज़र आते हैं, खाते सरकार की है और बजाते अवैध रूप से शराब की तस्करी करने वाले अल्केशिया की। ज़िले के कलेक्टर साहब को भी इस और ध्यान देने की जरूरत है। बहरहाल अब देखना यह होगा कि इस पुरे काले व्यापार पर सख़्त वैधानिक कार्यवाही कब होती हैं और ज़िले के युवाओं को इस घटिया शराब से कब मुक्ति मिलती हैं।