राजेश्वर पयासी का खदानी क्षेत्र रोपण श्रमिक घोटाला

वन विकास निगम उमरिया परियोजना मण्डल का मामला

वन विकास निगम उमरिया में भ्रष्टाचार पुरुष के नाम से विख्यात राजेश्वर पयासी के भ्रष्टाचार और स्वेच्छाचारिता के कारनामें उजागर होने का सिलसिला लगातार जारी है, किन्तु राजेश्वर पयासी के मामले में वन विकास निगम के वरिष्ठ अधिकारी गांधी जी के तीन बंदरों की भांति अपने आँख, कान और मुंह बंद किए हुए है |

उमरिया | खदानी रोपण क्षेत्र जोहिला और सोहागपुर में राजेश्वर पयासी का वर्ष 2023 में किया गया श्रमिक घोटाला प्रकाश में आया है | राजेश्वर पयासी के द्वारा उमरिया जिले करकेली व मानपुर विकासखण्ड के गाँव गिलोथर, जुड़वानी, चंदवार, चंसुरा, रहठा सिंहपुर, दुब्बार पाली, धनवाही उमरिया, धनवाही अमरपुर, बसाढ़ी, दमोय, मानपुर के श्रमिकों को खदानी रोपण क्षेत्र जोहिला व सोहागपुर में कार्यरत दर्शाकर इन्हें लाखों रू० का भुगतान किया गया है | श्रमिकों के गृहग्राम से खदानी रोपण क्षेत्र जोहिला की दूरी लगभग 70 कि.मी. तथा सोहागपुर की दूरी लगभग 155 कि.मी. है | जाहिर है अपने गृहग्राम से प्रतिदिन कार्यस्थल आना व वापस अपने गृहग्राम लौटना संभव नही है | इन श्रमिकों के कार्यस्थल के आस-पास रूकने की व्यवस्था के बारे में स्थानीय कालरी कर्मचारयों एवं ग्रामीणों ने अनभिज्ञता जाहिर की | आश्चर्य का विषय यह है कि सभी श्रमिकों ने वर्ष भर प्रतिमाह 26 मानव दिवस कार्य किया है | प्रश्न यह उठता है कि इन श्रमिकों में से कोई भी श्रमिक अस्वस्थ नहीं हुआ है और न ही अवकाश पर गया है | श्रमिकों के स्वास्थ्य की बेहतरीन देखभाल करने के तरीके सीखने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों को राजेश्वर पयासी से प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता है |

श्रमिकों के हाजिरी में गोलमाल -

जांच का विषय यह भी है कि जब ये श्रमिक अपने गृहग्राम से इतनी अधिक दूरियों पर वर्षभर कार्यरत रहते हैं, तो फिर ये अपने गृहग्राम में शासकीय योजनाओं जैसे राशन, खाद आदि का लाभ किस प्रकार उठा रहे हैं, जबकि इन योजनाओं में हितग्राही के थंब इंप्रेशन की आवश्यकता पड़ती है | जाहिर है वास्तविक हाजिरी और कागज में दर्शाई गई हाजिरी में पयासी ने जमकर गोलमाल किया है |

