मां की पूजा से ही मां दुर्गा प्रसन्ना होती है, संतलाल साईं

संवाददाता विजय दुसेजा चकरभाठा/बिलासपुर:झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाटा में 18 अक्टूबर को चंद्र दिवस शारदा भक्ति के साथ मनाया गया यह चंद्र दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि माता के नवरात्रे आरंभ हो चुके हैं एक तरफ माता के जयकारे हो रहे हैं माता की आराधना चल रही है और इधर भगवान झूलेलाल के भी नारे गूंज रहे हैं जल का अवतार ही भगवान झूलेलाल है और भक्तजन माता का उपवास जल पीके ही पूरा करते हैं माता कोई प्रसन्ना करते हैं भगवान झूलेलाल को भी कार्यक्रम की शुरुआत दोपहर 12:00 बजे लाल साईं जी के द्वारा बहराणा साहब की अखंड ज्योत प्रज्वलित करके वह भगवान झूलेलाल वह बाबा गुरमुख दास जी के फोटो पर माला पहना कर के गए साइ जी ने अपनी अमृतवाणी दो कथा सुनाई पहली कथा है बचपन में बच्चे आपस में लड़ते हैं मां तुम्हारी है पापा मेरे हैं वही बच्चे जब बड़े हो जाते हैं शादी हो जाती है तब फिर आपस में लड़ते हैं अब कहते हैं मां भी तुम्हारी है पिता भी तुम्हारा है कितना बदलाव आ जाता है बचपन से और जवानी के आने तक ऐसा क्यों होता है क्योंकि बचपन में हम लोग बच्चों को सब कुछ देते हैं लेकिन संस्कार देना भूल जाते हैं मंदिर ले जाना भूल जाते हैं संतो जनों के पास नहीं ले जाते हैं उन्हें सही शिक्षा नहीं देते हैं जिसके कारण बच्चे बड़े होकर जो नहीं करना चाहिए वह काम करते हैं इसलिए अपने बच्चों को बचपन में ही अच्छे संस्कार दीजिए दूसरी कथा दे एक नगर में एक साधु आता है राजा के पास जाता है भिक्षा मांगता है राजा भिक्षा में उसे एक मुट्ठी लीड देता है और चले जाता है राजा एक मुट्ठी लीड लेकर जंगल की ओर जाता है जाते-जाते आगे देखता है लीड का पूरा पहाड़ बना है और उसके नीचे एक छोटी सी झोपड़ी बनी है राजा जैसे ही झोपड़ी के अंदर जाता है वहीं साधु बैठा रहता है राजा पूछता है यह इतना बड़ा पहाड़ लीड का कैसे बन गया साधु कैसा है जो आपने दी थी एक मुट्ठी उससे ही बना है राजा पूछता है तो यह अब खत्म कैसे होगी तो साधु उसे कहता है तुम्हें अपने आप को लोगों की नजरों में गिराना होगा राजा वापस माल में आकर एक खाली बोतल में शरबत भरकर बीच बाजार में खड़ा हो जाता है और पीने लगता है लोग समझते हैं राजा शराबी बन गया है और उसकी घोर निंदा करते हैं दूसरे दिन राजा के जंगल पहुंच जाता है और सामने देखता है वह लीड वाला पहाड़ गायब हो जाता है झोपड़ी के अंदर जाता है साधु से पूछता है कि यह सब कहां गई लीड साधु कहता है जिन जिन लोगों ने तुम्हारी निंदा की है यह सब उनके हिस्से में आ गई और तुम एक मुट्ठी जो बची है यह तुम्हारे लिए है जो तुमने कर्म किए हैं उसके लिए बची है अब इसे तुम खाओगे इस कहानी का अर्थ है जैसा बीज बोएगे वैसा फल पाओगे अच्छे कर्म करोगे अच्छा फल मिलेगा उसके बाद साईं जी के द्वारा कई भजन गाए गए लाल झूले लाल झूले लाल जिए मुहनजी सिंध। माता के भजन गायक गायक पंखिड़ा ओ पंखिड़ा तू माता हम बालक तेरे मां के द्वारे आए हैं अनिल पंजवानी रवि के द्वारा भी भजन गाए गए कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई अरदास की गई पल्लो पाया गया विशव कल्याण के लिए प्रार्थना की गई 2:00 बजे बहराणा साहब को मंदिर से लेकर तलाब पहुंचे यहां पर विधि विधान से पूजा अर्चना की गई अखंड ज्योत को तराया गया बहराणा साहब का विसर्जन किया गया तत्पश्चात भक्तजनों को प्रसाद वितरण किया गया इस कार्यक्रम को सोशल मीडिया के माध्यम से भी भक्तजनों ने देखा साई जी ने सभी को चंद्र दिवस व नवरात्रि की बधाइयां दी वहां अपने अपने घरों अख्चओ पाए पल्लो पाए अरदास करें माता की भी आराधना करें इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा गुरमुखदास सेवा समिति झूलेलाल महिला सखी के सभी सदस्यों का सहयोग रहा।