साल के पहले त्योहार हरेली पर बच्चों ने चड़ें गेड़ी ,युवाओं ने फेके नारियल

देव यादव:-बेमेतरा नवागढ़/संबलपुर:-ग्राम जैतपुरी में लोक पर्व हरेली कि धूम गुरुवार को ग्रामीण क्षेत्रों में दिखते ही बन रही थी। किसानों ने कृषि औजारों की पूजन किया । गांव व परिवार की सुरक्षा की कामना के साथ कुलदेवता और ग्राम देवताओं की पूजा भी की गई । पूरे समय नारियल फेंक समेत अन्य खेलों के जरिए परंपरा का निर्वहन किया गया ।हरेली के त्यौहार परंपरिक तौर पर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।किसानों ने अपने पशुधन को लोंदी खिलाया और कृषि औजारों की साफ-सफाई कर पूजा अर्चना कर गुरहा चिला और भजिया छत्तीसगढ़िया पकवानों का भोग के रूप में अर्पित किया गया। हरेली पर्व पर बच्चों ने गेड़ी का आनंद लिया। वही गांव में परंपरिक खेलकूद फुकड़ी कबड्डी भी हुई यदुवंशियों ने किसानों के द्वार पर नीम की टहनी खोंची गई और लोहार ने पंच धातु से बनी कील ठोकी गई। युवाओं ने नारियल फेक व तोड़ने जैसी प्रेतियोगिताएं आयोजित की गई।
पशु को खिलाई औषधि लोंदी

हरेली के दिन बैल और गाय की सेहत की चिंता भी किसान करेंगे आटे में दस्मुल और बांगगोंदली (एक तरह की जड़ीबूटी) है गेहूं आटे से बनी हुई लोंदी औषधि को मिलाकर खिलाएं गए ताकि उन्हें कोई बीमारी ना हो बारिश के दिनों में पशुओं को कई तरह की बीमारी हो जाती है। इसलिए यह औषधि इन बीमारियों को होने से बचाती है पशुधन स्वस्थ रहते हैं । किसानों ने 1 दिन पूर्व ही हरेली त्योहार की तैयारी कर ली थी, महिलाओं ने अपने घर आंगन को लिप- बाहरकर विशेषकर पशुधन को रखने के कोठे की साफ सफाई की। देव यादव ने बताया कि हरेली त्यौहार से किसानों और पशुधन के आराम के दिन शुरू होते हैं।पुराने जमाने में हरेली से पहले बोवाई, बियांसी काम पूरा हो जाता था। फसल के पकने तक पशुओं को भी आराम मिलता था। किसान केवल खेतों में निगरानी के काम ही करते थे।

पारंपरिक तरीके से कृषि औजार की पूजा की

किसानों ने सुबह से ही कृषि के औजार ,हसीया, तंगली, रापा, रपली,हल ,जुड़ा ,सब्बल ,कुदाली जैसे कई औजारों जो कृषि कार्य में सहायक उपकरणों औजारों को पहले सफाई करके । फिर उन्हें घर आंगन के स्वच्छ स्थानों में रखा। इसके बाद फुल हल्दी- रोली और अक्षत पूजन किया गया वही भगवान से अच्छी फसल की कामना की। पारंपरिक पकवानों का प्रसाद का भोग के रूप में अर्पित किया गया स साथी ही छत्तीसगढ़ में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है किसानों को फसलों की बुवाई कर नींदाआई ,गुड़ाई व बियांसी के बाद कृषि औजारों की पूजा -अर्चना करते हैं गौशाला व घर के पूजन कक्ष में कुल देवता की पूजा और नगर में स्थित ग्राम देवता का पूजन कर सभी विपत्तियों को दूर करने की कामना की। सुबह से ही उत्सव का माहौल रहा । बच्चों से लेकर बड़े भी लोकपर्व के रंग में रंगे रहे ।जगह-जगह लोकगीत की प्रस्तुति से हरेली की खुशियां सजती रही। इस दिन विशेष रूप से गुड़ का चीला खुरमी, ठेठरी अन्नरस बोबरा जैसे एक से एक बढ़कर एक पारंपरिक पकवान बने।

द्वार पर लगाई नीम की टहनी चौखट पर ठोंकी कील

हरेली के दिन पशु चरवाहा यादवों की ओर से किसानों के घरों में जाकर नीम की टहनी खोंची जाती हैं वहीं गांव में किसानों के कृषि औजारों को बनाने वाले व उसमें धार लगाने वाले लोहार किसानों के घरों में पहुंचकर प्रवेश द्वार में पंचधातु से बनी कील ठोकते है । ऐसी मान्यता है कि द्वार पर नीम की टहनी होने से बारिश में होने वाले संक्रमण से घरों की सुरक्षा होती है। वहीं कील ठोंकने से घरों में अनिष्ट के प्रवेश से बचा जा सकता है। किसान यादवों एवं लोहार को इनके एवज में धान चावल दाल एवं घर में बने व्यजन भेट करते हैं।

प्रतियोगिता भी हुई

हरेली पर्व पर बच्चों ने बांस से बनी हुई गेड़ी का आनंद लिया ,गेडी का आनंद बच्चे डेढ़ माह तक लेंगे जिसके बाद भादो माह में तीज के उपवास के बाद गेडी को तालाब में विसर्जित करने की परंपरा है इसके अलावा गांव के परंपरिक खेल फुगड़ी व खो-खो का युवतियों ने आनंद लिया

युवाओं ने फेंके नारियल

हरेली पर गांव में कबड्डी व नारियल फेक प्रतियोगिता भी हुई ।सुबह पूजा अर्चना के बाद युवाओं की टोली ने नारियल हारने -जितने का सिलसिला शाम तक चलता रहा।