भोलेनाथ ने महिला के वेश में रास दर्शन किये थे- प्रभुप्रिया

यशवंत गंजीर कुरूद :- श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला दिव्य व आध्यात्मिक थी। इसमें भगवान श्रीकृष्ण व गोपियों का रासलीला निश्चल प्रेम को प्रमाण मिलता है। हम सांसारिक मोहमाया में पड़कर भगवान को भूल जाते हैं जबकि विपत्ति आने पर भगवान को याद करते हैं। उक्त बातें कथावाचक बालविदुषी श्री प्रभुप्रिया ने मानस ग्राम सांकरा में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा महापुराण के छठवें दिन श्री कृष्ण रासलीला एवं रूखमणी विवाह की प्रसंग सुनाते हुए कही।

कथावाचक प्रभुप्रिया ने बताया कि रासलीला में कृष्ण को छोड़कर किसी अन्य मर्द का वहां जाना निषेध था जबकि भगवान भोलेनाथ ने महिला के वेश वेष में रास का दर्शन किए थे। रूखमणी विवाह की कथा बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह दिखाया भी था कि श्रीराधा और वह दो नहीं बल्कि एक हैं। लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं। देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मिणी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। अंततः रुक्मणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ। भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। रुक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस अवसर पर कथा श्रवण करने लूनकरण साहू, मनाराम साहू, संतोष साहू, किंझन साहू, दुष्यंत कुमार, टीका राम साहू, खिरावन ध्रुव, उत्तम साहू, फूलचंद साहू, हरख साहू, भानू साहू के अलावा बड़ी संख्या में महिला-पुरुष एवं बच्चे उपस्थित थे।

10 साल की थी तब से कर रही है राम एवं भागवत कथा:

बालविदुषी प्रभुप्रिया ने बताया कि उज्जैन महाकालेश्वर धाम में जन्मी वे अपने मातापिता प्रेमलता रामजी महराज के आशीर्वाद एवं अपने गुरु स्वामी राजेश्वरानंद महराज के 2009 के सानिध्य में आकर के 2012 से रामकथा कहना शुरू की और अब राम एवं कृष्ण (भागवत ) कथा करते हुए मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, उतराखण्ड, राजस्थान, बंगाल के अलावा छत्तीसगढ़ के 04 जिलों में कथा कह चुकी है। यह उनका 177 वां कार्यक्रम है। उन्हें हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है तथा अभी बीकॉम प्रथम वर्ष की पढाई भी कर रही है। जब हमने पूछा कि इस उम्र में लड़कियां सजना संवरना, घूमना, फिरना पसंद करती है तो आप भागवत पढ़ रही है तो उन्होंने बताया कि सब महाकाल एवं हनुमान जी की कृपा से हो रही है। उन्होंने आगे बताया कि वे स्वयं की बहुत सा भजन तैयार की है जिसमे जय कृष्ण गोपाल हरे, संतन के संग लागे, जगत में कोई नही है परमानेंट एवं बाबा महाकाल की नगरी आदि उनके प्रमुख भजन है। अंत मे हमने पूछा कि आप सोशल मीडिया को कितना समय देती है तो मुस्कुराते हुए कहा कि कभी एकात बार देख लू तो बहुत है। वे अपना खाली समय केवल अध्ययन में ही लगाती है। उन्होंने युवा पीढ़ियों को भी सोशल मीडिया से दूरी बनाकर चलने की बात कही।