किंम जोंन उन: रूढ़ीवादी शासक या शैतान ?

किंम जोंन उन: रूढ़ीवादी शासक या शैतान ?
- उत्तर कोरिया के तानाशाह की सेहत को लेकर संस्पेंस है बरकरार कई न्यूज चैनल लगा रहें हैं तानाशाह की मौत पर अपनी मोहर
- हिटलरशाही और तुगलकी फरमानों के लिए जाना जाता है यह हुक्मरान ईदी अमीन के बाद किम र्जोन को माना जाता रहा है क्रूरता का दूसरा प्रतिबिंब
- किंम की मौत के बाद सत्ता पाने की कतार में किंम यो जोंग का आता है नाम पूर्व में तानाशाह द्वारा बहन को किया था पार्टी से निष्कासित फिर कर दिया था बहाल
- गुजरे वख्त में निर्दयता की हद पार करते हुए किंम जोंन सुना चुका है सगे चाचा समेत कई को मौत का सीधा फरमान कोरियाई सांसद को तोप से उड़ा देने की घटना पर विश्व भर में किया गया था किम का विरोध
- अत्याधुनिक शस्त्रों का बहन को भी खासा शौक सनक मिजाज पिता किम जोंन इल के काननामों के चलते अमेरिका ने उत्तर कोरिया को दे दिया था एक्सिंस ऑफइविल का ताज
महोबा,(रितुराज राजावत): एडोल्फ हिटलर,जोसेफ स्टालिन,ईदी अमीन जैसे तमाम तानाशाह से शुरू होने वाली क्रूरता की पटकथा को तो पहले ही इतिहास के काले पन्नों में दर्ज किया जा चुका था तो वहीं मरणोपरांत किम जोंन के नाम को भी इतिहास के इन्ही काले पन्नों में दर्ज किया जाएगा वो भी काली स्याही से। सनकी शासक के रूप में ख्याति अर्जित करने वाले इस तानाशाह को जहाॅ तमाम मुल्क मौत के आगोश में सुला देने वाला राजा मानते औऱ कहते रहें हैं वहीं कुछ लोगों के अनुसार किम जोंन उन को रूढ़ीवादी शासक का दर्जा दिया जाता है। अपने पूर्वजों के बनाए गए नियम और कानून का उल्लधंन करना या फिर उनका पालन न करना किम को तमाम उम्र नाकाबिले बर्दाश्त रहा है। नियम तोड़ने वाले दोषी व्यक्ति के लिए सजा का भी प्राविधान बनाया गया और वो था मौत का। उत्तर कोरिया की जनता के लिए संविधान और देश का कानून का निर्माण ठीक उसी प्रकार किया गया जैसे कि अन्य मुल्क और तमाम देशों द्वारा किया जाता है । बनाए गए इस कानून के अन्तर्गत किसी भी अन्य देश की मनोरंजन सामग्री जैसे की न्यूज चैनल चलचित्र और रेडियों स्टेशन का उपभोग करना पूर्ण रूप से वर्जित रखा गया था। जनता के लिए इतनी पाबंदी लगाने का कारण सिर्फ माना जाता रहा वो था उत्तर कोरियाई संस्कृति को बचाए रखना। किम का मानना था की अगर ऐसा नही किया जाएगा तो विदेशी सभ्यताएं कोरियाई सभ्यता पर न सिर्फ हावी हो जाएगीं बल्कि वर्षों से संजों कर रखी गई इस सभ्यता को जड़ से समाप्त भी कर देंगी। किम के कानून निश्चित रूप से जितने कड़े थे उतने ही कारगर भी। दुनिया ने किम को शैतान कहा जिसका तनिक मात्र भी असर न तो किम की सेहत में पड़ा और न ही अपने पूर्वजों द्वारा बनाए गए उत्तर कोरिया के नियम और कानून को बदलने पर उस शासक द्वारा कभी विचार विर्मश किया गया। निरंकुश और क्रूरता का अनुयायी कहा जाने वाला किंम जोंन उन को तमाम मुल्कों द्वारा शैतान का तो दर्जा दे दिया गया लेकिन अरब देश के कड़े कानून पर किसी मुल्क द्वारा न तो एक बार भी चर्चा की गई और न ही तानाशाही जैसे शब्द का कभी उपयोग किया गया। गौर से देखने पर दोनो देशों के कानून पर समानता के कुछ अंश जरूर दिखाई देते हैं कानून तोड़ने पर उत्तर कोरिया में अगर सजा-ए-मौत का प्राविधान है तो अरब में भी जुमे की नवाज के बाद आज भी अपराधी को बीच चैराहे सूली पर टांग कर उसकी जांन ले ली जाती है। फर्क जो नही है वो है ये की अरब अब पश्चिमी देशों की सभ्यता के साथ न सिर्फ घुलमिल गया है बल्कि विदेशी रीतियों को घीमें घीमें अपना भी रहा है तो वहीं किंम जोन उन की रूढ़ीवादी विचारधारा के चलते अन्य देश उसकी तरफ देखने पर भी कतरातें रहें हैं । बेशक किम की मौत के बाद तानाशाह जैसे शब्द इतिहास की गर्त में विलुप्त हो जाएंगे लेकिन तर्क वितर्क रूढ़ीवादी शासक या फिर शैतान को लेकर कल भी होते थे और भविष्य में भी होते रहेंगे।