जीव और परमात्मा के बीच पड़ा है माया का पर्दा

इगलास। मनुष्य जीवन का परम उद्देश्य माया से मुक्त होकर भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति होना चाहिए। इसके लिए हरि स्मरण और सत्संग अत्यंत आवश्यक हैं। जहां भी भागवत कथा होती है, वहां श्रीकृष्ण किसी न किसी रूप में उपस्थित होते हैं। यदि मनुष्य पूरे मनोयोग से कथा श्रवण करे, तो उसका चित्त सांसारिक विषयों और कामनाओं से धीरे-धीरे मुक्त होता चला जाता है। उक्त प्रवचन ओम सेलिब्रेशन गेस्ट हाउस में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य मयंक उपाध्याय ने भक्तों को कथा श्रवण कराते हुए कहे। कथा का आयोजन भगवती आश्रय सेवा ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। आचार्य ने समझाया कि जीव और परमात्मा के बीच माया का पर्दा पड़ा है, जिसे केवल निरंतर हरि स्मरण से हटाया जा सकता है। उन्होंने 24 अवतारों की कथा का वर्णन करते हुए श्रीराम और श्रीकृष्ण को पूर्ण ब्रह्म के अवतार बताया।