केंद्रीय चिकित्सालय में चिकित्सा सेवा में आध्यात्मिक विचारों की भूमिका पर सेमिनार का आयोजन

केंद्रीय चिकित्सालय में चिकित्सा सेवा में आध्यात्मिक विचारों की भूमिका पर सेमिनार का आयोजन
रेल कर्मियों को बेहतर चिकित्सा सेवा देने के उद्दे श्य से 8 जुलाई को चिकित्सा निदेशक डॉ. एस. के. हण्डू की अध्यक्षता में चिकित्सा सेवा में आध्यात्मिक विचारों की भूमिका पर केंद्रीय चिकित्सालय उत्तर मध्य रेलवे में एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ ने उत्साह से भाग लिया।
मुख्य अतिथि शेषनाथ पुष्कर भूतपूर्व राजभाषा अधिकारी, प्रयागराज मंडल ने अपनी संबोधन में कहा कि यह संसार विचारों से ही चलता है विचारों से ही संचालित होता है, विचार व्यक्ति को जिस दिशा में ले जाते हैं वह उसी दिशा में जाता है। आध्यात्मिक विचार, विचारों में श्रेष्ठ होते हैं और व्यक्ति को सही दिशा में ले जाते हैं।
यह विचार व्यक्ति के मस्तिष्क में अच्छी भावनाओं जैसे समानता की भावना, प्रेम की भावना सेवा और सहयोग की भावना का विकास करते हैं। यह विचार बुरी भावनाओं जैसे असमानता की भावना, नफरत की भावना, असहयोग की भावना, बदले और दुश्मनी की भावना को रोकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में जितने भी महापुरुष और संत हुए हैं सभी ने समाज को अध्यात्मिक विचार ही दिए हैं। यदि हम उनके विचारों पर चलें तो हम अच्छा इंसान बन सकते हैं और हर क्षेत्र में चाहे वह चिकित्सा हो या इंजीनियरिंग हो या परिचालन हो अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं क्योंकि एक अच्छा इंसान हर एक काम अच्छा करता है।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक विचार मानता है कि इंसान से बड़ा कोई नहीं और इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं और जो डॉक्टर इस विचार पर चलेगा वह बेहतर काम करेगा।
डॉ एस. के. हंडू ने अपने संबोधन में कहा कि आध्यात्मिक विचार व्यक्ति को सही और गलत की पहचान करने में सहयोग करते हैं। अच्छा विचार और अच्छी भावना की मदद से एक डॉक्टर सहानुभूति से मरीज का इलाज करता है। आध्यात्मिक विचारों में युक्त डॉक्टर खुशी और प्रेम से मरीजों की सेवा करता है और मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आप लोग आज के सेमिनार से लाभलेंगे और पहले से बेहतर सेवा मरीज को देंगे।