बिना आदेश के ही अधिकारी ने कर दी हड़ताल में रहने वाले शिक्षकों के वेतन में कटौती

अब सर्व शिक्षक संघ ने पूरे मामले की डीईओ और कलेक्टर से की शिकायत
कोरिया। जिले के कलेक्टर ने अपने मातहत कर्मचारियों पर अपना दबदबा दिखाने के लिए नियम विरुद्ध कार्यवाही करते हुए हड़ताल अवधि का 5 दिनों का वेतन उनके खाते से काट दिया है, शिक्षकों के खाते में जब वेतन पहुंचा तो उन्हें इस बात की जानकारी हुई उसके बाद उन्होंने पूरे मामले की शिकायत सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे से की। पूरा मामला कोरिया जिले के खड़गंवा ब्लॉक के शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला उधनापुर का है जहां के प्राचार्य और लिपिक ने खुद का तो पूरा वेतन लिया लेकिन 7 शिक्षकों के वेतन में कटौती कर दी और 5 दिनों का हड़ताल अवधि का वेतन काट दिया। इस मामले की जानकारी जब सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे को हुई तो उन्होंने प्राचार्य से सीधे फोन पर बात की तब जाकर यह पता चला कि दरअसल ट्रेजरी से मौखिक तौर पर बिल लौटाने को कहा गया था और इसके बाद प्राचार्य ने बिना उच्च कार्यालय से मार्गदर्शन लिए हड़ताल अवधि का वेतन काटते हुए बिल जमा कर दिया और यही वजह है कि शिक्षकों को कम वेतन प्राप्त हुआ । इधर इस मामले का विरोध करते हुए सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने मामले की लिखित शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता और कोरिया कलेक्टर आईएएस कुलदीप शर्मा से की है। इस पूरे की जानकारी देते हुए सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने बताया कि-सबसे पहली बात तो पत्र प्राचार्य के लिए जारी हुआ ही नहीं था विभागाध्यक्ष के लिए जारी हुआ था और ऐसे में जब तक विभाग के उच्च अधिकारी ने निम्न कार्यालय को निर्देशित नहीं किया है तब तक प्राचार्य को वेतन में कटौती करने का अधिकार ही नहीं है , जिला शिक्षा अधिकारी ने भी उन्हें किसी प्रकार का कोई लिखित निर्देश नहीं दिया है पूरे मामले की खुद लिखित शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर से की है और मामले को उन्होंने संज्ञान में भी ले लिया है । प्राचार्य से चर्चा के दौरान यह इस बात का भी पता चला की प्राचार्य शिक्षक कर्मचारी अधिकारी महासंघ से संबद्धता रखते हैं जिसकी वजह से वह हड़ताल में नहीं थे और कहीं न कहीं इससे यह भी लगता है कि उन्होंने द्वेषपूर्ण तरीके से मनमाने ढंग से कार्रवाई की है जो कि गलत है और ऐसे अधिकारी के ऊपर विभाग द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए जो विभाग के आदेश के मुताबिक नहीं बल्कि अपने मन मुताबिक कार्रवाई कर रहे हैं।