कुरुद अस्पताल में अधिकारी राज,मरीज हो रहे परेशान?

कुरूद - सिविल अस्पताल कुरूद में प्रायः देखा जा रहा है कि कुछेक अधिकारी एवं कर्मचारी बेलागम तौर पर कार्य कर रहे है । डॉक्टर ओ.पी.डी. समय में अस्पताल में नहीं बैठते है समय से आधा एक घंटा देर से ओ.पी.डी. में बैठते है । अधिकतर प्राइवेट मरीज को देखने में रूचि लेेते है । खण्ड चिकित्सा अधिकारी स्वयं ही समय पर उपस्थित नहीं रहते है और बीच-बीच में उठकर घर में आये प्राइवेट मरीजों को देखने चले जाते है और घर में आने वाले मरीजों को स्वयं दवाईयॉ देते है जिसका मूल्य बाजार भाव से अधिक रहता है । इनके द्वारा सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को ईलाज के नाम पर लूटा जा रहा है । इस तरह सिविल अस्पताल कुरूद में डॉक्टर सरकारी ड्यूटी पर कम समय देते है और प्राइवेट प्रैक्टिस पर ज्यादा ध्यान देते है । यहां के कुछ डॉक्टर बहुत दिनों से जमे होने के कारण इनका हौसला बुलंद है एवं तानाशाही व्यवहार किया जा रहा है ।सुत्रो से मिली जानकारी अनुसार कुछ दिन पूर्व एक अधिकारी द्वारा कुछ शासकीय सामाग्रियों को रायपुर स्थित अपने निज निवास पहुॅचवाया है क्या पता इस अधिकारी द्वारा शासन से मिलने वाले डीजल एवं पेट्रोल का उपयोग अपने निजी वाहन हेतु करते हो । नगर पंचायत क्षेत्र में कार्यरत एक पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ता जो कि आये दिन शराब के नशे में धुत रहता है और उसका काम क्या है किस प्रकार के कार्य का संपादन करने हेतु बीएमओ द्वारा उनका कार्यक्षेत्र कुरूद बनाया गया है समझ से परे है ये कर्मचारी अपने कार्य क्षेत्र में कार्य करते नहीं दिखता इसको बस हमेशा शराब के नशे के हालत में घुमते देखा जा सकता है ।
जानकारी मिल रही है कि यहॉ बीएमओ के संरक्षण प्राप्त बहुत से ऐसे कर्मचारी है जो ड्यूटी से हमेशा नदारद रहते है फिर भी उनका वेतन आहरण बीएमओ द्वारा किया जाता है ऐसे कर्मचारी का वेतन किस प्रकार से आहरण करते है यह जॉच का विषय है । सिविल अस्पताल कुरूद के आवासीय क्वाटर में बहुत से ऐसे कर्मचारी निवासरत है जिनका स्वयं का मकान कुरूद में है अपने निजी आवास को किराये पर देकर पैसा कमाने का जरिया इस विभाग के बहुत से लोग कर रहे है । इस संबंध में पूर्व में भी समाचार प्रकाशित किया गया था जिसका असर कुछेक कर्मचारी पर हुआ बाकि कर्मचारी पर बीएमओ का संरक्षण होने के कारण शासकीय आवास में जमे हुये है और जरूरतमंदो को आवास नहीं मिल पा रहा है । अस्पताल के बहुत से कर्मचारी अस्पताल में भर्ती मरीजों और मरीजों के परिजनों के साथ दुर्व्यवहार व्यवहार करते है । अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के साथ यहॉ के स्टॉफ नर्सो के द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है और भर्ती मरीजों का देखरेख में भी लापरवाही बरती जाती है और उनके लिए बने चेम्बर में या स्टॉफ नर्स कक्ष में बैठे रहते है मरीजों के परिजनों द्वारा बार-बार बुलाने जाना पडता है । फिर भी उनके द्वारा मरीजों के परिजनो के बात को अनसुनी कर दिया जाता है । अधिकतर रात्रि के समय ड्यूटी करने वाली स्टॉफ नर्स जो कि शासकीय क्वाटर में निवासरत है उनके द्वारा रात्रि में कुछ समय पश्चात ड्यूटी छोडकर घर चले जाते है । रात्रि के समय मरीजों को अधिकतर स्टॉफ कि आवश्यकता होती है । इस दरम्यान बार्ड ब्वॉय या वार्ड आया ही मरीजों का बाटल बदलने या अन्य काम करते है, प्रायः रात्रि के समय में इस प्रकार कि लापरवाही देखी जाती है ।
