व्याकरण के आधुनिक पाणिनि थे आचार्य हरिहर -आचार्य राकेश

अंबेडकर नगर।आधुनिक संस्कृत साहित्य और वांग्मय के क्षेत्र में आचार्य हरिहर नाथ मिश्र जैसे विद्वान और वैयाकरण विरले ही मिलते हैं।आचार्य हरिहर नाथ मिश्र स्वयं में भारतीय संस्कृति के संवाहक और व्याकरण में साक्षात् आधुनिक पाणिनि के अंशावतार थे।ये उद्गार अंतर्राष्ट्रीय रामायण सेंटर,मॉरीशस के मुख्य आचार्य पंडित राकेश पांडेय ने व्यक्त किए।श्री पांडेय उक्त आचार्य हरिहर नाथ मिश्र की तीसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे।
गौरतलब है कि बसंत पंचमी सन् 1929 को प्रख्यात संत पौहारी जी महाराज की चौथी पीढ़ी में वर्तमान में आलापुर विधानसभा के ग्राम जल्लापुर में पैदा हुए आचार्य हरिहर नाथ का बाल्यकाल अत्यंत गरीबी और निर्धनता में बीता किंतु पारिवारिक संस्कारों और मूल्यों से ओतप्रोत उन्होंने गुरुकुल में भिक्षाटन करते हुए संस्कृत साहित्य,वेद,व्याकरण और कर्मकांड में निष्णात होते हुए तत्कालीन प्रचलित शास्त्रार्थ विधि में विशेष रुचि दिखाई।आचार्य हरिहर नाथ मिश्र ने अपने जीवनकाल में भारत,नेपाल सहित अनेक स्थानों पर सहस्रों शास्त्रार्थ में भाग लिया और जीवनपर्यंत अपराजेय रहे।इस क्रम में वर्ष 1956 में काशी में काशीनरेश और काशी विद्वत परिषद द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय शास्त्रार्थ में सभी विद्वानों को अपने तर्कों और प्रमाणों से पराजित कर दिया था।उक्त शास्त्रार्थ में न्यायमूर्ति के. एन.काटजू,सुचेता कृपलानी तथा स्वयं सुमेरु शंकराचार्य जी साक्षी और न्यायाचार्य थे।इस उपलब्धि के चलते उन्हें कालांतर में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया था।
दिलचस्प बात तो यह है कि महान पंडित होने के बावजूद उनका जीवन अत्यंत सरल था।मृत्यु पर्यंत श्रीमद भागवत महापुराण,श्रीसूक्त, बाल्मिकी रामायण का प्रतिदिन दस घंटों से अधिक पूजा करना उनके चरित्र का महनीय कृत्य था।
आचार्य हरिहर की ख्याति बढ़ने पर उन्हें कानपुर नगर के आनंदेश्वर मंदिर के निकट परमट के संस्कृत महाविद्यालय का प्रधानाचार्य बनाया गया।उन्होंने कुछ काल तक कानपुर के डी ए वी कॉलेज में भी संस्कृत व्याख्या के रूप में योगदान दिया तथा 1956 में शिक्षकों की सेवा शर्तों और शिक्षा में सुधार हेतु माध्यमिक शिक्षक संघ,उत्तर प्रदेश के गठन में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आजीवन इसके सदस्य रहे।कानपुर छोड़ने ओर उन्होंने उस समय फैजाबाद(अब अयोध्या सहित अंबेडकर नगर) के कांग्रेस के जिलाध्यक्ष आद्या प्रसाद पांडेय के साथ मिलकर पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मारक इंटर कॉलेज जवाहर नगर,आदमपुर की स्थापना की और इसी संस्था में शिक्षण कार्य करते हुए अवकाश ग्रहण किया।उनके तीन पुत्र और दो बेटियां हैं।जिनमें बड़े बेटे डॉ.ज्ञान सागर मिश्र,मझले डॉ उदयराज मिश्र और कनिष्ठ सुधीर प्रताप भी शिक्षक हैं।