टीआरएन एनर्जी कंपनी ने हड़पी हरिजन किसान की पुश्तैनी जमीन

रायगढ़। विवादों से चोली दामन का साथ रखने वाली टीआरएन एनर्जी प्रायवेट लिमिटेड इन दिनों फिर सुर्खियों में है। दरअसल, रायगढ़ जिले के ग्राम पंचायत गेरवानी के गरीब हरिजन किसान की जमीन को खरीदने के नाम पर आधे पैसे देकर हड़पने का मामला प्रकाश में आया है। पीडि़त की माने तो टीआरएन के बड़े अफसर ने हरिजन परिवार की पुश्तैनी जमीन को खरीदते हुए बकायदा रजिस्ट्री भी कराई, लेकिन चेक में कुछ राशि देने के बाद नगद को डकार गया। यही वजह है कि जमीन खरीद-बिक्री की मूल रजिस्ट्री कागजात को बतौर सबूत रखने वाला किसान परिवार आज भी टीआरएन कंपनी से इंसाफ की आस में बैठा है।

प्राकृतिक सम्पदाओं से भरपूर छत्तीसगढ़ हरिजन, आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है। यहाँ की धरती में जितने खजाने भरे पड़े हैं उससे कहीं अधिक सहज, सरल, सीधे-सादे, भोले-भाले और ईमान के धनी यहाँ के मूल निवासी हैं, लेकिन बाहरी लोगों की चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर ये छल-कपट तथा झूठ-प्रपंच के शिकार हो जाते हैं और अपनी पूर्वजों की संपत्ति से बेदखल होकर गरीबी के कगार पर चले जाते हैं। खास बात यह है कि इतने ठगे जाने के बाद भी भीरू स्वभाव और सीधेपन के कारण न्याय के लिए कोर्ट-कचहरी तो दूर ये विरोध भी करने से हिचकते हैं। ऐसी ही नकारात्मक तस्वीरें रायगढ़ जिले के लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में विगत कुछ वर्षों से लगातार उभर कर सामने आ रही हैं।

उल्लेखनीय है कि रायगढ़ जिले में सर्वाधिक उद्योग स्थापित हैं। किसानों को विकास का लॉलीपॉप दिखाकर औनेपौने दामों में उनकी जमीनें खरीद ली जाती हैं और उद्योगों की स्थापना हो जाती है। बता दें कि यहाँ ज्यादातर जमीनें आदिवासियों की है जो गैर आदिवासियों के लिए अहस्ताँतरित हैं, परन्तु नीति-नियमों को ताक पर रख कर सैकड़ों हेक्टेयर आदिवासी जमीन कंपनियों द्वारा हड़प ली गयीं और यह सिलसिला अभी भी जारी है। ऐसे ही कई गंभीर मामले इस क्षेत्र में आम लोगों के बीच दबी जुबान चर्चा का विषय बने हुए हैं। विश्वसनीय सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार घरघोड़ा के अंतर्गत नावापारा-टेंडा स्थित टीआरएन एनर्जी प्रायवेट लिमिटेड ने भी दर्जनों किसानों के साथ धोखाधड़ी की है। एक स्थानीय प्रतिष्ठित दैनिक अखबार में छपी खबर के अनुसार टीआरएन एनर्जी ने विश्वनाथ हेमब्रम पिता ठाकुरा हेमब्रम निवासी कटघोरा सहित अन्य कई लोगों के नाम पर जमीन खरीदी की है, वहीं टीआरएन के खिलाफ करीब 30 आदिवासियों ने आवेदन भी दिया है।

टीआरएन द्वारा इस फर्जी तरीके से हुई जमीन खरीदी में तहतक जाकर देखें तो ऐसे चौंकाने वाले और भी कई तथ्य हैं जो सामने आने बाकि हैं। ग्राम गेरवानी में भी हरिजन वर्ग के कुछ गरीब किसानों की जमीन टीआरएन कम्पनी ने अपने ही एक बड़े अधिकारी के नाम 2018 में आधी राशि देकर जमीन खरीदी कर उक्त रसूखदार अधिकारी के नाम रजिस्ट्री करा ली है, किन्तु सात वर्ष बीत जाने के बाद भी बाकी रकम के लिए किसान भटक रहे हैं। हालाँकि, जमीन का प्रमाणीकरण नहीं हुआ है, जिसके चलते किसानों को बाकि रकम की उम्मीद बँधी हुई है। पीडि़त अज्ञानतावश और आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से अब तक न्याय पाने से दूर हैं।

इस मामले में हकीकत की तहकीकात में तह तक जाकर वास्तविक तथ्यों की पूरी जानकारी आप तक पहुँचाने के लिए सृजन न्यूज संकल्पित है । ऐसा नहीं है कि टीआरएन एनर्जी प्रायवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ यह पहला मामला है, बल्कि धोखाधड़ी के ऐसे कई आरोप लग चुके हैं जिसके चलते कंपनी की मुश्किलें बढ़ गई है। खैर, सच्चाई जो भी हो लेकिन हम अपनी नैतिक जिम्मेदारी पूरी करने के लिए टीआरएन के खिलाफ अभियान जरूर चला रहा हैं।