कोरोना महामारी और वारियर्स की जिम्मेदारी

कोरोना महामारी और वारियर्स की जिम्मेदारी
- चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना ने अधिकांश मुल्कों को बनाया शिकार भारत में बढ़ रहे हैं संक्रमण के मामले
- आम जनता से लगाकर कोरोना वारियर्स पर हावी होता दिख रहा है इसका प्रभाव लाईलाज बनी हुई है अभी तक यह बीमारी
- उपचार में लगे डॉक्टर्स औऱ पुलिस कर्मियों को बना हुआ है जान का खतरा बाउजूद इसके योद्धाओं द्वारा लड़ी जा रही महामारी के खिलाफ जंग
- लाखों इंसानी जिंदगी को कोरोना रूपी राक्षस कर चुका है अब तक तबाह वारियर्स की फौज पर संक्रमण फैलाकर कोरोना प्रतिदिन कर रहा है सेंधमारी
- अति अज्ञानी अभी भी नही आ रहें हैं अपनी अज्ञानता से बाज बुद्धिहीनता के पथ पर अग्रसर व्यक्तियों ने महामारी को समझ रखा है मात्र मजाक
महोबा, (रितुराज राजावत):
किसी की मां बीमार है तो किसी की नव विवाहिता उसका इंतजार बेसब्र आंखों के साथ कर रही है । किसी को अपने बूढ़े पिता के इलाज की चिंता है तो किसी मां की ममता फर्ज के आगे बेबस और लाचार है । ये कोई कहानी नही बल्कि उन लोगों की सच्ची दास्तान है जो आज अपनी जान दांव पर लगाकर अपने फर्ज को निभा रहें हैं। लाकडाउन के दौरान कोरोना योद्धा जैसे शब्द का उदबोधन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किये जाने के साथ ही पुलिस डॉक्टर औऱ सफाई कर्मियों का आवाहन कोरोना से जंग लड़ने के लिए किया गया था । ये लड़ाई भी उस शत्रु के साथ लड़ी जानी थी जिसने दुनिया के तमाम अत्याधुनिक औऱ विकासशील देशों को अपने आगे घुटने टेकने पर विवश कर रखा था। कोरोना रूपी महामारी से पैदा होने वाली भयावह परिस्थियों को भलीभांति जानने के बाउजूद भी देश के इन धुरंधर योद्धाओं ने भारतीय इतिहास को दोहराते हुए जान दाव पर लगाकर देश के नागरिकों के प्रति अपनी निष्ठा औऱ जिम्मेदारी का जो परिचय दिया है उसके लिए इन वारियर्स की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम प्रतीत होती है। अस्पताल के डॉक्टर से लगाकर लाकडाउन के दौरान खाकी की सक्रियता औऱ कोरोना के संक्रमण को दूर रखने में अपना अहम किरदार निभाने वाले सफाई कर्मी इन सभी ने जिस प्रकार से अपने परिवार और शारीरिक सुख का परित्याग करके अपने कठोर कर्तव्य का निर्वहन किया है उसे ईश्वरीय अनुकंपा के अतिरिक्त न तो कुछ और कहा जा सकता है और न ही माना । कोरोना के विरुद्ध जारी जंग के दौरान न जाने कितने वारियर्स को भी इस संक्रमण का शिकार होना पड़ा है लेकिन इसके बाउजूद भी न तो अभी तक हमारे योद्धाओं का तनिक मात्र भी मनोबल डगमगाया है और न ही उनके द्वारा रणभूमि में की जाने वाली शंखनाद के स्वर कम हुए हैं । महाभारत युद्ध के दौरान भी कुछ इसी प्रकार की परिस्थितियों का सामना पांडवों को भी करना पड़ा होगा जैसे कि आज हमारे योद्धाओं को करना पड़ रहा है । ये वायरस किसी कौरव सेना से न तो कमतर आंका जा सकता है और न ही माना। सत्य और साहसी लोगों द्वारा पूर्व में की गई ये घोषणा भी पूर्ण रूप से अकाट्य है की जीत हमेशा युद्ध में डट कर सामना करने वाले योद्धाओं के ही हिस्से में आती है न कि विषम परिस्थितियों को देखकर रणभूमि का तिस्कार करने वालों के । देश के इन महान योद्धाओं द्वारा वर्तमान समयानुसार मनुष्य जाति के हित में किए जाने वाले उन समस्त कार्यों को ईतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों के साथ न सिर्फ अंकित किया जाएगा बल्कि कालांतर तक कोरोना वारियर्स के रूप में इन योद्धाओं का सम्मान उसी प्रकार अपने शौर्य और पराक्रम के लिए जाना जाता रहेगा जैसे की उज्ज्वलता की प्रतीक मानी जाने वालीं सूर्य की किरणें । वारियर्स आपको दिल से सलाम।