Chandauli News: दिशा की बैठक में मीडिया को नहीं दी गई प्रवेश के अनुमति, बाहर निकालने पर हुआ बवाल, खड़े हो रहे तमाम सवाल 

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चंदौली। जिले में बुधवार को कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित दिशा की बैठक एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। इस बार बैठक को पूरी तरह से बंद कमरे में आयोजित किया गया, जिसमें न तो मीडिया को प्रवेश की अनुमति दी गई और न ही कोई स्वतंत्र कवरेज हो सका। जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट सभागार में हो रही इस महत्वपूर्ण बैठक से मीडिया को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, जिससे सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर क्या छुपाना चाहती है सत्ता और विपक्ष? अभी तक दिशा की बैठक में मीडिया अंदर रह कर कवरेज करती थी।

पिछली दिशा की बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष के जन प्रतिनिधियों के बीच तीखी नोक झोंक हुई थी। दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला इतना बढ़ गया था कि बैठक में गहमागहमी चरम पर पहुंच गई थी। जिसका वीडियो भी चर्चा का विषय बना हुआ था। इसी को देखते हुए, इस बार प्रशासन ने पूरी तैयारी के साथ बैठक को शांतिपूर्वक कराने का फैसला लिया, लेकिन इसके लिए पारदर्शिता की बलि चढ़ा दी गई। बैठक के दौरान पूरे कलेक्ट्रेट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। जगह-जगह पुलिस बल और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई थी। आमजन और पत्रकारों को सभागार के पास भी जाने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे असंतोष का माहौल देखने को मिला।

बैठक में जिले के सपा सांसद वीरेंद्र सिंह, रॉबर्ट्सगंज सांसद छोटेलाल खरवार, सकलडीहा के सपा विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव, भाजपा विधायक सुशील सिंह, रमेश जायसवाल, कैलाश आचार्य, जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग, पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे सहित अन्य जन प्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे। लेकिन बैठक के एजेंडे, लिए गए फैसलों और जनहित से जुड़े मुद्दों की कोई जानकारी बाहर नहीं आ सकी। इस प्रकार, चंदौली की दिशा बैठक एक ऐसी मिसाल बन गई है जहां लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दरकिनार कर दिया गया और सत्ता-विपक्ष दोनों ने अपनी-अपनी कमजोरियों को छिपाने तथा अधिकारियों की कमी दबाने की कोशिश कार्यवाही है। अब देखना यह होगा कि इस बंद बैठक से जनता को क्या लाभ मिलेगा या फिर यह भी महज औपचारिकता बनकर रह जाएगी।