आंवला में हुआ एक विशाल कार्यक्रम उसकी चर्चाएं, पत्रकारों से लेकर आमजनता का हाल।

आंवला में हुआ एक विशाल कार्यक्रम उसकी चर्चाएं, पत्रकारों से लेकर आमजनता का हाल।

आज के समय में राजनीति के लिए कुछ भी किया जा सकता है राजनीति चमकाने के चक्कर में भोली भाली आमजनता को थोड़ा सा लालच देकर कैसे भी बेवकूफ बना दिया जाता है फिर चाहे परिणाम जो भी हों।

ऐसा ही एक मामला बरेली जनपद के आंवला में देखने को मिला जहां हाल ही में एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें बड़े बड़े नेताओं को बुलाया गया और नेताओं के सामने भारी भीड़ जुटाने के लिए आमजनता को ससम्मान कंबल दिये जाने का फरमान जारी किया गया। निशुल्क कंबल मिलने के थोड़े से लालच में गांव देहात क्षेत्र से बुजुर्ग व पुरुष महिलाएं अपने बच्चों के साथ कार्यक्रम में निर्धारित समय से पहुंचने लगे और अन्ततः एक विशाल जनसमूह कार्यक्रम में पहुंच गया मंचासीन नेता भीड़ देखकर गदगद हो उठे और आयोजनकर्ताओं की तारीफ करते हुए भीड़ के सामने कार्यक्रम से संबंधित संबोधन हुए आपस में फूल-मालाएं गले में डालकर फोटो खींचे गए सेल्फी ली गईं और नेता लोग चले गए। नेताओं के जाने के बाद कंबल लेने के लालच में आई भीड़ के बारे में सभी जिम्मेदार भूल गए। उस भीड़ को कैसे व्यवस्थित किया जाये । कंबल लेने के लालच में पहुंची भारी भीड़ में बुजुर्ग महिलाएं कंबल लेने की होड़ में एक दूसरे के ऊपर गिरे जा रहे थे कुछ बुजुर्ग महिलाएं भीड़ में दबकर परेशान होकर कंबल न मिल पाने के कारण भीड़ से निकलकर रोती जैसी नजर आईं तो कुछ एक ने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों के सहयोग से कंबल पाकर जल्द वहां से निकलने की कोशिश करने में लगी थीं

सुबह से ही कंबल मिलने की आस में भूखे प्यासे बैठे बुजुर्ग पुरुष व महिलाएं जब कार्यक्रम के अन्त में खाने के तरफ गये तो वहां भी उनके साथ अच्छा व्यवहार होता हुआ नजर नहीं आया । भीड़ में खाने के पैकेट वितरण करने वाले वितरणकर्ताओं द्वारा फेंककर खाने के पैकेट दिये जा रहे थे जो कुछ एक को काफी मशक्कत के बाद भी न मिल पा रहे थे तो वे मायूस होकर वापस लौट रहे थे।

कार्यक्रम में पत्रकारों का भी अपमान होने जाने की चर्चाएं जारी हैं बताया जाता है कार्यक्रम में पत्रकारों को सम्मान पूर्वक बुलाया तो गया लेकिन उनको दी जाने वाली कुर्सियां भी छीन ली गई। पत्रकारों ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया ।

जानकारों की मानें तो इस विशाल कार्यक्रम का आयोजन आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया था। ताकि एक छोटा सा उपहार आमजनता को मिलेगा तो लगेगा उनके सम्मान की कितनी कद्र है और भीड़ देखकर मंचासीन बड़े बड़े नेता भी गदगद हो उठेंगे। लेकिन भोली भाली आमजनता को क्या पता कि उनको वहां किस लिए बुलाया गया उनको तो सिर्फ इतना पता था कि आज उन्हें निशुल्क कंबल मिलेंगे ये भी नहीं पता था इतनी भारी मशक्कत के बाद भूखे प्यासे रहकर शायद अगर भोली भाली जनता को ये पता होता तो परिणाम कुछ और ही होते। इतने बड़े कार्यक्रम में सम्मान हुआ तो आखिर किसका?

नेताओं का?

कंबल लेने पहुंची आमजनता का?

या पत्रकारों?