जालौन-निलंबित चल रहे सचिवों को बहाल कराने के लिए ग्राम पंचायत अधिकारी-ग्राम विकास अधिकारी समन्वय समिति द्वारा जिलाधिकारी महोदय को सौंपा गया ज्ञापन।

उरई(जालौन)।जिलाधिकारी कार्यालय पर ग्राम पंचायत अधिकारी-ग्राम विकास अधिकारी समन्वय समिति उत्तर प्रदेश जनपद जालौन के कई दर्जन लोगों द्वारा जिलाधिकारी महोदय को एक ज्ञापन सौंपा गया।

और बताया कि वर्तमान समय में उच्च अधिकारियों द्वारा ग्राम पंचायतों के निरीक्षण स्थलीय सत्यापन के दौरान निम्नलिखित उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां पंचायत सचिवों के साथ की जा रही हैं।
वही ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत अधिकारी समन्यव समिति उत्तर प्रदेश जनपद जालौन के जिलाध्यक्ष राम बिहारी वर्मा ने बताया की निरीक्षण स्थलीय सत्यापन के समय झूठी शिकायतों पर बिना परीक्षण किए एक पक्षीय कार्रवाई पंचायत सचिवों के विरुद्ध कर दी जाती है जबकि ग्राम पंचायत स्तरीय अन्य कर्मचारियों अधिकारियों के कार्यों की अनदेखी की जाती है।
सफाई व्यवस्था खराब होने अपात्र को आवास देने शौचालय के पूर्ण न होने पर पर्यवेक्षण में लापरवाही बरतने जैसे आरोप लगाकर ग्राम पंचायत सचिव के पक्ष को सुने बिना ही तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जाता है जो कि न्याय प्रणाली के विपरीत है।
वहीं पूर्व में नोडल अधिकारी महोदय ने निरीक्षण के नाम पर विकास खंड नदीगांव से संदीप रावत ग्राम विकास अधिकारी माधौगढ़ से शैलेन्द्र सोनकर ग्राम विकास अधिकारी कुठौंद से शरद कुमार व उदय नारायण दोहरे ग्राम विकास अधिकारी व कदौरा से सिकन्दर सिंह ग्राम विकास अधिकारी को29/10/2020 को निलंबित किया जा चुका है।जबकि गोवंश स्थलों के संचालन में पूर्व से कार्यरत श्रमिकों को भुगतान हेतु स्पष्ट आदेश न होने के कारण उनको श्रमांस का भुगतान न होने की दशा में श्रमिकों द्वारा कार्य करने से मना किया जा रहा है इसके साथ ही गौवंश हेतु भूसा-चारा का पूर्व से अभी तक का भुगतान करने हेतु पर्याप्त धनराशि की कोई व्यवस्था ना होने के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है पूर्व के अवशेष भुगतान को अदा करने के बाद ही निराश्रित को गौआश्रय स्थलों का संचालन सुचारु रुप से संभव हो सकता है अन्यथा की स्थिति में प्रधानों द्वारा आश्रय स्थलों के संचालन हेतु मनाही की जा सकती है।
व्यक्तिगत शौचालय आवास योजना की धनराशि का भुगतान लाभार्थियों को सीधे उनके खाते में किया जाता है अन्यथा नियमानुसार लाभार्थियों को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए किंतु सर्वेक्षण के नाम पर पंचायत सचिव के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है जो कि अनुचित है सामुदायिक शौचालय तकनीकी रूप से प्राकृतिक में कमी होने के बावजूद अनावश्यक दबाव बनाकर स्टीमेट से हटकर अतिरिक्त निर्माण कार्य कराने के उपरांत भी सामुदायिक शौचालय का निर्माण लगभग प्रत्येक ग्राम पंचायत में पूर्णता की ओर है।
वही जिलाधिकारी महोदय से कहा की आपसे अनुरोध है कि शासकीय योजना के संचालन में आ रही व्यवसाय व्ययहारिक कठिनाइयों को दूर कराने के साथ-साथ ग्राम पंचायत सचिवों को तत्काल प्रभाव से दोषमुक्त करते हेतु बहाल करने की कृपा करें।

Reporter-AMIT KUMAR