भोर में देखे सपने हमनें ..

संकिसा- फर्रुखाबाद के नगर पंचायत संकिसा के रहने वाले अतुल फर्रुखाबादी जो एक लेखक हैं आज रविवार के दिन उन्हीं लिखी हुई रचना बच्चों के लिए,

भोर में देखे सपने हमने।

भूला दिऐ सब अपने हमने।

आंगन-आंगन चौखट-चौखट

खेल-कूद कर दौड़-भाग कर ।

रखकर मां की गोद में खुद को,

खूब जिऐ है बचपन हमनें,

भोर में देखे सपने हमने,

भूला दिऐ सब अपने हमने ।।

शाम को जब सूरज भागा

पेड़-पहाड़ सब लेकर भागा

उसके साथ में हम भी भागे

कभी खेत में कभी सड़क पर

कभी खाई में कभी बाग में,

फिर हमने मुड़ पीछे देखा,

घर से बहुत दूर मैं भग आया,

पर सूरज को पकड़ न पाया,

कभी धूप कर कभी छांव कर,

उसने हमको खूब छकाया,

ऐसी भी शाम बिताई हमने ।

भोर में देखे सपने हमने,

भूला दिऐ सब अपने हमने ।।

पापा जब बाजार से आऐ

गजक समोसा साथ में लाऐ ।

दादी थीं कोटेदार हमारी,

दिया गजक-समोसा बारी-बारी,

बडो़ को कम छोटों को ज्यादा,

दादी थी होशियार हमारी,

अपना खाकर छोटों सें छीना,

फिर खूब कुटाई खाई हमने।

ऐसे भी जिऐ है बचपन हमने

भोर में देखे सपने हमने

भूला दिऐ सब अपने हमने।।

अतुल फर्रुखाबादी की फेसबुक वाल से ।।