रामलला की माता नाटक का मंचन, केकयी व मंथरा चरित्र पर नया दृष्टिकोण

श्रीगंगानगर: ब्लूमिंग डेल्स इंटरनेशनल स्कूल में आर्ट आॅफ लिविंग संस्था के तत्त्वाधान में कैकेई व मंथरा के असल मंतव्य को दर्शाता नाटक रामलला की माता का मंचन
ब्लूमिंग डेल्स इंटरनेशनल स्कूल के आॅडिटोरियम में पंकज मणि द्वारा लिखित नाटक रामलला की माता का मंचन दिनांक 10 अप्रेल 2025 वीरवार को बेंगलुरू की नाटक मंडली के और से किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथियों श्री रणजीत जी ढंाका, श्री अजय गुप्ता जी, श्याम जैन जी, डाॅ0 सुरेन्द्र ढांका श्री हरीश शर्मा व विद्यालय प्राचार्या डाॅ0 मीतू शर्मा, फार्मसी प्राचार्य श्री नरेश आहूजा द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर की गई।
महाकाव्य रामायण के दो पात्र कैकेई और मंथरा जिन्हें दुनिया स्वार्थ और लालच के लिए जानती है। आर्ट आॅफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर जी इस पर अलग दृष्टिकोण रखते है। उनके अनुसार अगर ये दो पात्र नहीं होते तो राम रघुकुल के साधारण राजकुमार या राजा ही बनकर रह जाते कभी मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम नहीं बनते।
गुरुदेव के मार्गदर्शन में, आर्ट ऑफ लिविंग ने आंतरिक विकास और सांस्कृतिक पुनर्जागरण को बढ़ावा देने के लिए कला को एक माध्यम के रूप में अपनाया है, जिससे रामलला की माता जैसी प्रस्तुतियाँ प्रेरित हुई हैं। उनके उपदेश प्राचीन शास्त्रों में नई दृष्टियाँ प्रदान करते हैं। कार्यक्रम का उद्घोष जय श्रीराम की बुलंद आवाज से हुआ। इस नाटक को आर्ट आॅफ लिविंग बेंगलुरू की आश्रम मंडली द्वारा प्रस्तुत किया गया। जब राम कैकेई को प्राणों से प्रिय हों तो फिर भला उन्हें सिंहासन से हटाकर अपने बेटे भरत को अयोध्या पर शासन करने के लिए उन्हें किसने प्रेरित किया, मंथरा ने उन्हें क्यों उकसाया, क्यों उन्होंने स्वयं को सबकी नजरों में गिराया, ऐसे ही सवालों का जवाब देता हुआ यह मनोरंजक और रोचक नाटक सभी की आँखों में नमी भर गया। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी एक विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और मानवतावादी हैं। आर्ट ऑफ लिविंग उनके द्वारा स्थापित एक संस्था है, जो 1981 में आरंभ हुई और आज विश्व की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संगठनों में से एक है। यह संगठन शांति, कल्याण और सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए तनाव-निवारण कार्यक्रम, सामुदायिक सेवा और सांस्कृतिक समृद्धि के माध्यम से कार्य करता है। निर्देशक श्री पंकज मणि जी कहते हैं, यह नाटक रामायण के पारंपरिक अर्थों को चुनौती देकर इसके पात्रों को जटिल, मानवीय और गहराई से प्रासंगिक रूप में प्रस्तुत करता है। यह एक ऐसा रंगमंचीय सफर है, जिसमें आनंद, गहराई और आत्म-चिंतन शामिल है।
विद्यालय प्राचार्या व आर्ट आॅफ लिविंग टीचर डा0 मीतू शर्मा ने बताया कि अब तक देश विदेश में इस नाटक को लगभग 55 शो हो चुके है और श्रीगंगानगर में यह 56वां शो है व सबसे बड़ी बात यह है कि राजस्थान में इस नाट्य मंचन का आयोजन पहली बार हुआ है। श्री गंगानगर की आर्ट आॅफ लिविंग टीम का इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
यह म्यूजिकल टीम में संगीत मंडली में मुख्य अभिषेक पांडे, बांसुरी तालवाद्य गायन पर नृपेन दास, कीबोर्ड पर नरेश ठाकुर, व आश्रम मंडली के अन्य कलाकारों में अन्नया साहू, श्रुति ठाकुर, चारवी सिंघल, मिक्की सिंह, सौरभ पांडे, वीरेश शर्मा, अभिषेक शर्मा, विवेक ठाकुर द्वारा कार्यक्रम में सराहनीय प्रस्तुतियाँ दी गई जिसने पूरे प्रदर्शन प्रदर्शन के दौरान दर्शकों को अपनी सीट से हिलने नहीं दिया और अनेक भावों का अनुभव करवाया।
विद्यालय प्रंबंध समिति के अध्यक्ष डॉ एस. एल. सिहाग, सचिव श्री अजय गुप्ता, कोषाध्यक्ष श्री श्याम जैन, ट्रस्टी डाॅ0 सुरेन्द्र ढांका व प्राचार्या डाॅ0 मीतू शर्मा ने आए हुए अतिथियों का धन्यवाद प्रेषित किया व नाटक मंडली के सभी कलाकारों का शानदार मंचन के लिए हृदय से आभार व्यक्त किया।