राजस्व विभाग पीड़ितों को कानूनी दांवपेच से करते गुमराह और जाती के आधार पर करते न्याय

राजस्व की धारा 24 के तहत मेड का पिलर तुड़वाया गया तो नवीन परती 4033 पर बना मकान धारा 67 के तहत कार्यवाही क्यों नहीं की गई

ऊंचाहार,रायबरेली।उत्तर प्रदेश शासन आम जन मानस को न्याय मिले तरह तरह के विकल्प चुनकर शासन के लोगों को दिशा निर्देश दे रही है।ताकि लोगों को न्याय मिल सके,जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्यवाही भी की जा सके लेकिन तहसील कर्मी बिना किसी डर भय के आम जनता को कानूनी दांवपेच में लपेट कर गुमराह कर उन्हें हक और अधिकार से वंचित कर दिया जा रहा है।जिनके पास रुपया है वह बराबर दांवपेच और खरीद फरोख्त कर अपनी बात रख कर पीड़ित के अधिकारों पर कब्जा प्राप्त कर लेते है और कहीं कहीं पर इंसाफ और न्याय जाती के बंधनों में अपना रूप बदल देती है।जहां पर पीड़ित अपने को हारा और ठगा सा महसूस करता है।पीड़ित उच्चाधिकारियों की चौखट पर जाता है अपनी बात बताता है किंतु समस्या के निदान के पुनः उन्हीं अधिकारी कर्मचारी के पास भेज देते है जहां से पीड़ित हताश और निराश हो कर उच्चाधिकारियों की शरण में गया था।लोगो को न्याय मिले तो कैसे ऐसे आम जनमानस शासन पर दोषारोपण करते है।शासन में हर आम नागरिक की भागीदारी है वहीं कुर्सी पर बैठे लोग आमजनमंस को शासन से सवाल और आरोप लगाने पर मजबूर कर देते है।ऐसा ही एक मामला पिछले कई माह से ऊंचाहार तहसील में सुर्खियों में बना है।ऊंचाहार में राजस्व विभाग का अजीबो गरीब कारनामा सामने आया है।पहली राजस्व पैमाईश में युवक की भूमि डेढ़ बिस्वा कम पाई गई जिसके बाद पिलर लगवाए गए फिर छह माह के अन्दर ही उसे गिरवा दिया गया।यह चमकत्कर सिर्फ ऊंचाहार में देखने को मिलेगा।मामल क्षेत्र के बरसवाँ मजरे कंदरावाँ गाँव का है।गांव निवासी मनोज कुमार की भूमिधर भूमि गाट संख्या 4028 राजस्व अभिलेखों में दर्ज है।इस भूमि से लगी हुई भूमि गाटा संख्या 4027 पर गांव के एक व्यक्ति से उसका आए दिन मेड़ का विवाद होता रहता था।इस बात से पीड़ित ने जनवरी माह में समाधान दिवास में शिकायत की तो राजस्व विभाग ने पैमाईश की जिसमें पीड़ित मनोज की भूमिधरी भूमि में गाँव के व्यक्ति का डेढ़ बिस्वा भूमि कब्जा मिला।उसके बाद राजस्व टीम ने उन्हें पिलर लगाकर भूमि सुरक्षित करवा दी।इस बात से गांव का व्यक्ति पीड़ित से रंजिश रखता है।पीड़ित राजस्व की धारा 24 अन्तर्गत आरोप है कि राजस्व विभाग ने अधिकारियों की अनदेखी और कर्मचारियों की विपक्षी मिलीभगत से उसका सीमेंटेड पिलर ट्रैक्टर से गिरवा दिया गया।पीड़ित इसे सोची समझी प्लानिंग के तहत कार्रवाई बताया है।पीड़ित मनोज का आरोप है कि धारा 24 के दौरान मेड से पिलर तोड़ दिया गया तो विपक्षी का नवीन परती भूमि संख्या 4033 पर बने मकान पर धारा 67 का मुकदमा था तो उसे भी तोड़ना था तो प्रशासन ने भेद भाव क्यों किया।पीड़ित ने यह भी आरोप लगाया कि राजस्व विभाग आला अधिकारी को गुमराह करने वाली रिपोर्ट आख्या भेजते हैं।जबकि पीड़ित पक्ष से नहीं लिया जाता।इस मामले में जब पीड़ित ने शिकायत की तो अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए हैं।