सैकड़ों टन खाद अफरातफरी से जुड़ा संदेहास्पद मामला आया सामने, गोदाम हुआ सील.....

कागजों में संचालित निजी संस्थान में माह जून से अगस्त के मध्य अवधि में रेलवे रेक प्वाइंट सें बड़े पैमाने पर यूरिया खाद का किया है उठाव......

सूरजपुर 21 अगस्त। वैश्विक महामारी के रूप में कोरोना वायरस की दस्तक उपरांत रोकथाम व सुरक्षा के मद्देनजर घोषित लाकडाउन के बाद से वर्तमान अवधि के अंतराल में करीब करीब सभी वर्ग के रहवासी प्रभावित हुए हैं।इन्हीं प्रभावितों में शामिल अन्नदाता कि उपाधी प्राप्त किसान वर्ग तमाम हालातों से जुझने के बाद समय पर मानसून की दस्तक के बाद सबकुछ भुलाकर फिर से खेतों की तरफ रूख अख्तियार कर खरीफ सीजन में सबसे अधिक उत्पादन होने वाला धान की फसल उत्पादन के लिए जोताई के बाद बीज बोआई कर उत्पादन में सबसे अहम जरूरत उर्वरक उसकी मांग के अनुपात में आपूर्ति जमिनी स्तर पर नही होने से लगातार परेशान होकर अलसुबह से शाम तक मशक्कत करने के बाद दूगनी किमत देकर हासिल कर रहा है।वही दूसरी तरफ ऐसी स्थितियों को अपने लिए अवसर के रूप में तब्दील कर हर वर्ष अनुरूप इस दफा भी तमाम शासकीय पहरेदारी के वावजूद अप्रत्यक्ष रूप से कुछ पहरेदारों के साझेदार बनने से व्यवसायी का चोला ओढकर शोषण करने वाले कोचिया कहे या दलाल वर्ग गांव से लेकर नगरीय क्षेत्रों में सक्रियता के साथ डटा हुआ है।यह आरोप हमारा नही है, वरन विगत दो से तीन दिन पहले जिला प्रशासन द्वारा जिलें के अलग अलग क्षेत्रों में दबिश उपरांत तमाम बहानों या कारणों का हवाला देने के वावजूद सामने आए मामले हकीकत खुद ही जमिनी हकीकत बयां कर रहे हैं।इसी क्रम में एक और बड़ा मामला जिलें के भैयाथान विकासखंड मुख्यालय में सामने आया है।जहां पर राजधानी रायपुर के एक निवासी द्वारा तथाकथित रुप से निजी व्यवसायिक प्रतिष्ठान संचालन लंंबे अरसे से किया जा रहा था, इसी दरम्यान शुरू हुए जांच अभियान के दौरान यह सनसनीखेज मामला जहां वृहद स्तर पर उर्वरक कि हेराफेरी होने का संदेह होने पर शुरूआती जांच में वैध दस्तावेज व रसायनिक खाद नहीं होने से एसडीएम भैयाथान द्वारा गोदाम को सील करनें कि कार्यवाही किया गया है।इसकी जानकारी कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल होने से जिलें के ग्रामीण हो या नगरीय क्षेत्रों में सबसे अधिक जनचर्चा में शामिल है।बहरहाल मामला गंभीर तो है लेकिन जांच शुरूआती चरण में होने व समाचार लिखे जाने तक जिम्मेदार विभागों के जिलाधिकारीयो का पक्ष नहीं मिलने की वजह से पुष्टी हम नहीं कर रहे हैं।वरन जनचर्चा में शामिल तथ्यों व कार्यवाही के दौरान सामने आई जानकारी जो सूत्रों के हवाले से मिले है, जो काफी गंभीर होने की वजह से ध्यानाकर्षण बतौर जिला प्रशासन के समझ लाने की कवायद में एक कड़ी बतौर है।

यह है मुख्य मामला व सामने आए शुरूआती जानकारीयां.......

