काश इसी तरह नहरों के सिंचाई के पानी व बिजली ,सड़के व स्कूल के लिए होड़ मची रहती

रिपोर्ट-घूरे लाल कन्नौजिया

चंदौली -कहा जाता है कि जहां भी राजनेता जाते हैं राजनीति शुरू हो जाती है। कहीं कहीं तो राजनेता राजनीतिक लाभ लेने के लिए भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। जब मामला वर्तमान व पूर्व विधायकों से जुड़ा हो तो राजनीतिक गतिविधियां और भी दिलचस्प हो जाती हैं। अब ताजा मामला धानापुर थाना इलाके के चेतादुबे के पुरवा गांव के निवासी दिवंगत सैनिक के अंतिम संस्कार के मामले को ही देख लीजिए। यहां पर दो राजनीतिक दलों व पूर्व विधायक और मौजूदा विधायक के बीच जो कुछ भी हुआ उसे क्या कहेंगे आप।

मुद्दा था सेना के जवान की सम्मानित तरीके से अंत्येष्टि करवाने का। इसको लेकर तरह तरह की बातें कहने सुनने में आयीं। चाहे सत्ताधारी पक्ष के राजनेता हों या जिले के अफसर पहले तो वे लोग परिवार के लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाये। मौत के कारणों व अंत्येष्टि के तरीके को लेकर काफी कंफ्यूजन रहा। कुछ लोग तो इसका राजनीतिक कनेक्शन भी जोड़ने लगे। क्योंकि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फोन करके मृतक जवान के परिजनों का हालचाल भाजपा से पहले ले लिया था।

फिर क्या था..राजनीति होनी ही थी?धीर धीरे मामला इतना तूल पकड़ लिया कि 2 राजनीतिक पार्टियों एवं स्थानीय पूर्व एवं वर्तमान विधायकों के बीच में वर्चस्व की जंग छिड़ गयी। दोनों लोग ससम्मान अंत्येष्टि कराने का श्रेय लेने की कोशिश करने लगे।

हालांकि अंतिम संस्कार के समय विधायक सुशील सिंह ने जवान के पार्थिव शरीर को कंधा दिया और अंत्येष्टि स्थल तक गए। पर मनोज सिंह डब्लू भी अंतिम समय तक डटे रहे और गंगा में अस्थि विसर्जन करवा कर ही लौटे।

हालांकि पूरे घटनाक्रम का आकलन लोगों ने यही लगाया कि अगर समाजवादी पार्टी एवं क्षेत्रीय जनता का आंदोलन नहीं होता तो शायद देश की सीमा पर अपनी जान गवाने वाले सैनिक का सम्मान नहीं हो पाता, यही नहीं इस मामले को तूल नही देने को लेकर क्षेत्रीय विधायक व भाजपा नेता सुशील सिंह द्वारा सैनिक की पत्नी को भी समझाने की कोशिश की गई लेकिन पत्नी ने दो टूक में उनको जवाब देते हुए कहा कि मैं धानापुर में शिक्षामित्र हूँ,यहां की राजनीति के बारे में मुझे पता है। आप क्या कर सकते हैं इसकी जानकारी भी मुझे पूरी है।

वहीं सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू को सुशील सिंह द्वारा नसीहत दिया गया कि मामले को तूल मत दीजिये। इसी पर मामला बिगड़ गया और दोनों नेताओं के बीच कहासुनी होने लगी। दोनों नेताओं की कहासुनी इतनी बढ़ गई कि दोनों नेताओं के समर्थक भी एक दूसरे के खिलाफ आक्रामक हो गए।

पुलिस प्रशासन के बीच बचाव से मामला शांत हुआ लेकिन एक सैनिक के पार्थिव शरीर के सामने इस तरह का व्यवहार आम जनता के लिए सही गलत का आकलन करने को मजबूर कर रही हैं। हालांकि सैनिक के सम्मान को लेकर इस पूरे मामले में समाजवादी पार्टी व पूर्व विधायक का पलड़ा भारी दिखा। उपस्थित जन समूह भी सैनिक के सम्मान को लेकर भाजपा को कोसते रहे तथा नेताओं की नेतागिरी के तरीके को सही गलत ठहराते रहे।

इसके साथ साथ यह भी कहते रहे कि सैनिक के शव पर राजनीतिक होड़ दिखाने वाले दिग्गज नेता जिले की सिंचाई, स्वास्थ्य, सड़क, शिक्षा व अन्य जनता से जुड़े मुद्दों पर भी दिखाते तो जिले की स्थिति और बेहतर होती। जिले की समस्याओं का समाधान हो जाता। पर राजनेता हैं इन्हें जनता से पहले अपना लाभ भी तो सोचना होता है।

(नोट- यह बात चर्चा व वहां के हालात को सुनकर लिखी गयी है..किसी को कोई आपत्ति हो तो उसका पक्ष भी जोड़ लिया जाएगा।)