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"मुख्यमंत्री का सुशासन संदेश बनाम कोरबा निगम की थूक पॉलिश नीति – समाधान शिविर या दिखावा शिविर?"

कोरबा: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने जब मंच से ये कहा कि "अधिकारी समाधान की नीयत से काम करें, संवाद और सक्रियता ही सफलता की कुंजी है,"तो लगा मानो छत्तीसगढ़ में अब प्रशासनिक कार्यशैली का एक नया सूरज उगने वाला है। सुशासन तिहार के तीसरे चरण में जनसम्पर्क, निरीक्षण और समाधान शिविरों की श्रृंखला चल रही है ? उद्देश्य स्पष्ट है: जनता की समस्याओं का समयबद्ध और प्रभावी समाधान।

महासमुंद, गरियाबंद और बलौदाबाज़ार-भाटापारा जिलों में जब श्री साय ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि "जनता से संवाद बनाए रखें और फील्ड में जाकर समाधान सुनिश्चित करें,"तो ये कथन प्रशासन को दिशा देने वाला था। उन्होंने ठोस बिंदुओं पर भी ज़ोर दिया:

* पेयजल और बिजली की निर्बाध आपूर्ति।

* तीन वर्ष से अधिक लंबित राजस्व प्रकरणों का मार्च 2026 तक निराकरण।

* प्रधानमंत्री आवास योजना में लापरवाही पर सख्ती।

* अधोसंरचना में आ रही बाधाओं को तत्काल दूर करना।

* शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु विशेष योजनाएँ।

लेकिन इन आदर्श संदेशों के समानांतर कोरबा नगर निगम का हकीकतभरा दृश्य किसी "थूक पॉलिश" मॉडल जैसा प्रतीत हो रहा है।

### थूक पॉलिश मॉडल: जिम्मेदारी से बचने का नया मंत्र!

कोरबा नगर निगम, विशेषकर वार्ड क्रमांक 19 पथरीपारा की जनता जब समाधान शिविर में अपनी व्यथा लेकर पहुँचती है, तो उन्हें आश्वासन की एक पॉलिश की हुई परत थमा दी जाती है। धरातल पर कार्य नज़र नहीं आता, केवल कागजों पर ?समाधान? का लेप दिखता है ? जिसे कहा जा सकता है "थूक पॉलिश करके निपटा दो साहब!"

जहाँ मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि "समाधान शिविर, प्रशासन और जनता के बीच विश्वास का सेतु है," वहीं नगर निगम के कुछ अधिकारी इस सेतु को कच्ची बांस की पुलिया समझकर चलते हैं ? जो कभी भी गिर सकती है, और जनता नीचे गिरती रहती है।

### "जहाँ समाधान हो रहा है, वहाँ समाधान क्यों हो रहा है?"

सबसे चिंताजनक बात यह है कि समाधान भी हो रहा है, तो वह 'पक्ष' के वार्डों में तेज़ी से होता है, जबकि अन्य वार्ड जैसे वार्ड 19 इंतज़ार की कतार में पिछली पंक्ति में खड़े दिखते हैं। यह निष्पक्ष प्रशासन का कैसा उदाहरण है? आम आदमी इस भेदभाव को देखकर पूछता है:

"क्या समाधान भी अब राजनीतिक सुविधा और दबाव का मोहताज हो गया है?"

### जनता की आवाज़ या मुख्यमंत्री की चेतावनी?

मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट कहा था ? "एक सफल अधिकारी वही है जो पहल करता है, संवाद करता है और समाधान तक पहुँचता है।" लेकिन कोरबा में शायद कुछ अधिकारी उस 'पहल' को 'पल्ला झाड़ने' में बदल चुके हैं, 'संवाद' को चुप्पी में और 'समाधान' को समझौता पत्र में।

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### **निष्कर्ष:

अगर सुशासन तिहार को वास्तव में जनता और शासन के बीच विश्वास का सेतु बनाना है, तो कोरबा जैसे क्षेत्रों में "थूक पॉलिश" नहीं, "धरातल पर काम" दिखना चाहिए। वरना यह अभियान भी बाकी कार्यक्रमों की तरह केवल स्लोगन बनकर रह जाएगा। जनता सब देख रही है, और अब आवाज़ भी उठा रही है ? लोकतंत्र की असली ताकत यही है।

Citiupdate के लिए समीर खूंटे की रिपोर्ट...