महिला प्रत्याशी कहां तक है कामयाब! उनका इतिहास दो प्रत्याशियों का सर्वेक्षण

रायबरेली- त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चुनाव अपने अंतिम चरण में है कुछ घंटों बाद प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। चुनाव प्रचार का शोरगुल थम गया अब आज पूरा दिन जोड़-तोड़ की राजनीति होगी लेकिन जो भी प्रत्याशी साफ-सुथरी छवि के हैं उनके लिए जोड़-तोड़ मायने नहीं रखता क्योंकि जनता भी जागरूक है वह यह समझती है कि विकास ही मुख्य मुद्दा है दूसरी बात अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को चुनाव से दूर रखने के लिए जनता ने कमर कस ली है। सबसे ज्यादा नजर महिला प्रत्याशियों पर रहेगी इसीलिए हमने दो ऐसी महिला प्रत्याशियों का सर्वेक्षण किया है जिसमें एक मध्यमवर्गीय राजनीतिक परिवारिक इतिहास के साथ अपने परिवार के काम का बखान करते हुए चुनाव मैदान में हैं तो वहीं दूसरी ओर डलमऊ द्वितीय से जिला पंचायत सदस्य की प्रत्याशी ज्योति गुप्ता अपने पति के सामाजिक कामों को आधार बनाकर चुनाव लड़ रही है।अगर बात करें खीरो द्वितीय से जिला पंचायत प्रत्याशी भाजपा समर्थित मोहिनी शुक्ला की तो उन्होंने जिस साधारण तरीके से लोगों से जन संपर्क करते अपनी बात रखी है लोगों के बीच चर्चा का विषय है अगर उनके राजनैतिक बैकग्राउंड की बात करें तो उनके पति नीरज शुक्ला उर्फ नीलू भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के जिला पदाधिकारी है एवं सिमरी मंडल के उपाध्यक्ष भी हैं मोहनी शुक्ला के जेठ अनूप शुक्ला पिछले 15 20 वर्षों से भितरी ग्राम सभा की प्रधानी का दायित्व उठा रहे हैं इस दौरान उन्होंने 800 से अधिक आवास लगभग शत प्रतिशत शौचालय लगभग शत-प्रतिशत वृद्धावस्था पेंशन विकलांग पेंशन विधवा पेंशन आदि कार्यों में ब्लॉक में अपनी ग्राम सभा का नाम हमेशा अग्रणी रखा है इसके अलावा उन्होंने श्रम विभाग कृषि विभाग स्वास्थ्य विभाग आदि विभागों से सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं के द्वारा अपने ग्राम सभा एवं क्षेत्र की जनता को लाभ पहुंचाने का भी काम किया है अगर सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो प्रत्याशी मोहिनी शुक्ला के पति नीरज शुक्ला उर्फ नीलू के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा भी लोगों को लाभ पहुंचाने का काम किया जाता रहा है पिछले 20 वर्षों से नेत्र शिविर कंबल वितरण के द्वारा अपनी माता जी एवम पिता जी की पुण्यतिथि पर यह काम भी अनवरत होता रहता है ।यह तो रही मोहनी शुक्ला की बात अब हम बात करेंगे डलमऊ द्वितीय से निर्दलीय प्रत्याशी ज्योति गुप्ता की इनके पति पवन गुप्ता जो कि भाजपा से जुड़े हुए हैं लेकिन उन्होंने भाजपा से टिकट लेने का प्रयास नहीं किया हो सकता है ऐसा उन्होंने स्थानीय लोगों के कहने पर किया हो लेकिन अगर हम ज्योति गुप्ता और उनके पति पवन गुप्ता के सामाजिक इतिहास के बारे में बात करें तो तो इनका कोई बड़ा राजनीतिक बैकग्राउंड तो नहीं है लेकिन मेडिकल कैंप लगवाना ठंड में कंबल बटवाना और किसी की बीमारी पर उसे हर संभव मदद करना यह इनकी पहचान रही है इसी काम के दम पर यह चुनावी मैदान में हैं। ज्योति गुप्ता के अनुसार उन्होंने समाज के लिए जो किया है वही उनका आधार है और जनता ने अगर मौका दिया तो आगे ताकत के साथ क्षेत्र का विकास आधुनिकता के आधार पर करेंगे ।वही दूसरी ओर ऐसी भी महिला प्रत्याशी हैं जिनके पतियों का अपराधिक इतिहास भी रहा है अगर हम खीरों के क्षेत्र की बात करें तो एक महिला प्रत्याशियों के पति के ऊपर संगीन मुकदमे पंजीकृत है वही एक अन्य प्रत्याशी हैं जोकि उनकी माताजी पिछले कुछ सालों से ग्राम प्रधान भी हैं बुजुर्ग हैं उनको भी जिला पंचायत में एक पार्टी के द्वारा प्रत्याशी बनाया गया है लेकिन वहां भी वही बात आती है की उनके बेटे ही 16 संगीन धाराओं में पंजीकृत हैं उनके ऊपर sc-st अपहरण जैसे संगीन धाराओं में वह जमानत पर है तो इस स्थिति में जनता किसी ऐसे व्यक्ति के साथ नहीं जाना चाहती जो अपराधी किस्म का है।अब इस त्रिस्तरीय चुनाव के बाद जो परिणाम आएंगे उस पर यह साबित होगा कि आखिर जनता अभी भी वही पुराने ढर्रे पर चल रही है या फिर बदलाव के साथ अच्छे छवि के लोगों को आगे लाना चाहती हैं।