अस्पताल में ब्लड और बहुत से जॉच हेतु पैथालाजी लैब उपलब्ध होने के बावजूद निजी लैब वाले मरीजो के पास जाकर सैम्पल इकट्ठा कर ले आते है उनको न तो वहॉ के डॉक्टर मना करते है और न ही डयूटी में उपस्थित स्टॉफ । उस निजी लैब वाले का सॉठगाठ यहॉ के कौन से डॉक्टर या स्टॉफ नर्सो के साथ है यह जॉच का विषय है । लेकिन शासकीय अस्पताल में लैब होने के बाद भी कमीशन के चक्कर में गरीब मरीजो को लूटना कहॉ तक सही है इसका जवाब देने वाला यहॉ कोई जिम्मेदार अधिकारी नजर नहीं आते । इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को चाहिए कि इन सभी बातों के संबंध में संज्ञान ले और सिविल अस्पताल कुरूद के अस्पतालयीन स्टॉफ को मरीजों एवं उनके परिजनो से किस प्रकार का व्यवहार किया जाना चाहिए इस संबंध में प्रशिक्षित करें ताकि सरकारी अस्पताल में आने वाले गरीब मरीजों का बेहतर ढंग से ईलाज हो सके और सरकारी अस्पताल ऊपर भरोसा में विस्तार हो सके,अस्पताल परिसर में उपलब्ध जन औषधी केंद्र भी करीब बीते एक माह से बंद कर दिया।

पूर्व में समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भखारा में डॉक्टरो कि कमी को संज्ञान लाया था लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भखारा में डॉक्टरो के नाम आदेश जारी करके मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं खंड चिकित्सा अधिकारी मौन हो गये है और कोई डॉक्टर अभी तक अपनी सेवा देने नहीं जाते है, कागज पर ही डयूटी लगा दिया गया है असल में वहॉ कुछ और है ।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने और आमजनों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मुहैया कराने हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा समय समय पर नये नये योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है और डॉक्टरों और अन्य स्टॉफ को भारी भरकम राशि खर्च कर प्रशिक्षण दिया जाता है । लेकिन सरकारी अस्पताल होने के कारण सभी योजना सरकारी भेंट चढ जाती है और आमजनों को इसका लाभ नही हो पाता और अधिक रकम खर्च कर प्राइवेट अस्पतालों में ईलाज करवाने जाना पडता है । सरकार को सरकारी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरो और अन्य अस्पतालयीन कर्मचारियों के कार्य के संबंध में कडा रूख अपनाना चाहिए ताकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर कार्य हो सके और जनसमुदाय को स्वास्थ्यगत सुविधाओ हेतु प्राइवेट अस्पताल में जाना न पडे और कम खर्च में बेहतर ईलाज सरकारी अस्पताल में मिल सके
विदित हो कि यहॉ के मुख्य अधिकारी का व्यवहार अपने निचले स्तर के अधिकारी कर्मचारियों के प्रति ठीक नहीं है इनके बात करने के रवैये से अस्पताल में एवं अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों (जमीनी स्तर) पर कार्य करने वाले कर्मचारी मानसिक रूप से परेशान है । इस संबंध में पता चला है कि उक्त अधिकारी के रवैये में सुधार नहीं होगा तो कुछ कर्मचारियों द्वारा इनके विरूद्ध लामबंद्ध होकर उग्र आंदोलन कर सकते है । यहॉ कुछ डॉक्टरों एवं अधिकारी कर्मचारियों का अन्यत्र स्थान पर स्थानांतरण नहीं होने के कारण एवं कुछेक स्थानीय जनप्रतिनिधियों का समर्थन होने के कारण इन लोगो का हौसला बुलंद है । यहॉ बहुत सालो से जमे डॉक्टरो एवं अधिकारी कर्मचारियों का स्थानांतरण होने पर ही व्यवस्था सुधार आना संभव हो पायेगा ऐसा प्रतित होता है ।