करोड़ों का सोना समेटकर फरार हो गया था शातिर, आज तक नहीं मिला कोई सुराग,स्पेशल 26 की असली कहानी

बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म स्पेशल 26को जबरदस्त सफलता मिली थी। फिल्म की कहानी एक असली घटना पर आधारित थी। लेकिन फिल्मांकन के लिए कुछ बदलाव किए गए थे जोकि अमूमन किए भी जाते हैं। फिल्म में किए गए इन बदलावों की जानकारी आजतक के शम्स ताहिर खान ने अपने क्राइम शो में दी है। फिल्म में अक्षय कुमार ने जिस किरदार को निभाया था। उसके असल नाम का कोई सबूत नहीं है। लेकिन जांच में उसे मोहन सिंह के नाम से जाना गया, क्योंकि छापा मारते समय उसने अपना परिचय सीबीआई अधिकारी मोहन सिंह के तौर पर दिया था।

सरकारी दस्तावेजों में इस घटना का नाम ?1987 ओपेरा हाउस हीस्ट? दर्ज है। इसे ?परफेक्ट क्राइम? भी कहा जाता है। घटना की शुरुआत 17 मार्च 1987 को हुई थी। नामी गिरामी अखबार में नौकरियों का इश्तेहार दिया गया था। जिसके अनुसार 50 पढ़े लिखे जागरुक ग्रैजुएट्स की जरूरत सिक्योरिटी ऑफिसर के तौर पर है। इसमें योग्य युवाओं को अपने साथ अपने दस्तावेज और पासपोर्ट साइज फोटो लाने के लिए भी कहा गया था। इंटरव्यू का पता मुंबई का मशहूर पांच सितारा, दी ताजमहल पैलेस, कोलाबा था।

18 मार्च 1987 को बड़ी संख्या में युवक पांच सितारा होटल में पहुंच गए। यहां युवाओं से कहा गया कि इंटरव्यू पड़ोस के एक बिल्डिंग में होगा, वहां से सभी युवा दिए गए पते पर पहुंच गए। यहां प्रक्रिया शुरू हुई, कुछ ही घंटों में कड़े सवालों के बाद कुछ युवकों का फाइनल इंटरव्यू के लिए सेलेक्शन हुआ। तब इन युवकों की मुलाकात, अपने आप को खुफिया अधिकारी बताने वाले मोहन सिंह से हुई। इसी किरदार को अक्षय कुमार ने फिल्म में निभाया था।

मोहन सिंह, बिल्कुल अधिकारियों की तरह पेश आया। सभी का फाइनल इंटरव्यू हुआ और फिर आखिर में 26 लोगों का चय़न किया गया। सभी को स्पेशल 26 बताते हुए अगले ही दिन छापे की ट्रेनिंग की बात कही गई। इसके बाद इन 26 को दोबारा होटल ताज कॉन्टिनेंटल बुलाया गया। वहां मोहन सिंह ने सभी को सेलेक्शन की बधाई देते हुए यह बताया कि एजेंसी कैसे काम करती है, क्या जिम्मेदारी होती है और उनके काम में किस तरह के जोखिम होते हैं। इसी कड़ी में मोहन सिंह ने सभी को बताया कि आप सबको सुबह छापेमारी की ट्रेनिंग दी जाएगी।

19 मार्च को सुबह फिर सबको बुलाया गया। सभी चयनित युवा तय समय पर होटल पहुंच गए। यहां सभी को एक कार्ड दिया गया। इस कार्ड में क्राइम ब्रांच ऑफ इंवेस्टिगेशन लिखा हुआ था। इसके बाद एक लग्जरी बस बुक की गई। इसमें सभी युवाओं को सवार करके मोहन सिंह लूट के लिए निकल पड़ा।

दोपहर 2 से ढाई बजे के करीब यह टीम मुंबई के मशहूर त्रिभुवन दास भीमजी जावेरी एंड संस के ओपेरा हाउस ब्रांच पर पहुंच गई। मोहन सिंह ने यहां दुकान के मालिक प्रताप जावेरी को एक सर्च वारंट दिखाया औऱ बताया कि आपके खिलाफ सोने में मिलावट की शिकायत मिली है। प्रताप जावेरी ने पूरी तसल्ली कर लेने के बाद छापेमारी की अनुमति दे दी। अनुमति मिलते ही मोहन सिंह ने उनकी लाइसेंसी पिस्तौल कब्जे में ली, शटर गिराया औऱ कैमरों को बंद कर दिया। और सख्त हिदायत दी कि यहां से कोई बाहर नहीं जाएगा।

करीब 45 मिनट तक आराम से सारा सामान एकत्रित किया। सभी आभूषणों को बकायदा अलग अलग पॉली बैग में पैक किया। उसमें सरकारी मुहर लगाई और लेकर चलता बना। शोरुम से निकलने के बाद मोहन सिंह ने सभी युवाओं को को बस में बैठकर इंतजार करने के लिए कहा और बताया कि मैं पड़ोस की एक दुकान में कार्रवाई के लिए जा रहा हूं। वहां से आने के बाद सभी एक साथ आगे के लिए निकलेंगे।

कुछ समय बीत जाने के बाद जावेरी को शंका हुई, उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी और बताया कि सीबीआई के अधिकारी ब़ड़ी संख्या में सोना लेकर गए हैं। पुलिस को भी संदेह हुआ, वह दुकान पहुंचे तो देखा कि दुकान के सामने एक बस में 26 युवा सवार हैं, जोकि खुद को सीबीआई अधिकारी बता रहे हैं। पूछताछ में सारा माजरा सामने आया, पुलिस तुरंत उस होटल पहुंची लेकिन तब तक मोहन सिंह किसी अंधेरे में गायब हो चुका था।

बेहद स्मार्ट, रौबदार और भाषा में दक्षिण भारत का असर, के अलावा पुलिस के पास कोई जानकारी नहीं थी। कुछ शंकाओं के आधार पर पुलिस ने केरल से एक शख्स को गिरफ्तार किया लेकिन उसे भी छोड़ना पड़ा। वहीं दुबई में एक टीम को भेजी गया लेकिन वह भी खाली हाथ लौटी। इस घटना की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी अरविंद इनामदार को मलाल है कि वह इस लूट का पर्दाफाश नहीं कर सके, उन्होंने कहा कि अगर वह उस कथित मोहन सिंह को पकड़ेंगे तो एक बार जरूर पूछेंगे कि इतने परफेक्ट क्राइम को कैसे अंजाम दिया।