माननीय मुख्यमंत्री जी एसपी लिपि सिंह पर इतनी मेहरबानी क्योंपुलिस हिरासत में कोसी के डॉन संजय देव उर्फ पप्पू देव (51 वर्ष) की मौत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई है। इसमें मौत की वजह ब्रेन में हेमाट

पुलिस हिरासत में कोसी के डॉन संजय देव उर्फ पप्पू देव (51 वर्ष) की मौत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई है। इसमें मौत की वजह ब्रेन में हेमाटोमा के कारण कार्डियो रेसपिटरी सिस्टम का फेल होना बताया गया है। साथ ही रिपोर्ट में पप्पू के पूरे शरीर पर जख्म के 30 गंभीर निशान भी बताए गए हैं। ये निशान हार्ड एंड ब्लंट वस्तु के प्रहार के हैं। रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।

रिपोर्ट ने पुलिस की उस थ्योरी पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं, जिसमें कहा गया था कि पुलिस मुठभेड़ के दौरान पप्पू दीवार से छलांग लगाकर भाग रहा था। पुलिस गिरफ्तार कर थाने ले आई। अचानक रात दो बजे उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की। उसे इलाज के लिए अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। अगर पुलिस की इस थ्योरी पर विश्वास कर भी लिया जाए तो बड़ा सवाल यह है कि पप्पू के पूरे शरीर पर जख्म के निशान कैसे आए?

पोस्टमार्टम 19 दिसंबर को सदर अस्पताल के तीन डॉक्टरों ने किया था। इस दौरान दो डॉक्टर बाहर के भी मौजूद थे। रिपोर्ट सदर अस्पताल के MO डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद, डॉ. एसके आजाद, एसडीसी नीरज कुमार सिन्हा, डीएस डॉ. एसपी विश्वास के हस्ताक्षर से जारी किया गया है। सिविल सर्जन डॉ. अवधेश कुमार ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ओपन है। पोस्टमॉर्टम के समय की वीडियोग्राफी भी कराई गई थी। रिपोर्ट में सब कुछ स्पष्ट रूप से लिखा है।

सिर में खून जमा हो गया था

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पप्पू देव की मौत का कारण सामान्य हार्ट अटैक नहीं था। पप्पू के ब्रेन की नस फट जाने के कारण सिर में पूरा खून जमा होना है। जिसकी वजह से हार्ट और सांस लेने का पूरा सिस्टम फेल हो गया। सिर में जहां खून जमा हुआ वहां गंभीर चोट का निशान भी पाए गए हैं।

पुलिस हिरासत में हुई मौत

सहरसा में कुख्यात पप्पू देव की 19 दिसंबर की अहले सुबहपुलिस हिरासत में मौतहो गई। पुलिस का कहना है कि 18 दिसंबर की रात पप्पू देव और उसके गुर्गों के साथ पुलिस मुठभेड़ हुआ था। इसमें जमकर गोलीबारी हुई। मुठभेड़ के बाद ही पुलिस ने पप्पू देव को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसने सीने में दर्द की शिकायत की। पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

ये निशान हार्ड एंड ब्लंट वस्तु के प्रहार के हैं। रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। बिहार के एक रिटायर्ड डीआईजी ने सहरसा एसपी लिपि सिंह को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि एसपी लिपि सिंह को दायित्व का ज्ञान नहीं है। अगर पुलिस ही सजा देने लगे तो फिर कोर्ट का क्या काम ?


भोथरे हथियार से हत्या!

बिहार के पूर्व आईपीएस अधिकारी सुधीर कुमार ने पप्पू देव की पुलिस हिरासत में हत्या की बात कही है। उन्होंने कहा कि अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने है। इस आधार पर कहा जा सकता है पप्पू देव की हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों द्वारा समर्पित शवच्छेदन प्रतिवेदन से तो स्पष्ट है कि पप्पू देव को बुरी तरह किसी भोथरे हथियार से पीटपीट कर मारा गया था । निस्संदेह यह पुलिस अभिरक्षा में की गई नृशंस हत्या का मामला है ।

