हसदेव अरण्य में जल जंगल जमीन बचाने के आंदोलन में शिरकत करेंगे किसान नेता राकेश टिकैत


हसदेव अरण्य में जल-जंगल-जमीन बचाने के आन्दोलन में शिरकत करेंगे किसान नेता राकेश टिकैत

हसदेव अरण्य में फर्जी ग्राम सभा के आधार पर जारी वन स्वीकृति और और पांचवी अनुसूची क्षेत्र में ग्राम सभा की अनदेखी कर हुई भूमि अधिग्रहण की प्रक्रियाओं के खिलाफ लगभग पिछले एक वर्ष से अनिश्चितकालीन धरने पर लोग बैठे हुए है| धरने को समर्थन देने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत 13 फरवरी 2023 को हसदेव के संघर्षशील साथियों के बीच पहुँच रहे है| इस अवसर पर एक विशाल किसान महा-सम्मेलन का आयोजन हो रहा है|
मोदी सरकार द्वारा अडानी - अंबानी के मुनाफे के लिए बनाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश के किसानों ने ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी| मेहनतकश किसानों के मजबूत संघर्ष के आगे झुकते हुए केंद्र सरकार को तीनों काले कानून वापिस वापिस लेने पड़े| इस राष्ट्रीय किसान आन्दोलन के नेतृत्वकारी साथी, किसान नेता श्री राकेश टिकेट हसदेव अरण्य को बचाने चल रहे आदिवासी-किसानों के संघर्ष को समर्थन देने हसदेव के धरना स्थल ग्राम हरिहरपुर पहुँच रहे हैं|
जैसा कि आप जानते हैं कि उत्तर छत्तीसगढ़ के घने वन क्षेत्र हसदेव अरण्य, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद के नाम पर बने मिनीमाता बांगो बांध का कैचमेंट क्षेत्र है| इस बांध से जांजगीर, कोरबा, बिलासपुर जिलों की लाखों हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है| जैव विविधता से परिपूर्ण यह विशाल वन क्षेत्र हाथियों का रहवास और उनके आने जाने का रास्ता है| यहाँ निवासरत आदिवासियों की आजीविका, संस्कृति और उनके जीवन का प्रमुख आधार भी यही जंगल और जमीन है| विभिन्न अध्ययनों के अनुसार हसदेव अरण्य के निवासियों की वार्षिक आमदनी का 60 प्रतिशत हिस्सा जंगल से आता है|

हसदेव पर किए गए अध्ययन में केंद्र सरकार के संस्थान ?भारतीय वन्य जीव संस्थान? ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ?यदि हसदेव में किसी भी खनन परियोजना को अनुमति दी गई तो बांगो बांध खतरे में पढ़ जायेगा, उसकी जल भराव की क्षमता कम हो जाएगी| खनन होने से छत्तीसगढ़ में मानव ? हाथी का संघर्ष इतना ज्यादा बढ़ जायेगा कि फिर उसे कभी नियंत्रित नही किया जा सकेगा?|

इतने महत्वपूर्ण हसदेव वन क्षेत्र को केंद्र की मोदी और राज्य की भूपेश सरकार मिलकर गौतम अडानी की खनन कंपनी को हजारों करोड़ के मुनाफे और उनके निजी बिजली संयत्रों में अवैध कोयला पहुचाने के लिए विनाश कर रही है l हाल ही में ?स्क्रोल? नामक मीडिया समूह ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है| इसमें बताया गया है कि ?परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खदान का लाखों मिलियन टन कोयला कोड़ियों के भाव अडानी कम्पनी के प्लांटो में पहुचाया जा रहा है?| इसके इसके पूर्व भी वर्ष 2018 में ?कारवां? पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि राजस्थान सरकार कोयला उत्खनन ठेका (MDO) के जरिये अडानी समूह को 6 हजार करोड़ का अवैध मुनाफा पंहुचा रही है|
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हसदेव की कोयला खनन परियोजनाओं को देश हित में बताकर न सिर्फ इसका समर्थन करते हैं बल्कि पुलिस बल लगाकर आन्दोलनकारी आदिवासियों को जेल में डालकर पेड़ो की कटाई करवा रहे हैं|
आप जानते हैं कि यह क्षेत्र संविधान की पांचवी अनुसूची में आता है l पेसा कानून 1996 और वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत किसी भी परियोजना की स्थापना पूर्व भूमि अधिग्रहण और जंगल-जमीन के डायवर्सन के पूर्व ग्रामसभा की अनुमति आवश्यक है|
हसदेव की ग्रामसभाओं के सतत विरोध के वाबजूद हसदेव की ?परसा? खदान एवं ?परसा ईस्ट केते बासेन? कोयला खनन के दूसरे चरण को गैरकानूनी रूप से अडानी कम्पनी के दवाब में स्वीकृति दी गई| दुखद रूप से आदिवासी हितैषी और वनाधिकार कानून बनाने का दंभ भरने वाली कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद ?परसा?? कोल ब्लॉक को समस्त स्वीकृतियां हासिल हुईं|
हसदेव को बचाने के लिए पिछले 10 वर्षो से हसदेव के आदिवासी-किसान आन्दोलन कर रहे हैं| अक्टूबर 2021 में हसदेव के ग्रामीण ने 300 किलोमीटर पदयात्रा कर मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मुलाकात की थी| कोई कार्यवाही नहीं होने पर पिछले साल 2 मार्च 2022 से ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं|
हसदेव को बचाने की लड़ाई सिर्फ हसदेव के आदिवासी-किसानों की नही बल्कि हम सब के जीवन को बचाने की लड़ाई है| यदि हसदेव का जंगल कट गया तो न सिर्फ जीवनदायनी हसदेव नदी सूख जाएगी बल्कि हमारी प्राणवायु आक्सीजन का प्रमुख स्रोत ख़त्म हो जायेगा| पिछले 5 वर्षो में 70 से ज्यादा हाथी और सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो चुकी है| किसानों की हजारों हेक्टेयर फसल प्रतिवर्ष हाथियों द्वारा रौंदी जा रही है| बावजूद इसके सिर्फ एक पूंजीपति के लिए पूरे छत्तीसगढ़ को संकट में डाला जा रहा है