कटघोरा वनमंडल में जंगल का दोहन कर बनवा रहे लाखो के वनमार्ग मामला चैतमा रेंज का

*कटघोरा वनमंडल के भ्रष्ट्रसुरों द्वारा जंगल मे डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण का खेला : अपने ही जंगल को तबाह कर बनवा रहे लाखों के वनमार्ग, कार्यवाही के अभाव व संरक्षण में बुलंद हौसले*
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*कोरबा/कटघोरा:-* वनमंडल कटघोरा में तत्कालीन डीएफओ रही शमा फारुखी ने अपने कार्यकाल में भ्रष्ट्राचार का घोड़ा जमकर दौड़ाया और वन व वन्य प्राणी संरक्षण, संवर्धन के नाम पर सरकारी पैसे का मनमाने दोहन किया। यहां तक कि विधानसभा को भी गलत जानकारी दे गुमराह करने में कोई कोर कसर नही छोड़ी, जिसके बाद उन्हें कटघोरा वनमंडल से हटाया गया तथा यहां की कमान श्रीमती प्रेमलता यादव को मिलने के बाद यह उम्मीदें जागी थी कि आगे सब काम ठीक- ठाक होगा। किन्तु इस वनमंडल की कुर्सी में बैठने वाले अधिकारी के हाथों में ऐसी कौन सी जादुई छड़ी पकड़ायी जाती है कि होने वाले भर्राशाही पर जरा भी रोक नही लग पा रहा। जहाँ के भ्रष्ट्रसुरों द्वारा जंगल मे मंगल का जमकर खेला किया जा रहा है।

बता दें कि इन दिनों चैतमा रेंज में वन अफसर अपनी तकनीक से डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण करा रहे हैं। जिसमे प्राकलन अनुसार व अनुपात के विपरीत निर्माण स्थल के अगल- बगल से ही मजदूरों के माध्यम से तोड़वा रहे अनसाइज कत्तल पत्थर व ट्रेक्टर और जेसीबी के माध्यम से अनुपातहीन मिट्टी युक्त मुरुम की खोदाई कर डाला जा रहा है। बगदरा से सपलवा वनमार्ग पर दुबट्टा से छिंदपहरी तक 2 किलो मीटर के निर्माण कराए जा रहे डब्ल्यूबीएम मार्ग स्थल पर पहुँच जब जायजा लिया गया तो पाया गया कि 40 मिली मीटर साइज की ग्रेनाइट या फिर मजबूत क्रेशर गिट्टी का उपयोग न करके बल्कि आसपास से तोड़वाये जा रहे 70- 80 एमएम के भुरभुरे बोल्डर पत्थर को सीधे तौर पर बिछाकर उसके ऊपर मिट्टी युक्त मुरुम का परत डाला जा रहा है। जो पत्थर ट्रेक्टरों के चलने से पीस रहे है। वहीं वनमार्ग निर्माण के आसपास भूमि से इतना बेतहाशा खनन किया गया है कि बेशकीमती हरे- भरे दर्जनों पेड़ भी जद में आकर धराशायी हो गए है, जिन अधिकतर पेड़ों को छुपाने ऊपर मिट्टी डाल दफन कर दिया गया है। इस प्रकार कटघोरा वनमंडल में बैठे भ्रष्ट्रसुरों ने अपने निजी लाभ और अतिरिक्त धन कमाने की लालच में बनने वाली डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण में अपने ही वनों का सत्यानाश करने में कोई कोर- कसर नही छोड़ी है। जबकि आगे क्रेशर गिट्टी व लाल मुरुम का लंबा ट्रांसपोर्टिंग दिखाकर भुगतान लिया जाएगा। कटघोरा वनमंडल में प्रतिवर्ष लाखों- करोड़ों की लागत से डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण कार्य कराया जाता है, जिसे विभाग द्वारा अपने चहेते अघोषित ठेकेदार के माध्यम से कराकर भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया जाता है। कटघोरा वनमंडल में पिछले 3 वर्षों के अंतराल में कराए गए अथवा वर्तमान कराए जाने वाले डब्ल्यूबीएम मार्ग की निष्पक्ष एजेंसी से जांच करायी जाए तो चौकाने वाले भ्रष्ट्राचार का खुलासा हो सकता है।

