आध्यात्मिक साधक के लिए नवरात्रि का क्या महत्व है

जालौन से शोभित पांडेय की रिपोर्ट�

आचार्य श्री सत्यम व्यास जी महाराज�नवरात्रि सिद्धांत
या शक्ति तत्व का उत्सव है।यह शरद ऋतू में मनाया जाता है,और शक्ति के तीन विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है-इच्छा शक्ति,क्रिया शक्ति,और ज्ञान शक्ति।शक्ति को महाकाली,महालक्ष्मी,सरस्वती के रूप में पूजा जाता है। नवरात्री के नौ दिनों में देवी महात्यम एवं श्रीमद देवी भागवतम का उच्चारण किया जाता है।यह एक अनूठा त्यौहार है,जिसमें एक ओर उत्सव होता है,वहीं दूसरी ओर स्वयं को गहराई से जानने या स्वयं का अवलोकन करने का मौका होता है।

मन की छह विकृतियाँ है -काम (इच्छा ),क्रोध (गुस्सा ), लोभ (लोभ ),मोह,मद (अहंकार ),मात्सर्य (ईर्ष्या),ये विकृतियाँ किसी भी व्यक्ति में नियंत्रण से बाहर हो सकती है,और आध्यात्मिक मार्ग पर बाधा बन सकती है।इन नौ दिनों में देवी शक्ति की कृपा से ये विकृतिया दूर हो जाती है। इन नौ दिनों के दौरान तपस्या और उपासना ध्यान के साथ की जाती है। पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से,हमारे पास आध्यात्मिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए सरल और आसान तरीका है।उनके �मार्गदर्शन में हम सिद्धि और पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं।