शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिर्रा में दो-दो प्राचार्य! कलेक्टर के आदेश को व्याख्याता दिखा रहा ठेंगा, महिला प्राचार्य को नहीं मिल रहे अधिकार

बिर्रा/जांजगीर-चांपा।
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिर्रा में बीते एक वर्ष से अजीबोगरीब और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी हुई है। यहां एक नहीं, बल्कि दो-दो प्राचार्य कार्यरत हैं। हैरानी की बात यह है कि पूर्व प्रभारी प्राचार्य फागूलाल साहू, जिन्हें तत्कालीन कलेक्टर श्री आकाश कुमार छिकारा द्वारा पद से हटाया गया था, वे आज भी प्राचार्य की कुर्सी पर काबिज हैं और मौजूदा महिला प्राचार्य मनीषा बेबी चौहान को पूर्ण वित्तीय प्रभार देने से इनकार कर रहे हैं।

कलेक्टर के आदेश की अवहेलना

वर्ष 2023 में जिला कलेक्टर रहे आकाश कुमार छिकारा ने व्याख्याता फागूलाल साहू को विभागीय अनुशासनहीनता, कार्य के प्रति लापरवाही, मनमानी रवैया तथा विद्यालय में छात्रों के कमजोर परीक्षा परिणाम को देखते हुए प्राचार्य पद से हटाने का आदेश दिया था। उनके स्थान पर व्याख्याता मनीषा बेबी चौहान को प्रभारी प्राचार्य नियुक्त किया गया।
परंतु विडंबना यह है कि एक साल बीत जाने के बाद भी व्याख्याता फागूलाल साहू न केवल कुर्सी पर बने हुए हैं, बल्कि अब तक प्राचार्य की मुहर और हस्ताक्षर का उपयोग भी कर रहे हैं।

महिला प्राचार्य को नहीं मिल रहा पूर्ण प्रभार

मनीषा बेबी चौहान को आधिकारिक रूप से प्रभार तो मिला, लेकिन उन्हें अब तक न तो पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई है और न ही वित्तीय अधिकार। व्याख्याता फागूलाल साहू न केवल स्कूल की कुर्सी पर काबिज हैं, बल्कि अब भी प्राचार्य की हैसियत से कार्य कर रहे हैं, जिससे मनीषा बेबी चौहान को लगातार मानसिक, आर्थिक और प्रशासनिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है।

शिक्षा विभाग बना मूकदर्शक, अधिकारियों पर सवाल

प्राचार्य मनीषा बेबी चौहान ने इस मामले में कई बार जिला शिक्षा अधिकारी अश्विनी भारद्वाज को लिखित शिकायत दी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इससे यह स्पष्ट होता है कि या तो विभाग उदासीन है या फिर मिलीभगत का कोई खेल चल रहा है। सूत्रों की मानें तो फागूलाल साहू को विभागीय अधिकारियों का अप्रत्यक्ष संरक्षण प्राप्त है, जिससे वे लगातार नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।

स्थानीयों में आक्रोश, शिक्षक समुदाय में चर्चा का विषय

इस पूरे घटनाक्रम से न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल उठते हैं, बल्कि महिला अधिकारियों के प्रति विभाग के दृष्टिकोण पर भी गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं। विद्यालय के अन्य शिक्षक, आसपास के विद्यालयों के स्टाफ तथा स्थानीय ग्रामीणों के बीच यह मामला गर्म मुद्दा बना हुआ है। लोग पूछ रहे हैं ? जब कलेक्टर का आदेश भी पालन नहीं हो रहा तो क्या शिक्षा विभाग पूरी तरह दिशाहीन हो चुका है?

परीक्षा परिणाम शानदार, फिर भी अधिकारों से वंचित

विद्यालय में कक्षा 9वीं से 12वीं तक का परीक्षा परिणाम 97% तक रहा है, जो मनीषा बेबी चौहान की कार्यकुशलता को दर्शाता है। इसके बावजूद उन्हें अधिकारों से वंचित रखना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि नारी शक्ति के सम्मान पर भी आघात है।

मनीषा बेबी चौहान की अपील

मनीषा बेबी चौहान ने जिला कलेक्टर जन्मेजय महोबे से निवेदन किया है कि उन्हें विद्यालय के पूर्ण प्रभार के साथ वित्तीय अधिकार जल्द से जल्द दिलाया जाए ताकि वे स्वतंत्र रूप से संस्था का संचालन कर सकें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की जाती है, तो इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारियों की होगी।

निष्कर्षतः, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिर्रा का यह मामला महज पद की खींचतान नहीं, बल्कि प्रशासनिक आदेशों की खुलेआम अवहेलना और महिला अधिकारी के अधिकारों के दमन का प्रतीक बन गया है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो इसका असर न केवल संस्था के शैक्षणिक वातावरण पर पड़ेगा, बल्कि विभाग की साख पर भी प्रश्नचिह्न लग जाएगा।

CitiUpdate के लिए ? समीर खूंटे की रिपोर्ट।