न डायवर्सन, न टाउन एंड कंट्री प्लानिंग समेत तमाम विभागों की एनओसी, फिर भी कुरुद में 4 अवैध कॉलोनियां बस चुकी हैं।

कुरुद:-न डायवर्सन, न टाउन एंड कंट्री प्लानिंग समेत तमाम विभागों की एनओसी, फिर भी कुरुद में 4 अवैध कॉलोनियां बस चुकी हैं। पिछले कुछ साल में ही क्षेत्र में 4 कॉलाेनियां सभी नियमों को ठेंगे पर रखकर बसी हैं। ऐसा नहीं है कि इन कॉलोनियों की जानकारी प्रशासनिक अमले को नहीं है। सभी को इन कॉलोनियों की पूरी जानकारी है, लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती। कारण अधिकारी-जमीनी स्तर के कर्मचारी और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत है। पटवारी से लेकर जिला, नगर प्रशासन के अफसरों से मिली शह के कारण भू-माफिया सभी नियमों को दरकिनार कर कॉलोनियां बसा देते हैं।

क्या है अवैध और वैध कॉलोनी में अंतर
किसी भी कॉलोनी बसाने के लिए कॉलोनाइजर को पहले खुद का पंजीयन कराना होता है। इसके बाद कॉलोनी का नक्शा पास कराता है। फिर पंजीयन, नक्शा लगाकर वह नगर निगम,पालिका, पंचायत,से अनुमति लेता है। कॉलोनी में कॉलोनाइजर को सड़क, बिजली, पानी, स्ट्रीट लाइन, सीवेज, ड्रेनेज सिस्टम सहित सुरक्षा के इंतजाम करना होते हैं। इन सभी की पूर्ति होने के बाद नगर प्रशासन कॉलोनाइजर को अनुमति देती है। जिसे बोलचाल की भाषा में वैद्य कॉलोनी कहा जाता है। वहीं इन सभी की पूर्ति न करने वाली कॉलोनियों को अवैध कॉलोनी कहा जाता है।

इसलिए अवैध रहती हैं कॉलोनी
कॉलोनी का नक्शा पास कराते समय कॉलोनाइजर एक निर्धारित संख्या में प्लाट प्रशासन को बंधक रखता है यानी वह गारंटी देता है कि जब तक वह विकास कार्य पूरे नहीं करेगा, इन प्लॉटों का विक्रय नहीं करेगा। यदि कॉलोनाइजर कॉलोनी में सुविधाएं नहीं देता है तो प्रशासन इन प्लाटों को बेचकर उक्त सुविधाएं जुटाता है। लेकिन कॉलोनाइजर सांठगांठ कर इन प्लाट को भी बेच देते हैं। जबकि नपा की ओर से इन पर कोई कार्रवाई की जाती।अवैध कॉलोनियों के लिए न तो नगर प्रशासन भवन निर्माण की अनुमति देती है और न ही बैंक लोन देते हैं। ऐसे में लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है।

भू-माफिया: शहर में कृषि भूमि पर कई अवैध कॉलोनियां विकसित हो चुकी हैं। भू-माफिया राजस्व, नगर पंचायत और क्षेत्रीय पुलिस थाने के कुछ लोगों की मदद से प्लॉट बेचना शुरू कर देते हैं। पुलिस को इसमें इसलिए शामिल किया जाता है ताकि कोई शिकायत करने जाए तो सुनवाई न हो।

प्रशासन: किसी भी जमीन पर कॉलोनी बसाने से पहले उसका डायवर्सन जरूरी होता है, लेकिन उसकी कठिन प्रक्रिया को देखते हुए भू-माफिया बिना डायवर्सन कराए ही प्लॉट बेचना शुरू कर देते हैं। क्षेत्र के पटवारी से लेकर तहसीलदार व राजस्व विभाग के अफसर सब कुछ संज्ञान में होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करते।

नगर पंचायत: सम्पत्ति कर, समेकित कर आदि की वसूली करने वाले नगर पंचायत के अफसर-कर्मचारियों को पता होता है कि उक्त कॉलोनी अवैध है। फिर भी पंचायत के अधिकारी इन कॉलोनियों में प्लॉटिंग व मकान निर्माण को नहीं रोकता है। भू-माफिया पंचायत के मैदानी अमले को अपने पक्ष में लेकर काम करते हैं।

जनप्रतिनिधि: कॉलाेनियां बसने के बाद वहां के लोगों में अपना वोट बैंक तैयार करने के लिए जनप्रतिनिधि भी अपनी निधि से सड़क, बिजली, पानी,नाली समेत अन्य कार्य कराते हैं।

कई मामलों की जांच चल रही है
मिली जानकारी के अनुसार कुरुद नगर के अंतर्गत चार अवैध कालोनियां बनी है जिसमे बालाजी डेवलपर,अमृत विहार,ईश्वर विहार,और एक नई कॉलोनी हैं।

जिम्मेदार अधिकारी, जनप्रतिनिधि का कहना है।

इस विषय पर नगर पंचायत के सी,एम,ओ दीपक खाड़े का कहना है कि नगर में चार अवैध कालोनी बनी है कालोनाइजर को नगर पंचायत द्वारा नोटिस जारी कर कालोनी नियमितीकरण के लिए कहा गया है, नोटिस जारी किए एक माह हो गया है,अन्य प्रक्रिया भी जारी हैं कुछ कालोनाइजर नियमितीकरण को लेकर आश्वासन दिए हैं।

इस विषय पर नगर पंचायत के अध्यक्ष तपन चन्द्राकर का कहना है कि अवैध कॉलोनी की जानकारी प्राप्त हुई हैं कालोनाइजर को नोटिस जारी किया गया है। शासन का निर्देश हैं की अवैध कालोनी पर कार्यवाही की जावे,जानकारी मिली है की विद्दयुत विभाग द्वारा अवैध कालोनियों में बिजली कनेक्शन भी दिया गया है।
नगर पंचायत विद्दयुत विच्छेदन हेतु लिखित में विद्दयुत विभाग को पत्र दे सकता है।