एक तरफ दशकों से मिश्रित तहसील में जमे हैं लेखपाल और बाबू, दूसरी तरफ तहसीलदार क्यों हो रहे दनादन स्थानान्तरित।

सीतापुर/एक तरफ प्रदेश सरकार आम जनमानस को सुलभ एवं समुचित न्याय उपलब्ध कराने के लिए पुरजोर कवायद कर रही है वहीं दूसरी तरफ जनपद की मिश्रित तहसील में अन्यत्र जगह से स्थानांतरित होकर आए तहसीलदार यहां कुछ समय तक ही अपने पद पर काबिज रहने के बाद विडंबनाओं के चलते पुनः उनका स्थानांतरण दूसरी जगहों के लिए कर दिया गया बात यह सामने आती है कि इस तहसील में तहसीलदार रुकना नहीं चाहते या फिर दूषित नीतियों के चलते उन्हें यहां रुकने ही नहीं दिया जाता। जनता के सामने सुरसा की भांति मुंह फैलाए खड़ी है यह बात गौरतलब है कि ऐसी स्थिति में क्षेत्र के लोगों को कैसे मिलेगा समयबद्ध और समुचित न्याय । ग़ौरतलब तो यह भी है इस तहसील में जन शोषण और घूसखोरी का पर्याय बन चुके लिपिक संवर्गीय कई कर्मचारी और तमाम लेखपाल जो यहां दशकों से जमे हुए हैं कहना गलत न होगा कि ऊंची पहुंच रखने वाले इन लेखपालों और बाबुओं के आगे शायद शासन और प्रशासन की स्थानांतरण नीति भी पूरी तरह से फेल होकर रह गई है। जिस कारण विभिन्न समस्याओं से पीड़ित लोगों को वास्तविक न्याय मिल पाने में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है और अंगद पांव की तरह यहां जमे लेखपाल तथा बाबू लोगों के शोषण का पर्याय बने हुए हैं। बताते चलें कि यहां तहसील में बीते समयांतराल के दौरान तहसीलदारों की नियुक्ति और स्थानांतरण के क्रम में बीते वर्ष 2022 से नजर डालने पर स्पष्ट होता है कि मनीष कुमार 24 /11 /22 से 30/6 /23 तक 7 माहही कुर्सी पर काबिज रह पाए तदुपरांत इस तहसील में सुश्री सुरभि राय 21/8/ 23 से 5/ 12 /23 तक चार माह ही अपना कार्यकाल बिता पाईं तदुपरांत इसी तहसीलदार में कार्यरत नायब तहसीलदार रामसूरत यादव को प्रभारी तहसीलदार बनाया गया जो 5/ 12/ 23 से 9/1/24 तक एक माह ही तहसीलदार पद का प्रभार संभाल पाए उसके बाद श्रीमती तपस्या यादव ने यहां आकर 10 /1/24 से 31/1/24 तक 21 दिन तहसीलदार पद का कार्यभार यहां संभाला फिर सौरभ यादव यहां के तहसीलदार बने जो 1/2/24 से 10/7 /24 तक 5 माह ही कार्यभार संभाल पाए रिक्त हुई उनकी सीट पर यहां पहले से कार्यरत नायब तहसीलदार राम सूरत यादव ने 11/7/24 से 1 /4 /25 तक 7 माह तहसीलदार का पद पुनः संभाला इसके बाद जिले की दूसरी तहसील से आए अजीत कुमार सिंह कुछ दिन यानी हफ्ता दस दिन ही यहां पदारूढ रह पाए थे लेकिन प्रमोशन हो जाने के कारण उन्हें भी यहां से जाना पड़ा अब 1/4/ 25 से अजीत कुमार जायसवाल मिश्रित में तहसीलदार पद पर काबिज तो है लेकिन लोगों में इस बात की चर्चाएं दबी जुबान से होने लगी हैं कि वह कब तक यहां अपने पद तैनाती का दायित्व निभा पायेंगे या फिर उन्हें भी यहां से कुछ ही दिनों में चलता कर दिया जाएगा ऐसी स्थिति में मिश्रित तहसील में तहसीलदारों के दनादन स्थानांतरण होने के चलते आम जनता और वादकारियों को कैसे मिलेगा सुलभ और समयबद्ध समुचित न्याय।और कैसे होगा उनकी विभिन्न समस्याओं का समाधान जिसकी तरफ जिला प्रशासन और प्रदेश शासन को गंभीरता से पहल करके ध्यान देने की आवश्यकता है। मामले में मजेदार बात तो यह भी है कि इस तहसील में तमाम लेखपाल और बाबू दशकों से अंगद पांव की तरह जमकर घूसखोरी और भ्रष्टाचार का पर्याय बने हुए हैं आखिरकार इनका क्यों नहीं हो रहा है यहां से स्थानांतरण? लोगों में शासन और प्रशासन की स्थानांतरण नीति को लेकर खड़ा हो गया है यक्ष प्रश्न ।