*नियम विरुद्ध कैंपा मद से डब्ल्यूबीएम मार्ग निर्माण*
बताते चले कि वन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए 2004 से स्थापित कैंपा मद की राशि का उपयोग वनीकरण एवं वन्य जीव संरक्षण के लिए ही किया जाना होता है। किंतु कटघोरा वनमंडल में बैठे भ्रष्ट्रसुरों के द्वारा कैंपा मद के नियम तोड़कर करोड़ो रूपये के स्तरहीन सड़क अपनी निजी हित साधने के चक्कर मे बनवा दिए। जिससे वनों को तो कोई फायदा नही हुआ, बल्कि मुनाफा हुआ तो सिर्फ निर्माण से जुड़े संबंधित अधिकारियों- कर्मचारियों को, जिन्होंने अपने ही वन से गिट्टी, मिट्टी, मुरुम की चोरी कर डब्ल्यूबीएम सड़क बना अधिकतर राशि का बंदरबांट कर लिया।

*निर्माण में निविदा व भंडार क्रय अधिनियम का नही करते पालन*
नियमतः वनमंडल में होने वाले डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्य में भंडार क्रय अधिनियम का पालन करते हुए विभाग को निविदा जारी कर सप्लायरों से अनुबंध कर निर्माण सामाग्री क्रय करना होता है। न कि वनों से पत्थर, गिट्टी, मिट्टी या मुरुम का खनन किया जाता है। किंतु कटघोरा वनमंडल में बैठे शीर्ष से निचले स्तर के अधिकारियों को शासन द्वारा दी जाने वाली मासिक पगार शायद कम पड़ती है, इसीलिए अपने ही जंगल को तबाह कर भ्रष्ट्राचार का खेला किया जाता है तथा बिना निविदा जारी किए सारे काम मन मुताबित कर लिए जाते है।

*सोशल आडिट का है प्रावधान*
जानकारी के अनुसार मनरेगा की तरह कैंपा मद से राजस्व जमीन पर काम कराने पर सोशल आडिट का प्रावधान है। इसके लिए पंचायत में समिति बनाने के साथ ही योजना की जानकारी देने का प्रावधान है। जिससे ग्राम सभा की बैठक लेकर जानकारी देना व 3 सदस्यों का चयन, कार्य की लागत, मापदंड, मजदूरी भुगतान की दर पढ़कर सुनाना, किये गए कार्यों की मात्रा व मापको का परीक्षण कराना, सरपंच द्वारा ग्राम सभा लेकर मूल्यांकन प्रतिवेदन डीएफओ को प्रस्तुत करना, परियोजना के लिए प्रोजेक्ट अधिकारी की नियुक्ति डीएफओ द्वारा करना, डिप्टी रेंजर या परिसर रक्षक के साथ ही अलग से अधिकारी भी नियुक्त करना है, लेकिन कटघोरा वनमंडल के अधिकारियों द्वारा ऐसा किया जाना मुनासिब नही समझा जाता और अपनी मर्जी के अनुरूप कार्य कराए जाते है।

*अधिकतर निर्माण कार्यों से संबंधित सूचना बोर्ड गायब*
कैंपा "वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण" के तहत क्षतिपूरक वनीकरण, जलग्रहण प्रबंधन, क्षेत्र का उपचार, वन्य जीव प्रबंधन, वनों में आग लगने से रोकने के उपाय, वन में मृदा व आर्द्रता संरक्षण के कार्य कराए जाते है। इसके तहत नालों में स्टापडेम, बोल्डर चेकडेम, तालाब का निर्माण, पौधारोपण, फेंसिंग समेत अन्य कार्य होते है। किंतु भ्रष्ट्र रूप से कराए गए उक्त कार्यो से संबंधित जानकारी किसी को पता न चले इसलिए ज्यादातर निर्माण स्थलों में सूचना फलक बोर्ड नही लगाया जाता।

*बड़े मिया तो बड़े मिया- छोटे मिया सुभान अल्लाह*
वनमंडलाधिकारी श्रीमती प्रेमलता यादव की मौन सहमति व उप वनमंडलाधिकारी, पाली खण्ड चंद्रकांत टिकरिया के संरक्षण में चैतमा रेंजर दिनेश कुर्रे द्वारा निर्माण कराए जा रहे भ्रष्ट्राचार की सड़क से संबंधित जानकारी चाहने जब उनके कार्यालय में पहुँच उनसे संपर्क साधने का प्रयास किया गया तो रेंजर ने इंतजार करने को कहा। इस दौरान काफी देर इंतजार करने पर भी उन्होंने रिस्पांस नही दिया। जिसके कारण उनकी प्रतिक्रिया नही मिल पायी। लगता है रेंजर साहब डीएफओ से ज्यादा समय के पाबंद है जिन्हें शायद जवाब देने का भी समय नही मिल पाया। ऐसे अधिकारी से जनता क्या उम्मीद रख सकती है।