कर्नल पांडेय ने सिरे से खारिज की बात, कहा– प्रेम शंकर मिश्रा मुझे बदनाम कर मेरी छवि धूमिल करने का कर रहा है असफल प्रयास

"अमेठी में पुलिस के उच्चाधिकारी के दबाव में निर्दोष के विरुद्ध दर्ज किया जाता है थाने में मुकदमा" शीर्षक से कल चली थी खबर। खबर के बाद वहीं जब इस पूरे मामले पर कर्नल पांडेय से फोन पर बात हुई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि न तो मैंने किसी अधिकारी को अप्रोच किया है और न ही मिला हूं। इस मामले में जो भी कार्यवाही हो रही है वह कानूनी प्रक्रिया के तहत हो रही है और मैं कानून में विश्वास रखता हूं। कर्नल पांडेय ने कहा कि जिस रास्ते की बात प्रेम शंकर कह रहे हैं वह कभी रास्ता था ही नहीं। वह आबादी की जमीन है जहां हमारे जानवर बांधे जाते रहे हैं और आज भी बांधे जा रहे हैं। प्रेम शंकर मिश्र पुत्र श्री भगवान मिश्र हमें केवल बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि क्या अपनी जमीन में झाड़ू लगाकर साफ सफाई करना गलत है। उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी ने राज्य सरकार के खिलाफ मुकदमा सिविल कोर्ट और उच्च न्यायालय में किया है जिसमे प्रेम शंकर मिश्रा पार्टी बनन के लिए प्रार्थनापत्र दिये थे लेकिन माननीय न्यायालय ने उसे खारिज कर दिया। बाकी मुकदमा अभी भी विचाराधीन है, अब वहां से जो भी फैसला होगा वह हमें सर्वथा मान्य होगा। कर्नल पांडेय ने कहा कि हमारी पुश्तैनी जमीन पर विपक्षी प्रेम शंकर मिश्रा कब्जा करना चाहते हैं जिसके लिए तरह तरह से हथकंडा अपना रहे है।

इस मामले में प्रेम शंकर मिश्रा जो भी कह रहे हैं वह एक गहरी साजिश के तहत कह रहे हैं जो हमारे पद और प्रतिष्ठा को धूमिल करने का असफल प्रयास है। इनके द्वारा हमारे व परिवार के विरुद्ध झूठी सूचना व शिकायती पत्र देकर परेशान किया जाता रहता है जिसकी शिकायत मेरे पिता देवी चरण पांडेय द्वारा थाना संग्रामपुर में एक प्रार्थनापत्र दिनांक 23।04।2022 को देकर किया गया है। जिस रास्ते के लिए ये विवाद करते रहते हैं वह न तो कभी इनका रास्ता था और न ही इनसे उसका कोई सरोकार है। वह हमारे पुश्तैनी मकान के दक्षिण और मकान के पिछवाड़े आबादी की जमीन है।

उन्होंने बताया कि एक और महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि जिस जगह से प्रेमशंकर अपना रास्ता होने की बात कहता है उस स्थान पर 1977 में सूर्यनारायण तिवारी ने कर्नल पांडेय के पिता देवी चरन पांडेय के अहाता की दीवार पर जबरन दो पलेरिया मड़हा और सरिया बना रखा था जिस पर वादी देवी चरन पांडेय ने अतिक्रमणकर्ता सूर्य नारायण के ऊपर दीवानी न्यायालय में मुकदमा संख्या 70/1980 योजित किया था और कर्नल पांडेय के पिता को डिक्री मिली थी।बाद में न्यायालय की अवमानना की स्थिति आने पर सूर्यनारायण ने अपना कब्जा हटाया। तब से आज तक उस पर कर्नल पांडेय का आबादी रूप में कब्जा दखल है।विचार योग्य बात है कि जब 42 साल पहले कर्नल पांडेय का अहाता और सूर्य नारायण तिवारी का मड़हा था तो आज वहां कैसे प्रेमशंकर का रास्ता हो सकता है? कर्नल पांडेय ने कहा कि प्रेम शंकर मिश्रा ने हमेशा से कानूनी तथ्यों को छिपाकर हमे परेशान करने के लिए और झूठी सहानुभूति पाने के लिए चारों तरफ प्रार्थना पत्र देता रहता है और राजस्व,पुलिस, प्रशासन विभाग को गलत इत्तला देकर गुमराह करता रहता है और सबका बहुमूल्य समय,श्रम और साधन का दुरुपयोग करता है । उन्होंने बताया कि प्रेम शंकर के पिता श्रीभगवान ने खुद द्वारा योजित वाद संख्या 419/2012 श्रीभगवान बनाम बरसाती में खुद स्वीकार किया है कि उनका रास्ता पश्चिम दिशा से है। नजरी नक्शा में भी उन्होंने अपने आवागमन का रास्ता अपने घर के जानिब पश्चिम में दर्शाया है। जब 2012 के मुकदमे में खुद प्रेमशंकर के पिता अपने घर से आवागमन का रास्ता अपने मकान से पश्चिम दिशा से शपथ पत्र के साथ बता चुके हैं तो आज उनके पुत्र प्रेमशंकर के रास्ते की मांग पूरब दिशा से किया जाना कहां से न्यायसंगत और उचित जय?इस प्रकार प्रेमशंकर मिश्र की रास्ते की मांग और शिकायत के गलत तथा अवैधानिक होने की पुष्टि होती है।उपलब्ध कराए गए न्यायालय के अभिलेखों के अवलोकन से वास्तविक स्थिति का पता चलता है कि प्रेमशंकर को रास्ते को लेकर कर्नल पांडेय के पुश्तैनी मकान के पीछे गाटा संख्या 513 की उक्त भूमि पर कुछ भी कहने और हस्तक्षेप करने का औचित्य ही नहीं है। कानूनी दृष्टि से प्रेमशंकर की रास्ते की शिकायत और मांग अनौचित्यपूर्ण तथा नाजायज है।