वनग्रामों को पूर्णतः राजस्व ग्राम का दर्जा नहीं मिलने से 134 गांवों के ग्रामीण शासन से नाराज।।    

जिला वनाधिकार संघर्ष समिति के मिडिया प्रभारी ध्रुव ने शासन से पूर्णतः राजस्व का,दर्जा के लिए किया माँग।।

धमतरी जिले के 134 वनग्रामों के ग्रामीणों की मौलिक अधिकार के लिए गठन जिला वनाधिकार संघर्ष समिति धमतरी के महत्वपूर्ण मांगो को लेकर पूर्व कलेक्टर रजत बंशल को जिला मुख्यालय पहुँचकर हजारों के तादात में नगरी सिहावा के वनाँचल के ग्रामीणों ने माननीय राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर वनग्रामों के साथ सीतानदी उद्यन्ती अभ्यारण्य की समस्याओं को निराकरण हैतू माँग किया गया था।जिन महत्वपूर्ण माँगों को तत्कालीन कलेक्टर ने संज्ञान में लेकर प्रशासनिक कार्यवाही का आदेश के साथ पहल करने का प्रयास किया जा रहा था। उसी दरम्यान तत्कालीन कलेक्टर का पदस्थापना अन्य जगह हो जाने के साथ जिले की वनग्रामों की समस्या वैसे की वैसे बनी हुई है जिस वजह से वनग्रामों के ग्रामीण आज भी अपनी मौलिक अधिकार के लिए तरस रहे हैं।वहीं वनग्रामों को राजस्व का दर्जा तो दिया गया है मगर राजस्व ग्रामों की तरह आजादी के तिहत्तर सालों के बाद भी आज तक भूस्वामित्व का अधिकार नहीं मिल पाया है आज के स्थिति में आनलाईन दस्तावेज की आवश्यकता होती है वनग्रामों के किसानों की जमीन की रकबा भुईयां पोर्टल पर आज तक अपलोड नहीं हुआ है जिस वजह से वनाँचल के किसानों का सहकारी केंद्रों में रकबा घट गया है वहीं किसानों को अपनी उपज की धान को औने पौने में कोचिए के हाथों बेचना मजबूरी हो गया है।जिले के वनग्रामों के निवासी देश की आजादी के तिहंतर साल बाद भी गुलाम की जिवन जीने पर मजबूर हैं।आजाद देश में कई बरस से अपनी जमीन की मौलिक अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है जिले के वनग्रामों को ब्रिटिश शासन ने बसाया था ब्रिटिश शासन की गूलामी तो आजाद भारत से 1947 में हमेशा हमेशा के लिए चला गया मगर वनग्रामों के ग्रामीणों की गुलामी आजादी के 73 सालों के बाद भी बनी हुई है शासन की उपेक्षा का शिकार आज भी हो रहे हैं।वनाधिकार संघर्ष समिति जिला धमतरी के प्रवक्ता एवं मिडिया प्रभारी सुरेन्द्र राज ध्रुव ने शासन से माँग की है जिले के समस्त वनग्रामों के निवासियों को मौलिक अधिकार एवं समस्त वनग्रामों की कास्त जमीन का भूस्वामित्व का अधिकार सहित आनलाईन भुइँया पोर्टल में अपलोड कराने की माँग रखी है।