स्त्रियों के सशक्त होने से ही समाज भी सशक्त होता है- नितिशा सिंह

विधिक साक्षरता एवं जागरुकता कार्यक्रम आयोजित

कासगंज। उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन में एवं दिवेश चन्द्र सामंत, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कासगंज के मार्गदर्शन में दिनांक 10.08.2021 को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कासगंज द्वारा ग्राम पवसरा पंचायत भवन पवसरा, जनपद कासगंज में महिला सशक्तीकरण, बाल लैंगिक अपराध, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अधिकारों तथा कोविड-19 तृतीय लहर के सम्बन्ध में विधिक साक्षरता एवं जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राधिकरण की सचिव नितिशा सिंह द्वारा की गयी। सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कासगंज द्वारा महिला सशक्तीकरण बिषय पर जनसामान्य को सम्बोधित करते हुये कहा कि जब स्त्रियाँ सशक्त होती हैं तब इससे समाज भी सशक्त होता है तथा उनका सरोकार केवल उनके परिवार से ही नहीं होता अपितु सम्पूर्ण समुदाय से होता है। जब स्त्रियों को उनके स्त्रोतों की ओर आमुख कर दिया जाता है चाहे ये समूह परिवार या पड़ोसी हों। एक सशक्त स्त्री वो है जो इस बात के लिये स्वतन्त्र है कि अपनी पसन्दगियों को निश्चित करती है और अपने जीवन और समाज से सम्बन्धित फैसले स्वयं करती हैं। अपने परिवार एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं द्वारा किये गये हिंसा या दुर्व्यवहार की शिकार नहीं है। वह ऐसी है कि विभिन्न क्षेत्रों की गतिविधियों में समान पकड़ रखती हैं या अवसर का लाभ उठाने में सक्षम हैं। वह इस अवस्था में हैं कि उसकी प्रतिष्ठा और अधिकारों की सुरक्षा के लिये बनाये गये कानूनों का लाभ ले सकती हैं। साथ ही हमारे समाज को बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है एवं उन्हें अनिवार्य रूप से शिक्षित करना है तभी वह सर्वांगीण विकास कर सकती हैं। कोविड-19 महामारी के कारण अनेकों ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने अपने माता-पिता अथवा संरक्षक को कोरोना महामारी के कारण खो दिया है। ऐसे बच्चों की देख-रेख एवं पालन-पोषण करने वाला कोई नहीं है। ऐसे बच्चों के पालन-पोषण एवं शिक्षा-दीक्षा हेतु उ.प्र. सरकार द्वारा उ.प्र. मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के माध्यम से 4000/- प्रतिमाह 18 वर्ष की उम्र तक देने का प्रावधान किया गया है। बाल लैंगिंक अपराध विषय पर लैंगिक अपराधो से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के अनुसार लैंगिक हमला, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील साहित्य के अपराधों से बालकों का संरक्षण करने और ऐसे अपराधों का विचारण करने के लिये विशेष न्यायालयों की स्थापना की गयी है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विभाग के द्वारा इन वर्गों के लोगों के लिये संचालित शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इन समस्त योजनाओं का उद्देश्य समाज के इन कमजोर वर्ग के लोगों में शिक्षा का प्रसार करना, उनमें जागरुकता लाना, भारत के संविधान के मूल अधिकारों के तहत समानता का अधिकार दिलाना, शोषण एवं अत्याचार से मुक्ति प्रदाय कर राहत दिलाना, इन में व्याप्त कुप्रथाओं एवं कुरीतियों को दूर करना और इनका आर्थिक विकास करना आदि के वारे में विस्तार से जानकारी दी।

कार्यक्रम का संचालन सत्येन्द्र पाल सिंह बैस एडवोकेट द्वारा किया गया साथ ही शिक्षा के अधिकार से सम्बन्धित विषय पर चर्चा करते हुये बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने हेतु उपस्थित ग्रामवासियों को जागरुक किया। कोविड-19 गाइड लाइन का पालन करने हेतु सभी ग्रामवासियों को बताया कि अभी खतरा टला नहीं है सम्भावित कोविड-19 की चुनौतियों के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है।

उपरोक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. मनोज शर्मा समाजसेवी, ग्राम प्रधान पवसरा देवेन्द्र सिंह एवं दद्दा पब्लिक स्कूल की प्राधानाचार्या कामिनी गुप्ता एवं उपस्थित जनसामान्य का सराहनीय सहयोग रहा।