500 साल पुराना इतिहास है रावांभाटा के माँ बंजारी धाम का, इस तरह प्रकट हुई है माता बंजारी….।

रायपुर : दुनिया भर में भारत और यहाँ की संस्कृति का इतना ज्यादा महत्व क्यूँ है? ये सवाल लोगों के मन में हमेशा चलता है, ना मानने वाले तो मानते नहीं और जो मानते है वो उनकी आस्था है, अब इसका जवाब है कि भारत को खुद भगवान ने ही चुना है, अगर ऐसा कहा जाये तो कहीं गलत नहीं होगा। नवरात्रि पर्व चल रहा है, ऐसे में देवी माँ की बात ना हो तो आस्था में कुछ कमी लगती है, ऐसे में हमारा रायपुर भी भगवान की कृपा में पीछे नहीं है। आपको बता दें की राजधानी रायपुर के रेलवे स्टेशन से चार किलोमीटर दूर बिलासपुर रोड पर स्थित रावांभाठा, भनपुरी में मुख्य सड़क पर मां बंजारी मंदिर स्थित है। इस मंदिर का इतिहास 500 साल से भी ज्यादा पुराना है. कहा जाता है कि 500 साल पहले रायपुर के भनपुरी क्षेत्र की बंजर जमीन से बंजारी माता प्रकट हुई थी। जब बंजारी माता प्रकट हुईं तो उनका स्वरूप एक सुपारी जितना छोटा था। बंजारा समुदाय के लोगों ने बंजर जमीन पर माता का स्वरूप देख वहां एक छोटे मंदिर की स्थापना की थी, जो धीरे-धीरे माता के स्वरूप में विस्तार हुआ, जिसके बाद माता का भव्य मंदिर बनाया गया। बताया जाता है कि हर साल माता की प्रतिमा का आकार बढ़ रहा है।

बंजारी माता बंजारा समाज की कुलदेवी मानी जाती है। बंजारा समाज के लोगों ने बंजर जमीन पर माता के स्वरूप को देख मंदिर में माता की स्थापना की थी इसलिए माता का नाम बंजारी माता पड़ा। आज यह सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि धाम बन गया है। राजधानी का कोई ऐसा व्यक्ति शायद ही हो जो इस मंदिर के बारे में ना जानता हो, सन 2000 के आसपास इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती थी, पर विकास के नाम पर सड़क बनने के बाद मंदिर सड़क ने नीचे हो गया है। यहां भगवान शंकर, हनुमान जी समेत अन्य भगवानों की बड़ी प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। बंजारी माता धाम में श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। यहां पूरे साल श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है। हर साल नवरात्रि में यहां मेला भी लगता है। कहा जाता है कि नि:संतानों को यहां माता बंजारी की कृपा से संतान सुख भी मिलता है। यहाँ लोगों की आस्था पूरी हो जाती है।

देश-विदेश से दर्शन करने पहुंचते हैं श्रद्धालु :

हर साल चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के समय मंदिर में हजारों श्रद्धालु ज्योत प्रज्ज्वलित कराते हैं। देश-विदेश से लोग भी यहां ज्योज जलवाते हैं। बंजारी माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से भी रायपुर पहुंचते हैं। बंजारी माता की मूर्ति से थोड़ी ही दूर बरगद का एक विशाल पेड़ है। इसमें लोग मन्नत मांगने के बाद नारियल और चुनरी बांधते हैं। यह बरगद का पेड़ भी काफी साल पुराना है। बंजारी माता मंदिर में श्रद्धालु सच्चे मन से जो भी मनोकामना मानते हैं, माता उसे पूरा करती है। लम्बे समय से यह लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

तांत्रिक पूजा और सिद्धियों का भी केंद्र :

मां बंजारी की प्रतिमा बगुलामुखी स्वरूप में विराजित है, जिसके कारण इस मंदिर में तांत्रिक पूजा की विशेष मान्यता है। भक्तों का विश्वास है कि यहां की गई पूजा से शत्रुओं पर विजय, न्यायालय में सफलता और बुरी शक्तियों से मुक्ति प्राप्त होती है।खासतौर पर अमावस्या और नवरात्रि के दौरान यहां विशेष तांत्रिक अनुष्ठान किए जाते हैं। मां बंजारी मंदिर की दीवारों और मूर्तियों में कर्म-फल, स्वर्ग-नरक और मोक्ष के रहस्यों को चित्रित किया गया है। मान्यता यह भी है कि यहां दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को अपने पापों का प्रायश्चित करने का अवसर मिलता है और उसे आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस मंदिर की विशालता देखते ही बनती है। ऐसे ही राजधानी के सिविल लाइन में माँ काली का मंदिर और पुरानी बस्ती में माँ महामाया का मन्दिर भी प्रसिद्द है।