एक माह में 32 दिन का होता है पयासी का कैलेंडर -

वन विकास निगम की मजदूरी दर 378 रू० प्रति कार्यदिवस की दर से माह में अधिकतम 26 कार्य दिवस हेतु कुल 9646 रू० की राशि का भुगतान किया जा सकता है | लेकिन राजेश्वर पयासी ने सारे नियमों को धता बताते हुए राधिका पिता राम सरोज निवासी गिलोथर SBIN0001349 खाता क्रमांक 35251089041 व आनन्द कुमार पिता संतलाल निवासी गिलोथर खाता क्रंमांक 34954362963 को क्रमशः 10669 रू० व 12139 रू० की राशि भुगतान एक माह में किया गया है | जो कि एक माह में क्रमशः 28 व 32 मानव कार्य दिवस का भुगतान है | वन विकास निगम के नियमानुसार एक माह में अधिकतम 26 मानव कार्य दिवस ही हो सकते हैं | एक माह में 32 दिन दर्शाने वाले पंचांग का आरंभ शायद महान पंचांगकर्ता राजेश्वर पयासी ने किया है | 26 कार्य दिवस से अधिक का भुगतान प्राप्त करने वाले श्रमिकों की एक लम्बी फेहरिस्त है | जनचर्चा है कि भुगतान होने के दूसरे तीसरे दिन कोई आदमी गाँव आता है तथा कुछ राशि छोड़कर भुगतान की गई शेष श्रमिकों से वसूलकर ले जाता है | वसूली गई राशि किसकी जेब में जाती है यह जांच का विषय है |

परिवारवाद की भेंट चढ़ा वन विकास निगम -

विदित हो कि कार्यरत श्रमिकों में से अधिकांश पयासी के खासमखास चौकीदार सत्यमान के करीबी रिश्तेदार हैं | पयासी का पुत्र सुशील पयासी जो कि खदानी रोपण में दस वर्ष से चौकीदार होने के साथ वन विकास निगम में ठेकेदारी का काम भी करता था, उसे भी मजदूरी का भुगतान किया गया है | जबकि नियमानुसार सुशील पयासी को ठेकेदारी या चौकीदारी में से किसी एक कार्य के करने की पात्रता थी | इसी प्रकार अनिल पिता रामेश्वर पयासी निवासी चन्दवार चन्सुरा जो कि राजेश्वर पयासी का भतीजा है, को भी खदानी रोपण में कार्यरत होना दर्शाकर मजदूरी का भुगतान किया गया है | जाहिर है पयासी ने खदानी रोपण कार्य का उपयोग अपने पुत्रों व भाई भतीजों की जेबें भरने में किया है |

सत्तारूढ़ दल के नेता को भी नहीं दे रहे जानकारी -

स्थानीय वरिष्ठ भाजपा नेता धनुषधारी सिंह चन्देल ने खदानी रोपण क्षेत्र में श्रमिकों को भुगतान में हुए करोड़ों रूपये के घोटाले को शासन के समक्ष उजागर करने के लिए विधानसभा अतारांकित प्रश्न क्रंमांक 993 से संबंधित जानकारी के वर्ष 2021-22 व 2022-23 के भुगतान प्रमाणक व श्रमिकों की सूची की मांग वन विकास निगम उमरिया परियोजना मण्डल से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत की थी, लेकिन राजेश्वर पयासी के दबाव में सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेता को 30 दिवस की अवधि बीत जाने के पश्चात भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है, जो कि खदानी रोपण क्षेत्र के श्रमिक भुगतान घोटाले पर सत्यता की मोहर लगाने जैसा है |

जांच के बाद बाहर आएंगे घोटाले के असली मगरमच्छ -

पूरे प्रकरण में सहायक लेखा प्रबंधक की भूमिका भी संदिग्ध नजर आती है | क्या सहायक लेखा प्रबन्धक को यह ज्ञान नहीं है कि एक माह में कुल 26 मानव कार्यदिवस होते हैं न कि 32 कार्यदिवस | यदि विधानसभा अतारांकित प्रश्न क्रमांक 993 दिनांक 12/07/2023 की जानकारी से संबंधित भुगतान प्रमाणकों और व श्रमिकों की सूची की लोकायुक्त अथवा ई.ओ.डब्ल्यू. से जांच करवाई जाए, तो खदानी रोपण क्षेत्र के श्रमिकों को हुए भुगतान में करोड़ो रूपये के घोटाले के असली मगरमच्छों राजेश्वर पयासी व अनिल चोपड़ा के काले कारनामे शासन-प्रशासन के समक्ष उजागर हो सकते हैं |