राजस्थान परिषद युवा मंच द्वारा पंचकूला में डांडिया नाइट्स का आयोजन

ढोल की थाप और गरबा की ताल पर झूमते दिखे राजस्थानी समाज के लोग

पंचकूला:--शारदीय नवरात्रि सिर्फ उपवास और पूजा का पर्व नहीं, बल्कि रंग-बिरंगे परिधानों, संगीत और नृत्य का भी उत्सव है। इन नौ दिनों में देशभर के मंदिर और पंडाल जगमगाते हैं, लेकिन सबसे खास होता है गरबा और डांडिया नाइट्स का जादू। ढोल की थाप और गरबा की ताल पर झूमते लोग इस पर्व को अधिक खास बना देते हैं।

पंचकूला में शुक्रवार को पारम्परिक परिवेश, राजस्थानी -गुजराती रंग में रंगा महौल, डीजे पर बजते माता रानी के भजन और उस पर डांडिया खड़काती युवाओं की टोली ने नवरात्रि (Navaratri) का मजा दुगुना कर दिया। साथ ही सनातन संस्कृति को मन में संजोए देश प्रेम का संदेश भी दिया।

यहां जैसे ही डी जे पर "केसरिया रंग तने लाग्यो ना गरबा" और "पंखिड़ा रे उड़ने जाजे पावागढ़ रे" गीत बजे तो माहौल में जोश और मस्ती छा गई। ये पूरा नजारा राजस्थान परिषद युवा मंच द्वारा आयोजित डांडिया नाइट्स आयोजन के दौरान पंचकूला के ओरूबा में देखने को मिला।

राजस्थान परिषद के प्रधान राज किशोर जी ने बताया कि राजस्थान परिषद युवा मंच द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिसमें राजस्थान परिषद के सदस्य, उनके परिवारजन और उनके पारिवारिक मित्र भाग ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय युवा पीडी को सनातन संस्कृति से जोड़ने का प्रयास हैं, ताकि हमे याद रहे की नौ दिन तक किस तरह मां की आराधना होती है।

राजस्थान परिषद युवा मंच में नीतू विनोद सेठिया , डिम्पल किशनलाल बोथरा और रजनी गिरीश रखेचा (2025-26) की टीम है! नीतू सेठिया ने बताया कि हमारी नवरात्रि- हमारी संस्कृति और मां दुर्गा की भक्ति से सभी को जोड़ने का त्यौहार है। नवरात्रि के प्रारंभ होते ही हमारे हिंदू संस्कृति के शीतकालीन त्यौहारों का आरंभ हो जाता है।

गरबा और डांडिया में यहां गुजरात की थीम पर डांडिया रास किया गया। वहीं राजस्थानी लोकगीतों पर भी समाज के लोग जमकर थिरके। वेशभूषा में भी गुजराती और राजस्थानी कला संस्कृति एक ही मंच पर दिखाई दी। माता रानी के गीतों की धुन पर परिषद परिवार सदस्य डांडिया खड़काते रहे।

डांडिया नाइट्स में पारंपरिक गीतों की धुन पर सभी ने गरबे का आनंद लिया। सर्वप्रथम माताजी की पहली आरती हुई। जिसमें सेंकड़ो की संख्या में भक्तजन शामिल हुए। इसके बाद शुरू हुए डांडियो की खनक और गरबे के गानों ने भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद माँ की भक्ति गीतों पर महिलाओ - पुरुष और बच्चों ने गरबा रस किया। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिता भी करवाई गई। जिसमें विजेताओं को परितोष देकर सम्मान दिया गया।

समारोह के अंत मे सभी ने पारम्परिक राजस्थानी स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ लिया।