मिशन 2030: औद्योगिक राजधानी कानपुर के रेल नेटवर्क का होगा कायाकल्प; छह दिशाओं से जुड़ने वाले इस क्षेत्र की क्षमता होगी दोगुनी

मिशन 2030: औद्योगिक राजधानी कानपुर के रेल नेटवर्क का होगा कायाकल्प; छह दिशाओं से जुड़ने वाले इस क्षेत्र की क्षमता होगी दोगुनी

भारतीय रेलवे ने अपने महत्वाकांक्षी 'विज़न 2030' के तहत देश के 48 प्रमुख शहरों में ट्रेनों की शुरुआती क्षमता को दोगुना करने का निर्णय लिया है। इस योजना में उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कानपुर को एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में चिन्हित किया गया है। कानपुर देहात, चंदेरी व अन्य क्षेत्रों की ओर विस्तारित होते शहर के बढ़ते जनसंख्या दबाव के कारण दैनिक यात्रियों को देखते हुए रेलवे यहाँ के बुनियादी ढांचे को अगले पांच वर्षों में पूरी तरह बदलने जा रहा है।

छह दिशाओं का संगम: सामरिक महत्व और चुनौती कानपुर देश का एक ऐसा दुर्लभ रेल केंद्र है जहाँ छह अलग-अलग दिशाओं (दिल्ली, हावड़ा/प्रयागराज, लखनऊ, बांदा, झांसी और फर्रुखाबाद) से ट्रेनों का आवागमन होता है। इस भौगोलिक बढ़त का लाभ उठाने के लिए रेलवे 'टर्मिनल क्षमता विस्तार' और 'ऑपरेशनल सुगमता' पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

केंद्रीय रेल मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ?हम यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करने और भीड़भाड़ को कम करने के लिए विभिन्न शहरों में कोचिंग टर्मिनलों का विस्तार कर रहे हैं और अनुभागीय एवं परिचालन क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं। इस कदम से हमारे रेलवे नेटवर्क का उन्नयन होगा और राष्ट्रव्यापी संपर्क सुविधा में सुधार होगा।?

पुनर्विकास और क्षमता वृद्धि के मुख्य स्तंभ.

1.कानपुर सेंट्रल, गोविंदपुरी और पनकी धाम (ABS) का कायाकल्प: विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ कानपुर सेंट्रल का पुनर्विकास किया जा रहा है। वहीं गोविंदपुरी और पनकी धाम को 'अमृत भारत स्टेशन' योजना के तहत एक सैटेलाइट टर्मिनल के रूप में विकसित हो रहे है, जिससे मुख्य स्टेशन पर भीड़ का दबाव कम होगा।

2.बुनियादी ढांचे का विस्तार: क्षमता को दोगुना करने के लिए अतिरिक्त प्लेटफॉर्म, नई स्टेबलिंग लाइन, अत्याधुनिक पिट लाइन और पर्याप्त शंटिंग सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा।

3.मल्टी-ट्रैकिंग और सिग्नलिंग अपग्रेड: लाइन क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न रेल खंडों पर तीसरी और चौथी लाइन का काम तेज किया जा रहा है। साथ ही, आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली के माध्यम से ट्रेनों के बीच के अंतराल को किया जाएगा।

4.कोचिंग अनुरक्षण क्षमता का विकास: ट्रेनों के बेहतर रखरखाव के लिए कानपुर क्षेत्र में विकसित नए कोचिंग कॉम्लेक्स के साथ ही बढ़ाई जारही क्षमता के साथ ही आवश्यकतानुसार कोचिंग अनुरक्षण क्षमता वृद्धि के कार्य किए जाएंगे ।

संतुलित विकास की रणनीति: देहात से शहर तक का सफर बढ़ते शहरीकरण को ध्यान में रखते हुए, रेलवे केवल मुख्य स्टेशन ही नहीं बल्कि आसपास के स्टेशनों की क्षमता बढ़ाना भी प्रस्तावित है। इससे कानपुर देहात से आने वाले श्रमिकों और यात्रियों को शहर के औद्योगिक क्षेत्रों तक पहुँचने में सुगमता होगी।

चरणबद्ध कार्यान्वयन: योजना को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है ताकि यात्रियों को तत्काल लाभ मिल सके:

तत्काल: परिचालन संबंधी बाधाओं को दूर करना और मौजूदा यार्डों का सुधार।

अल्पकालिक: अगले 2-3 वर्षों में अतिरिक्त प्लेटफॉर्म और लूप लाइनों का निर्माण।

दीर्घकालिक: 2030 तक सभी प्रस्तावित मेगा प्रोजेक्ट्स और नए टर्मिनलों का पूर्ण संचालन।

इस व्यापक योजना के माध्यम से भारतीय रेलवे न केवल कानपुर की टर्मिनल क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि भविष्य की औद्योगिक मांग और बढ़ते यात्री भार को संभालने के लिए एक सुदृढ़ रेल तंत्र स्थापित करेगा।