रिपोर्ट के आधार पर सहरसा पुलिस हत्या का दोषी-सुधीर कुमार

रिटायर्ड डीआईजी ने कहा पत्रकार अली को बताया कि कुछ लोगों के अनुसार पप्पू देव एक अपराधी था और उसकी हत्या को ज्यादा महत्त्व नहीं दिया जाना चाहिए । क्या यह सही नजरिया है ? फिर न्यायालय की क्या जरुरत है ? तब तो सरकार को कानून बनाकर पुलिस को अधिकार दे देना चाहिए कि वह अपनी अभिरक्षा में स्वविवेक से किसी अपराधी की हत्या करने को स्वतंत्र है। मुझे लगता है कि पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह को अपने दायित्व का उचित ज्ञान नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया तो यही लगता है कि सहरसा पुलिस हत्या का दोषी है ।

आखिर हत्या क्यों की गई ?

उन्होंने कहा कि खैर ,यह बात उजागर होनी चाहिए कि आखिर हत्या क्यों की गई ? क्या सच में पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी ? यदि गोलीबारी हुई थी,जैसा बताया जा रहा है ,तो क्या हथियार जब्त किये गए थे और उसपर अभियुक्त के फिंगरप्रिंट मौजूद हैं ? यदि नहीं ,तो फिर मुठभेड़ की कहानी को सच कैसे माना जा सकता है ? आखिर पुलिस किस वारण्ट के निष्पादन के लिए वहाँ गयी थी ? पुलिस का शाब्दिक अर्थ ही अभिरक्षक है । वह दूसरों की या अपनी रक्षा के लिए तात्कालिक परिस्थिति से बाध्य होकर किसी की हत्या कर सकती है और यह अधिकार आम जनता को भी है । लेकिन ,सहरसा पुलिस को स्पष्ट करना ही होगा कि किस परिस्थिति में वह पप्पू देव की हत्या करने को बाध्य हुई थी। यदि पर्याप्त कारण स्पष्ट करने में वह असफल रहती है ,तो उसे हत्या के अभियुक्त के रूप में न्यायालय में प्रस्तुत होना ही होगा ।

पप्पू देव की पुलिस हिरासत में हत्या यह विरला उदाहरण

आईपीएस सुधीर कुमार ने कहा कि हत्या के लिए थानेदार दोषी है या डीएसपी या एसपी या तीनों या फिर अन्य -यह भी वरीय पदाधिकारियों को स्पष्ट करना होगा । जनता को विश्वास करना चाहिये कि ऐसा ही होगा । हो सकता है कि रजनीश कुमार का जिला पार्षद बन जाना ही पप्पू देव के लिये काल बन गया हो । स्वतंत्र भारत में पुलिस अभिरक्षा में इस तरह की हत्या का यह विरला उदाहरण होगा । हत्याएँ होती हैं ,पर उसे पुलिस मुठभेड़ का रूप देकर छिपाने का प्रयास किया जाता है । यहाँ तो ऐसा भी कुछ नहीं है । मेरे पास निंदा और भर्त्स्ना के लिये उचित शब्द नहीं हैं । खैर ,मुझे विश्वास है कि प्रशासन उचित जाँच और कार्रवाई जरूर करेगा ,अन्यथा जनता के मन -मस्तिष्क में कानून का कोई अर्थ ही नहीं रह जायेगा । जय हिंद ।

सूत्र से आप माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा फैसला लेना एक टिप्पणी साधारण करना भी उचित नहीं समझते सरकार गीर नहीं जाये इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी आरपीसी सिंह की बेटी पर कार्रवाई करना भी उचित नहीं समझते हैं माननीय मुख्यमंत्री जीबिहार मेंमुखिया होकर भी एक न्याय नहीं दिला पा रहे हैं परिवार पर यह कैसा अनुसंधान है । क्या बिहार मैंं घूम लेने सेेे समाज सेवानहीं पूरी हो सकती हैं माननीय मुख्यमंत्रीजी बिहार मे समाज सेवा आपकी अधूरी रह गई है एक परिवार के सदस्य को न्याय दिलानेे में आप की पार्टी आपकी सरकार जनता के नजर मेंं एक अधूरी बनकर रह गई है ।