सुत्रों के हवाले से मिली जानकारी अनुसार भैयाथान ब्लॉक मुख्यालय में बी.मुघड़ा एंड संस के नाम सें उर्वरक विक्रय केंद्र के रूप में प्रतिष्ठान का संचालन रायपुर के निवासी व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है ,वहीं भैयाथान के एक स्थानीय व्यक्ति के भवन में प्रतिष्ठान का गोदाम भी संचालित होना बताया गया है ।इसके अलावा उक्त संस्थान में खुद को बतौर कर्मचारी बताने वाले एक व्यक्ति के अनुसार वह करीब 18 महिने से उक्त प्रतिष्ठान में बतौर कर्मचारी कार्यरत है। इसके अलावा करीब दो या तीन महिने पूर्व सें गोदाम उसकी जानकारी अनुसार संचालन किया जा रहा है, लेकिन इस अवधि में कभी भी किसी भी तरह का रसायनिक खाद का खरीद बिक्री कार्य नहीं हुआ है। बहरहाल उक्त बातें कितनी हद तक सच्चाई में तब्दील होती है, उसकी पुष्टि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही अधिकारीक रूप से बताया जा सकता है।इसके अलावा नियमों पर गौर करें तो उर्वरक विक्रय केंद्र संचालन करनें वाले प्रतिष्ठान के संचालक को स्थानीय कृषि विभाग के अधिकारियों या कर्मचारियों को इसकी जानकारी या सूचना दिया जाना अनिवार्य है, लेकिन उक्त संस्थान के संचालक द्वारा किसी भी तरह की जानकारी स्थानीय कृषि विभाग के कार्यालय को नहीं दिया गया है, उक्त बातें जांच के दौरान उर्वरक निरीक्षक एक. के.मिश्रा द्वारा प्रारंभिक जांच के दौरान सामने आई है।इसके अतरिक्त जांच के दौरान उर्वरक वितरण सम्बन्धी किसी भी तरह का वैध दस्तावेज जांच अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है ।जब संस्थान के कर्मचारी ने मोबाइल पर संचालक सें बात कराई तो संचालक द्वारा 74 टन उर्वरक का वितरण करना बताया गया ,लेकिन इसका भी किसी भी तरह से वैध दस्तावेज संचालन स्थल व गोदाम पर उपलब्ध नही था। इसके अलावा सबसे अहम व गंभीर तथ्य यह भी सामने आया है कि जिलें के रेलवे रेक प्वाइंट बिश्रामपुर से ही संचालक द्वारा विगत माह जून 2020 से अगस्त2020 के मध्य करीब 1000 टन यूरिया उर्वरक का उठाव किया गया है।इतने बड़े स्तर पर उर्वरक उठाव के पश्चात संबंधित प्रतिष्ठान द्वारा कहा और कब विक्रय या अन्य व्यवसायिक संस्थान को बिक्री किया गया है। इससे भी जुड़ा वैध दस्तावेज भी मौके पर उपलब्ध नहीं होना पाया गया है। इन तथ्यों के सामने आने के बाद सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि जिला प्रशासन के नाक निचे कागजों में संचालित संबंधित प्रतिष्ठान कहे या संस्थान का संचालन ,नियमानुसार आवश्यक कर्मचारियों कि उपस्थिति सहित गोदाम संचालन नियम विरुद्ध रूप से धडल्ले से लंबे अवधि से करनें के वावजूद ध्यान नहीं जाना खुद मे ही एक बड़ा सवाल बनकर उभर रहा है ।इसके अलावा जानकारो कि माने तो उर्वरक उठाव से संबंधित जानकारी की एक प्रति कृषि विभाग के पास भी उपलब्ध होता है।बहरहाल अबतक सामने आए पहलूओं पर गौर करें तो यह मामला ना केवल काफी गंभीर है वरन इस तरह से नियम विरूद्ध रूप से संचालन लगातार महिनों करना व जिलें से लेकर विकासखंड स्तर तक के जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के भूमिका पर एक बड़ा सवाल खड़े करनें के साथ साथ मामले की जांच निष्पक्ष तौर पर होने से एक बड़े मामले के रूप में सामने आएगा और इसकी परत दर परत जांच में और भी अनेक पहलू सहित शामिल जिम्मेदार अधिकारियों व व्यपारियो के गठजोड़ का खुलासा हो सकता है।

वही इस मामले पर एसडीएम भैयाथान प्रकाश सिंह राजपूत ने बताया है कि मेरे द्वारा संस्थान के गोदाम को सील करनें के पश्चात जांच प्रतिवेदन व आगामी कार्यवाही हेतु कलेक्टर महोदय के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया है ।जांच रिपोर्ट पूर्ण होने पर किसी भी तरह की लापरवाही या नियमविरुद्ध गतिविधीया सामने आने पर संचालक के विरुद्ध कार्यवाही होगी।