पट्टा वाले बाबा की नीति बनाम खोखले वादे जयसिंह अग्रवाल के काम पर भरोसा, लखन लाल देवांगन सवालों के घेरे में

कोरबा। कोरबा की राजनीति में जब भी पट्टा और गरीबों के आवास अधिकार की बात होती है, तो लोगों की जुबान पर सबसे पहले नाम आता हैपट्टा वाले बाबा पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल। उन्होंने अपने कार्यकाल में सिर्फ भाषण नहीं दिए, बल्कि ज़मीन पर उतरकर गरीबों को कानूनी हक, पट्टा और सम्मान दिलाने का काम किया। यही कारण है कि आज भी हजारों परिवार उनके काम को याद करते हैं।

इसके उलट, वर्तमान मंत्री लखन लाल देवांगन के चुनावी वादे अब गरीबों के लिए भ्रम, भटकाव और निराशा का कारण बनते जा रहे हैं। विधानसभा और नगर निगम चुनाव के दौरान यह दावा किया गया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बिना पट्टा वाले गरीबों को भी पक्का मकान मिलेगा। बिजली बिल, आधार कार्ड, राशन कार्ड और मकान टैक्स को पात्रता का आधार बताया गया।

लेकिन जमीनी हकीकत इससे ठीक उलट है। नगर निगम के दफ्तरों में भटक रहे गरीबों को अधिकारियों से साफ जवाब मिल रहा है

ऐसी कोई योजना नहीं है, मकान सिर्फ पट्टा धारकों को ही मिलेगा।

यह विरोधाभास सीधे-सीधे मंत्री लखन लाल देवांगन की राजनीतिक विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। अगर योजना थी ही नहीं, तो जनता से ऐसा वादा क्यों किया गया? क्या गरीबों की मजबूरी को सिर्फ चुनावी सीढ़ी बनाया गया?

आज हालात यह हैं कि गरीब परिवार 50-50 फोटोकॉपी, रोज़गार छोड़कर अधिकारियों के चक्कर, पार्षदों के दफ्तर सब झेल रहा है, लेकिन नतीजा शून्य है। न मकान, न स्पष्ट जवाब, न कोई लिखित आदेश।

यहीं पर पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का काम साफ नजर आता है। उनके कार्यकाल में तैयार किए गए 9,583 पट्टे आज भी कलेक्टोरेट में लंबित हैं। ये वही पट्टे हैं, जिनके दम पर हजारों गरीब परिवारों को पक्के मकान मिल सकते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि उस दौर में नीति भी थी और नीयत भी।

अगर वर्तमान सरकार और मंत्री लखन लाल देवांगन चाहें, तो एक प्रशासनिक निर्णय से इन पट्टों का वितरण कर गरीबों को राहत दी जा सकती है। लेकिन हकीकत यह है कि **इच्छाशक्ति का घोर अभाव** साफ दिखाई दे रहा है।

कोरबा की जनता अब तुलना करने लगी है-

एक तरफ पट्टा वाले बाबा जयसिंह अग्रवाल, जिन्होंने अधिकार दिए।

दूसरी तरफ लखन लाल देवांगन, जिनके भाषणों में मकान हैं, लेकिन फाइलों में योजना नहीं।

आज जरूरत है फिर से उसी जमीनी, संवेदनशील और अधिकार आधारित राजनीति की,

वरना गरीबों के लिए पक्का मकान

सिर्फ चुनावी नारा बनकर ही रह जाएगा।

Citiupdate के लिए समीर खूंटे की रिपोर्ट